हजारों बिना परीक्षा दिए ही हुए बाहर
पीसीएस : बड़ी संख्या में अभ्यर्थियों ने छोड़ दी थी दूसरी पाली की परीक्षा
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पीसीएस : बड़ी संख्या में अभ्यर्थियों ने छोड़ दी थी दूसरी पाली की परीक्षा
इलाहाबाद। उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की पीसीएस-2015 के हजारों अभ्यर्थी
बिना परीक्षा दिए ही बाहर हो गए हैं। आयोग ने दूसरी पाली की परीक्षा निरस्त
नहीं की है। जबकि, पेपर आउट और परीक्षा स्थगित होने की सूचना के बाद बड़ी
संख्या में अभ्यर्थियों ने दूसरी पाली की परीक्षा छोड़ दी। ऐसे में आयोग के
इस फैसले से इन्हें इस अवसर से वंचित होना पड़ेगा। इसके नाराज अभ्यर्थी
दोनों पालियों की परीक्षा निरस्त करने की मांग को लेकर आंदोलनरत हैं।
पहली पाली का पेपर आउट होने की सूचना सुबह से ही न्यूज चैनलों पर आने लगी थी। डीजीपी की ओर से परीक्षा निरस्त करने का प्रस्ताव भेजे जाने के बाद यह सूचना भी प्रसारित हो गई कि परीक्षा रद कर दी गई है।
इसके बाद बड़ी संख्या में अभ्यर्थियों ने दूसरी पाली की परीक्षा छोड़ दी। चूंकि सभी अभ्यर्थियों का सेंटर दूसरे जिलों में था, इसलिए जल्दी घर पहुंचने तथा बस और ट्रेन में भीड़ से बचने के लिए भी उन्होंने वापस होने में तत्परता दिखाई। इसके विपरीत आयोग ने पेपर आउट होने की बात सिरे से खारिज कर दी और परीक्षा निरस्त करने से भी इंकार कर दिया।
अब चौतरफा दबाव के बाद आयोग ने सोमवार को सिर्फ पहला पेपर स्थगित किया है। इसकी वजह से दूसरी पाली की परीक्षा छोड़ने वाले अभ्यर्थियों को प्रदेश की सबसे प्रतिष्ठित इस भर्ती से वंचित होना पड़ेगा।
फिर खर्च करने होंगे हजारों
इलाहाबाद (ब्यूरो)। उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की परीक्षा केंद्र निर्धारण की नई नीति ने अभ्यर्थियों की मुसीबत बढ़ा दी है। दूसरे जिलों में सेंटर भेजे जाने से अभ्यर्थियों को हजारों रुपये खर्च तो करने ही पड़ते हैं, फजीहत भी उठानी पड़ती है। पीसीएस-2015 के अभ्यर्थियों को तो इस तरह की दोहरी मार झेलनी होगी।
परीक्षा निरस्त होने से उन्हें एक बार फिर पूरी मशक्कत करनी होगी।
नए अध्यक्ष के आने के बाद से आयोग की भर्ती परीक्षाओं में दूसरे जिलों में सेंटर भेजा जाने लगा है।
इलाहाबाद के ज्यादातर अभ्यर्थियों का परीक्षा केंद्र लखनऊ और कानपुर भेजा जाता है। इसी तरह से यहां बरेली, वाराणसी तक अभ्यर्थी परीक्षा देने के लिए आते हैं। अभ्यर्थियों को आने-जाने और होटल तथा खाना में दो हजार रुपये से अधिक खर्च हो जाते हैं। पहले महिला अभ्यर्थियों का सेंटर भी दूसरे जिलों में भेजा था और उन्हें काफी परेशानी उठानी पड़ती थी। काफी विरोध के बाद महिला और विकलांग अभ्यर्थियों को तो उनके ही जिले में सेंटर दिया जाने लगा लेकिन पुरुष अभ्यर्थियों को अब भी यह समस्या झेलनी पड़ती है। यही वजह है कि इस व्यवस्था के लागू होने के बाद आयोग की परीक्षाओं में उपस्थिति कम हो गई है। पीसीएस-2015 प्रारंभिक परीक्षा भी 41 फीसदी ने छोड़ दी।
पहली पाली का पेपर आउट होने की सूचना सुबह से ही न्यूज चैनलों पर आने लगी थी। डीजीपी की ओर से परीक्षा निरस्त करने का प्रस्ताव भेजे जाने के बाद यह सूचना भी प्रसारित हो गई कि परीक्षा रद कर दी गई है।
इसके बाद बड़ी संख्या में अभ्यर्थियों ने दूसरी पाली की परीक्षा छोड़ दी। चूंकि सभी अभ्यर्थियों का सेंटर दूसरे जिलों में था, इसलिए जल्दी घर पहुंचने तथा बस और ट्रेन में भीड़ से बचने के लिए भी उन्होंने वापस होने में तत्परता दिखाई। इसके विपरीत आयोग ने पेपर आउट होने की बात सिरे से खारिज कर दी और परीक्षा निरस्त करने से भी इंकार कर दिया।
अब चौतरफा दबाव के बाद आयोग ने सोमवार को सिर्फ पहला पेपर स्थगित किया है। इसकी वजह से दूसरी पाली की परीक्षा छोड़ने वाले अभ्यर्थियों को प्रदेश की सबसे प्रतिष्ठित इस भर्ती से वंचित होना पड़ेगा।
फिर खर्च करने होंगे हजारों
इलाहाबाद (ब्यूरो)। उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की परीक्षा केंद्र निर्धारण की नई नीति ने अभ्यर्थियों की मुसीबत बढ़ा दी है। दूसरे जिलों में सेंटर भेजे जाने से अभ्यर्थियों को हजारों रुपये खर्च तो करने ही पड़ते हैं, फजीहत भी उठानी पड़ती है। पीसीएस-2015 के अभ्यर्थियों को तो इस तरह की दोहरी मार झेलनी होगी।
परीक्षा निरस्त होने से उन्हें एक बार फिर पूरी मशक्कत करनी होगी।
नए अध्यक्ष के आने के बाद से आयोग की भर्ती परीक्षाओं में दूसरे जिलों में सेंटर भेजा जाने लगा है।
इलाहाबाद के ज्यादातर अभ्यर्थियों का परीक्षा केंद्र लखनऊ और कानपुर भेजा जाता है। इसी तरह से यहां बरेली, वाराणसी तक अभ्यर्थी परीक्षा देने के लिए आते हैं। अभ्यर्थियों को आने-जाने और होटल तथा खाना में दो हजार रुपये से अधिक खर्च हो जाते हैं। पहले महिला अभ्यर्थियों का सेंटर भी दूसरे जिलों में भेजा था और उन्हें काफी परेशानी उठानी पड़ती थी। काफी विरोध के बाद महिला और विकलांग अभ्यर्थियों को तो उनके ही जिले में सेंटर दिया जाने लगा लेकिन पुरुष अभ्यर्थियों को अब भी यह समस्या झेलनी पड़ती है। यही वजह है कि इस व्यवस्था के लागू होने के बाद आयोग की परीक्षाओं में उपस्थिति कम हो गई है। पीसीएस-2015 प्रारंभिक परीक्षा भी 41 फीसदी ने छोड़ दी।
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