लखनऊ। राज्य सरकार को शिक्षा मित्रों के मामले दिया गया हाईकोर्ट का आदेश
शुक्रवार को मिल गया है। अब इस पर विधिक राय लेकर सुप्रीम कोर्ट जाने की
तैयारी की जा रही है। विभागीय जानकारों की माने तो हाईकोर्ट ने शिक्षा
मित्रों को दूरस्थ शिक्षा से दिए गए दो वर्षीय प्रशिक्षण पर कोई खास
टिप्पणी नहीं की है। इसलिए राज्य सरकार इसको आधार बनाते हुए सुप्रीम कोर्ट
से राहत प्राप्त करने की तैयारी में जुट गई है।
बेसिक शिक्षा मंत्री रामगोविंद चौधरी से शुक्रवार को भी शिक्षा मित्रों का एक प्रतिनिधि मंडल मिला और उनसे अनुरोध किया कि उनके मामले में विधिक राय लेकर जल्द ही सुप्रीम कोर्ट जाकर राहत प्राप्त किया जाए।
हाईकोर्ट के आदेश पर समायोजन रद्द होने के बाद से आंदोलित शिक्षा मित्रों का आंदोलित शिक्षा मित्रों ने शुक्रवार को स्कूलों का ताला खोल दिया। यह बात अलग है कि शिक्षा मित्रों ने पूर्व की तरह शुक्रवार को भी शिक्षण कार्य बहिष्कार किया। शिक्षा मित्र संयुक्त मोर्चा के गाजी इमाम आला ने बेसिक शिक्षा मंत्री से मुलाकात कर उनसे हाईकोर्ट के आदेश के बारे में चर्चा की। शिक्षा मित्र संयुक्त मोर्चा ने दावा किया है कि हाईकोर्ट ने उनके प्रशिक्षण को अवैध नहीं ठहराया है। राज्य सरकार ने राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) से अनुमति लेकर ही दो वर्षीय प्रशिक्षण दिया है। इसलिए राज्य सरकार को इसके आधार पर ही सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष रखने की तैयारी कर रही है। संयुक्त मोर्चा के जितेंद्र कुमार शाही ने कहा है कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम आने के बाद एनसीटीई से अनुमति लेकर उन्हें प्रशिक्षण दिया गया। एनसीटीई की अधिसूचना के मुताबिक परिषदीय स्कूलों में कोई भी गैर प्रशिक्षित शिक्षक नहीं रह सकता है। राज्य सरकार ने इसके आधार पर ही एनसीटीई से अनुमति लेकर प्रशिक्षण दिया। अब एनसीईटी यह कह रहा है कि शिक्षा मित्रों के समायोजन के लिए उससे अनुमति नहीं ली गई।
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बेसिक शिक्षा मंत्री रामगोविंद चौधरी से शुक्रवार को भी शिक्षा मित्रों का एक प्रतिनिधि मंडल मिला और उनसे अनुरोध किया कि उनके मामले में विधिक राय लेकर जल्द ही सुप्रीम कोर्ट जाकर राहत प्राप्त किया जाए।
हाईकोर्ट के आदेश पर समायोजन रद्द होने के बाद से आंदोलित शिक्षा मित्रों का आंदोलित शिक्षा मित्रों ने शुक्रवार को स्कूलों का ताला खोल दिया। यह बात अलग है कि शिक्षा मित्रों ने पूर्व की तरह शुक्रवार को भी शिक्षण कार्य बहिष्कार किया। शिक्षा मित्र संयुक्त मोर्चा के गाजी इमाम आला ने बेसिक शिक्षा मंत्री से मुलाकात कर उनसे हाईकोर्ट के आदेश के बारे में चर्चा की। शिक्षा मित्र संयुक्त मोर्चा ने दावा किया है कि हाईकोर्ट ने उनके प्रशिक्षण को अवैध नहीं ठहराया है। राज्य सरकार ने राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) से अनुमति लेकर ही दो वर्षीय प्रशिक्षण दिया है। इसलिए राज्य सरकार को इसके आधार पर ही सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष रखने की तैयारी कर रही है। संयुक्त मोर्चा के जितेंद्र कुमार शाही ने कहा है कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम आने के बाद एनसीटीई से अनुमति लेकर उन्हें प्रशिक्षण दिया गया। एनसीटीई की अधिसूचना के मुताबिक परिषदीय स्कूलों में कोई भी गैर प्रशिक्षित शिक्षक नहीं रह सकता है। राज्य सरकार ने इसके आधार पर ही एनसीटीई से अनुमति लेकर प्रशिक्षण दिया। अब एनसीईटी यह कह रहा है कि शिक्षा मित्रों के समायोजन के लिए उससे अनुमति नहीं ली गई।
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