Blog Editor : काफी कुछ ऐसा है जिसे न टेट के लोग समझना चाहते है न अकेडमिक के न राज्य सरकार न ही NCTE

आज सुबह से 15th और 16th संसोधनों को लेकर कई तरह की पोस्ट आप सभी देख चुके है । हर व्यक्ति के अपने अलग अलग विचार और राय है । काफी कुछ ऐसा है जिसे न टेट के लोग समझना चाहते है न अकेडमिक के न राज्य सरकार न ही ncte।।
आखिर क्या सारी की सारी कानून की व्यख्याये कानून की किताबो से ही बंधी है ऐसा नही है । अब आप जानते है सुप्रीम कोर्ट में क्या बहस होगी। सुप्रीम कोर्ट में ncte के 9b जिसको आज तक ncte ने साफ़ साफ़ नही बताया कि वो अनिवार्य है या राज्य की इच्छा पे है और दूसरी चर्चा ये की जब किसी हाइकोर्ट ने 15th को रद्द किया था तो राज्य ने उसपर टेट पास लोगो की इतनी संख्या में भर्ती अगर की तो उन लोगो का क्या किया जाये। तीसरा उनका क्या होगा जो बिना टेट पास किये भर्ती कर लिए गए और अंतिम जो टेट पास करके रोड पे है उनका क्या होगा।।। देखिये माननीय सुप्रीम कोर्ट न तो पूर्ण रूप से dd बसु की न ही सुभाष कश्यप की किताबो से न ही पूर्ण रूप से भारत के जटिल संविधान से आदेश पारित करता न ही किसी केंद्रीय कानून और अंत में न ही किसी कोर्ट के अंतिम निर्णय से।। माननीय सुप्रीम कोर्ट इन मुद्दों का हल करते समय योग्यता और योग्य लोगो को और समुचित डिग्री वालो को ही तरजीह देगा। सबसे पहले तो ये समझ ले आप की सभी जो बचेगे वो टेट पास वाले होंगे और टेट अंको को चयन में वरीयता देना भी क्या जरुरी है इसलिए नही की माननीय किसी कोर्ट ने ये निर्णय दिया है बल्कि क्या ऐसा करने से योग्यता को बढ़ावा मिलेगा लेकिन एक बात ये भी याद रहे की योग्यता लाने के लिए उस व्यक्ति को बाहर करना होगा जो पिछले 3 सालों से अद्यापक पात्रता परीक्षा पास करके नौकरी कर रहे है । ध्यान रहे अब कानून अंधा नही है । योग्यता पे अयोग्यता की पैरवी नही कर रहा हु बल्कि ऐसी योग्यता जिससे 90 हजार लोगो का परिवार बिखर जाये वो भी उस नियम से जिसे बनाने वाली ncte भी उस line को टाइप करते समय ये जानती थी की उसका काम सिर्फ मिनिमम योग्यता निर्धारण करना है। मैंने कभी नही माना कि ये भर्तियां इस कारण से कभी रद्द होगी क्योंकि हाइकोर्ट ने ये कहा कि tet के अंको को वरीयता देना जरूरी है। सिर्फ ये 90 हजार लोग उस दशा में नौकरी से जायेगे जब खुद ncte वहाँ आकर कहे की शिक्षक भर्ती में बिना टेट वरीयता के भर्ती अगर की तो वो अमान्य है।। किसी हाइकोर्ट की पूर्ण पीठ का आदेश उसी हाइकोर्ट की डबल बेच के लिए तो binding है लेकिन माननीय सुप्रीम कोर्ट के लिए नहीं। अगर आप एक बाहरी व्यक्ति होकर बाहर से घटनाक्रम को देखे तो 12th और 15th दोनों आपको सही लगेंगे और है भी अगर आप हाइकोर्ट के 15th रद्द के आदेश को ध्यान न दे। अब यहाँ 15th रद्द होने का कोई मतलब ही नही अब तो सब कुछ ncte पे ही निर्भर है । 12th तो 72825 के लिए था जो वही समाप्त होकर आगे विवादित 15th को रास्ता देगा। माननीय सुप्रीम कोर्ट केंद्र सरकार और ncte को अडवाइजरी जारी करके अपनी नियमावली में 9बी को साफ़ साफ़ वर्णित करने को बोलेगा । क्या आपको लगता है कि जिस नियमावली को ncte या rte एक्ट खुद उलझा कर जारी किये हो उसपे चयनित 90 हजार लोगो को कोई बाहर करेगी। कृपया हाइकोर्ट के 15th रद्द का उदाहरण न दे क्योकि उसकी व्यख्या 9b की व्यख्या से ही जुडी है।।।
इस पोस्ट को लिखना किसी गुट के पैरवीकार की आलोचना नही बल्कि ये मेरी अभिव्यक्ति की स्वन्त्रता है जो संबिधान प्रदत्त है।
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