लखनऊ। मुख्य सचिव आलोक रंजन ने राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) को पत्र लिखा है कि दूरस्थ शिक्षा से दो वर्षीय बीटीसी प्रशिक्षण लेने वाले शिक्षामित्रों को टीईटी से छूट की जाए। पत्र में कहा गया है कि हाईकोर्ट ने शिक्षामित्रों का सहायक अध्यापक पद पर समायोजन रद्द कर दिया है। ऐसे में टीईटी से दी गई छूट समाप्त हो गई है। उन्होंने लिखा है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के बाद प्रदेश में शिक्षकों की भारी कमी हो जाएगी।
वहीं, शिक्षा मित्रों के प्रदर्शन और आत्मदाह की कोशिशों को देखते हुए उन्हें टीईटी से छूट दी जानी चाहिए।
वहीं, शिक्षा मित्रों के प्रदर्शन और आत्मदाह की कोशिशों को देखते हुए उन्हें टीईटी से छूट दी जानी चाहिए।
एनसीटीई को लिखे पत्र में यह तर्क भी दिया गया है कि उत्तराखंड में शिक्षामित्रों का सहायक अध्यापक पद पर समायोजन किया जा चुका है। यूपी और उत्तराखंड में शिक्षामित्रों की स्थिति एक जैसी ही है। वहीं, आरटीई के प्रभावी होने के पहले ही प्रदेश में शिक्षा मित्र लगभग 15-16 वर्षों से पढ़ा रहे हैं।
एनसीटीई चेयरमैन को भेजे गए पत्र में मुख्य सचिव की ओर से कहा गया है कि प्रदेश के स्कूलों में आरटीई के अनुसार 1:40 का अध्यापक-छात्र अनुपात बनाए रखने के लिए सर्व शिक्षा अभियान के तहत लगभग 1.70 लाख शिक्षा मित्र रखे गए थे। इनकी संविदा के स्वतः नवीनीकरण का प्रावधान लागू किया गया था। आरटीई लागू होने के बाद राज्य सरकार ने शिक्षामित्रों की नई नियुक्तियां बंद कर दीं।
शिक्षा मित्र संघ के जिलाध्यक्ष सुशील कुमार का कहना है कि मुख्य सचिव ने एनसीटीई को पत्र लिखकर उनका मनोबल बढ़ाया है। हम इसका तहेदिल से स्वागत करते हैं। केंद्र सरकार से भी हमारी मांग है कि हमरा सहयोग करे और टीईटी से छूट दे। उन्होंने कहा कि इसको लेकर वे दिल्ली में जंतर-मंतर पर प्रदर्शन करेंगे।
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