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मुरादाबाद में फर्जी नियुक्ति मामले में फंसे शिक्षकों पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं

बेसिक शिक्षा विभाग में 42 शिक्षकों की फर्जी नियुक्ति का मामला धीरे - धीरे ठंडे बस्ते में चला गया है। करीब पांच माह पहले डिप्टी कलक्टर ने 42 शिक्षकों की नियुक्ति को फर्जी बताते हुए उनकी नियुक्ति संबंधी पत्रावली सील कर दी थीं।
संबंधित शिक्षकों के प्रत्यावेदन पर डीएम ने एडीएम वित्त एवं राजस्व को मामले की दोबारा से जांच करने का आदेश दिया था। लेकिन पांच माह बाद भी यह जांच पूरी नहीं हुई है।
करीब आठ माह लंबी जांच के बाद पांच माह पहले तत्कालीन एसडीएम ठाकुरद्वारा शिक्षक भर्ती घोटाले की जांच पूरी करके रिपोर्ट डीएम को सौंपी थी। एसडीएम ने जांच में जिले के 42 शिक्षक - शिक्षिकाआें की नियुक्ति को फर्जी बताया था। इन सभी की पत्रावली सील कर एसडीएम ने रिपोर्ट डीएम को सौंप दी थी। फर्जी नियुक्ति पाने वाले सभी शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की गई थी। इस बीच कार्रवाई की जद में आए शिक्षकों ने डीएम को अर्जी देकर गुहार लगाई थी कि जांच में उनका पक्ष नहीं सुना गया। लिहाजा प्रकरण की दोबारा से जांच हो। शिक्षकों के प्रत्यावेदन पर सुनवाई करते हुए डीएम ने अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व को दोबारा जांच करने के आदेश दिए थे। डीएम ने निर्देश दिए थे कि संबंधित शिक्षकों का पक्ष सुन लिया जाए। लेकिन डीएम के आदेश पर बैठी यह जांच पांच माह बाद भी पूरी नहीं हुई है। प्रदेश के अन्य जिलों में शिक्षक भर्ती घोटाले में तमाम गिरफ्तारियां भी हुई हैं। लेकिन मुरादाबाद में फर्जी नियुक्ति मामले में फंसे शिक्षकों पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। पूर्व की तरह यह सभी स्कूलों में पढ़ा रहे हैं। शिक्षक भर्ती घोटाले की जांच करने वाले एसडीएम का तबादला भी जांच रिपोर्ट सौंपने के अगले ही दिन हो गया था। ऐसे में शिक्षक भर्ती घोटाले में सियासी दखल की बातें भी सामने आ रही हैं। 

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