नई दिल्ली, उत्तर प्रदेश में पौने दो लाख शिक्षामित्रों को सहायक शिक्षक के रूप में नियुक्त करने के मामले में सुप्रीम कोर्ट में हियरिंग बुधवार को हुई। जस्टिस आदर्श कुमार गोयल व जस्टिस यूयू ललित की पीठ में सुनवाई पूरे दो घंटे चली।
टैट पास शिक्षामित्रों की ओर से पेश हुए अधिवक्ता संजय त्यागी ने कहा कि यूपीटेट पास शिक्षामित्रों को छूट दी जाए।
उन्होंने कोर्ट में कहा कि ये लोग पूरी तरह लयोग्य हैं और इन्होंने टेट परीक्षा भी उत्तीर्ण की है। 72826 भर्ती में भी इनका सिलेक्शन हो गया था लेकिन सरकार ने पहले से ही इनका समायोजन कर लिया था इसलिए इनको सहायक अध्यापक के पद से नहीं हटाया जाए। इस पर जज साहब ने कहा कि आप टैट है। हम इसको नोट कर लेते हैं।
आज जज साहब शिक्षामित्रों के वकीलों से सहमत नहीं हैं और टेट से छूट देने के पक्ष में नहीं हैं। इससे पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सितंबर 2015 शिक्षामित्रों की नियुक्तियों को अवैध ठहरा दिया था, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने दिसंबर में इस आदेश को स्टे कर दिया था।
पिछली सुनवाई में वरिष्ठ अधिवक्ता शांतिभूषण और राम जेठमलानी ने शिक्षामित्रों की ओर से बहस की। उन्होंने कहा कि सरकार को 18 वर्ष से काम कर रहे शिक्षामित्रों को एक पूल की तरह से देखने का अधिकार है।
यह पूल एक भर्ती स्रोत है जिसे सहायक शिक्षकों को भर्ती करने के लिए इस्तेमाल करने में कोई कानूनी दिक्कत नहीं है। उन्होंने कहा कि वे पूरी तरह से योग्य और शैक्षणिक योग्यता में पूर्ण है। हाईकोर्ट ने उन्हें अयोग्य ठहराकर कर गलत किया है।
गौरतलब है सुप्रीम कोर्ट ने पिछले मंगलवार को शिक्षामित्रों की नियुक्ति पर सवाल उठाया था और टिप्पणी की थी कि शिक्षामित्रों की नियुक्ति संविधानिक सिद्धांतों के अनुसार नहीं की गई है।
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टैट पास शिक्षामित्रों की ओर से पेश हुए अधिवक्ता संजय त्यागी ने कहा कि यूपीटेट पास शिक्षामित्रों को छूट दी जाए।
उन्होंने कोर्ट में कहा कि ये लोग पूरी तरह लयोग्य हैं और इन्होंने टेट परीक्षा भी उत्तीर्ण की है। 72826 भर्ती में भी इनका सिलेक्शन हो गया था लेकिन सरकार ने पहले से ही इनका समायोजन कर लिया था इसलिए इनको सहायक अध्यापक के पद से नहीं हटाया जाए। इस पर जज साहब ने कहा कि आप टैट है। हम इसको नोट कर लेते हैं।
आज जज साहब शिक्षामित्रों के वकीलों से सहमत नहीं हैं और टेट से छूट देने के पक्ष में नहीं हैं। इससे पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सितंबर 2015 शिक्षामित्रों की नियुक्तियों को अवैध ठहरा दिया था, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने दिसंबर में इस आदेश को स्टे कर दिया था।
पिछली सुनवाई में वरिष्ठ अधिवक्ता शांतिभूषण और राम जेठमलानी ने शिक्षामित्रों की ओर से बहस की। उन्होंने कहा कि सरकार को 18 वर्ष से काम कर रहे शिक्षामित्रों को एक पूल की तरह से देखने का अधिकार है।
यह पूल एक भर्ती स्रोत है जिसे सहायक शिक्षकों को भर्ती करने के लिए इस्तेमाल करने में कोई कानूनी दिक्कत नहीं है। उन्होंने कहा कि वे पूरी तरह से योग्य और शैक्षणिक योग्यता में पूर्ण है। हाईकोर्ट ने उन्हें अयोग्य ठहराकर कर गलत किया है।
गौरतलब है सुप्रीम कोर्ट ने पिछले मंगलवार को शिक्षामित्रों की नियुक्ति पर सवाल उठाया था और टिप्पणी की थी कि शिक्षामित्रों की नियुक्ति संविधानिक सिद्धांतों के अनुसार नहीं की गई है।
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