इलाहाबाद नहीं खत्म हो रही है परेशानी बीते
चार वर्ष से लंबी कानूनी लड़ाई के बाद भी टीईटी-2011 के पास अभ्यर्थियों की
परेशानी खत्म होने वाली नहीं है। अब एक बार उनके सामने नई परेशानी आई है। प्राथमिक विद्यालयों के लिए बेसिक शिक्षा परिषद की ओर से घोषित 72,825
सहायक अध्यापकों के पदों पर चयनित प्रशिक्षु शिक्षकों की नियुक्ति से पहले
एक बार फिर व्हाइटनर का विवाद खड़ा हो गया है।
व्हाइटनर वालों पर कार्रवाई होने की दशा में 72,825 शिक्षकों की पूरी चयन प्रक्रिया प्रभावित हो सकती है। टीईटी पास करने के बाद शैक्षिक मेरिट के आधार पर नियुक्ति की मांग करने वाले संजीव मिश्र, हिमांशु आदि अभ्यर्थियों का दावा है कि प्रमाण पत्रों की जांच कराए जाने की दशा में पता चलेगा कि बड़ी संख्या में अभ्यर्थी टीईटी में शामिल हुए बिना ही शिक्षक भर्ती में चुन लिए गए हैं।
रिकॉर्ड कर दिए गए सील
इसके साथ ही लगभग पांच हजार अभ्यर्थियों ने अपने प्रमाण पत्रों में संशोधन के लिए यूपी बोर्ड के पास प्रत्यावेदन भेजा था। इन अभ्यर्थियों के बारे में कोई फैसला होने से पहले पुलिस ने आवेदन करने वालों के रिकार्ड सील कर दिए। यह सभी अभ्यर्थी बोर्ड से बिना प्रमाण पत्रों के जारी हुए बिना ही सहायक अध्यापक के पद पर चयनित हो गए।
पहले पूर्व की बसपा सरकार की ओर से 72,825 शिक्षकों की भर्ती के लिए आवेदन जारी किया गया। इसके लिए चयन टीईटी की मेरिट के आधार पर होना था, चयन प्रक्रिया पूरी होने से पहले ही प्रदेश में नई सरकार आ गई।
नई सरकार के समय चयन प्रक्रिया में बदलाव करके नया विज्ञापन जारी कर दिया गया। इस बार चयन टीईटी की मेरिट की बजाय शैक्षिक आधार पर करने का फैसला किया गया।
दो बार अलग-अलग विज्ञापन जारी होने के बाद टीईटी पास करने वाले हर अभ्यर्थी ने प्रदेश के सभी जिलों में दो-दो बार आवेदन किया। एक आवेदन पर एक हजार से 1500 खर्च करना पड़ा।
इस प्रकार देखा जाए तो अभ्यर्थियों को एक विज्ञापन के लिए आवेदन पर लगभग एक-एक लाख खर्च करना पड़ा। लाख रुपये खर्च करने के बाद भी नौकरी की राह आसान नहीं हो रही है।
सरकारी नौकरी - Army /Bank /CPSU /Defence /Faculty /Non-teaching /Police /PSC /Special recruitment drive /SSC /Stenographer /Teaching Jobs /Trainee / UPSC
व्हाइटनर वालों पर कार्रवाई होने की दशा में 72,825 शिक्षकों की पूरी चयन प्रक्रिया प्रभावित हो सकती है। टीईटी पास करने के बाद शैक्षिक मेरिट के आधार पर नियुक्ति की मांग करने वाले संजीव मिश्र, हिमांशु आदि अभ्यर्थियों का दावा है कि प्रमाण पत्रों की जांच कराए जाने की दशा में पता चलेगा कि बड़ी संख्या में अभ्यर्थी टीईटी में शामिल हुए बिना ही शिक्षक भर्ती में चुन लिए गए हैं।
रिकॉर्ड कर दिए गए सील
इसके साथ ही लगभग पांच हजार अभ्यर्थियों ने अपने प्रमाण पत्रों में संशोधन के लिए यूपी बोर्ड के पास प्रत्यावेदन भेजा था। इन अभ्यर्थियों के बारे में कोई फैसला होने से पहले पुलिस ने आवेदन करने वालों के रिकार्ड सील कर दिए। यह सभी अभ्यर्थी बोर्ड से बिना प्रमाण पत्रों के जारी हुए बिना ही सहायक अध्यापक के पद पर चयनित हो गए।
पहले पूर्व की बसपा सरकार की ओर से 72,825 शिक्षकों की भर्ती के लिए आवेदन जारी किया गया। इसके लिए चयन टीईटी की मेरिट के आधार पर होना था, चयन प्रक्रिया पूरी होने से पहले ही प्रदेश में नई सरकार आ गई।
नई सरकार के समय चयन प्रक्रिया में बदलाव करके नया विज्ञापन जारी कर दिया गया। इस बार चयन टीईटी की मेरिट की बजाय शैक्षिक आधार पर करने का फैसला किया गया।
दो बार अलग-अलग विज्ञापन जारी होने के बाद टीईटी पास करने वाले हर अभ्यर्थी ने प्रदेश के सभी जिलों में दो-दो बार आवेदन किया। एक आवेदन पर एक हजार से 1500 खर्च करना पड़ा।
इस प्रकार देखा जाए तो अभ्यर्थियों को एक विज्ञापन के लिए आवेदन पर लगभग एक-एक लाख खर्च करना पड़ा। लाख रुपये खर्च करने के बाद भी नौकरी की राह आसान नहीं हो रही है।
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