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14165 शिक्षकों की भर्ती में से 28% सीटें उर्दू भर्ती को दीं: शासन नीतियों और नियमों से चलता है

नई भर्ती के प्रस्ताव को देखकर साफ पता चल रहा है की हर जिले के कुल प्रस्तावित सीटों से 28% (लगभग) सीटें उर्दू भर्ती के लिए दी गयी है । प्रस्ताव मे यह भी दिख रहा है की किसी जिले की न्यूनतम प्रस्तावित सीट 40 (औरैया ) है जिसमे से 28% उर्दू सीट के लिए है ।
28 जिलों का कोई जिक्र नही है जिससे यह लगता है की इन 28 जिलों मे शून्य पद है ।
निष्कर्ष -
=> जिन जिलो मे 40 पद से कम थे उन सभी जिलों को शून्य पद घोषित कर दिये है क्योंकि उन जिलों से कितना पद उर्दू को देते और कितना पद बीटीसी के लिए बचता । यह शासन का नैतिक अधिकार है ।
=> जिन जिलो मे 5-10 पोस्ट आ जाती वो पूरा जिला ही बेकार हो जाता ।
=> 5-10 पोस्ट वाले जिले कोर्ट चले जाते और भर्ती और सरकार फस सकती थी , जैसा 16448 मे मेरठ (4 पद) मे हुआ था ।
=> 28 जिलों मे पद शून्य करके उस जिले के लोगों को सभी जिलों मे आवेदन करने का मौका देकर "अवसर की समानता" (Equality of opportunity- Constitutional term) दिया गया है।
=> ध्यान रहे की हर जिले के BSA द्वारा भेजी गयी रिक्त सीटों से कम पद पर भर्ती शासन कर सकता है पर रिक्त सीटों से ज्यादा पर नही । जिस जिले मे पद ही नही है वहाँ कहाँ से पद पैदा करते ?
जो लोग नियम- कानून जान रहे है वो इस बात से सहमत होंगे । बाकी कोर्ट केस और facebook पर लाइक कमेंट तो चलते रहते है ।
शासन नीतियों और नियमों से चलता है ।
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