'सरकार को नियमावली पर बाध्य नहीं कर सकता कोर्ट'
इलाहाबाद - इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि कोर्ट सरकार को सेवा नियम बनाने का आदेश नहीं दे सकती। इसके साथ ही कोर्ट ने प्रदेश के कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालयों के शिक्षकों के लिए सेवा नियमावली बनाने का निर्देश जारी करने से इनकार कर दिया और इसकी मांग को लेकर दाखिल याचिका खारिज कर दी।
कोर्ट में कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालयों में 11 माह के लिए नियुक्त किये जा रहे शिक्षकों की नियुक्ति के नवीनीकरण की समस्याओं को उठाया गया था।
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इलाहाबाद - इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि कोर्ट सरकार को सेवा नियम बनाने का आदेश नहीं दे सकती। इसके साथ ही कोर्ट ने प्रदेश के कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालयों के शिक्षकों के लिए सेवा नियमावली बनाने का निर्देश जारी करने से इनकार कर दिया और इसकी मांग को लेकर दाखिल याचिका खारिज कर दी।
कोर्ट में कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालयों में 11 माह के लिए नियुक्त किये जा रहे शिक्षकों की नियुक्ति के नवीनीकरण की समस्याओं को उठाया गया था।
यह आदेश चीफ जस्टिस डॉ. डीवाई चन्द्रचूड़ और जस्टिस
यशवंत वर्मा की खण्डपीठ ने बदायूं के रोहितास सिंह की याचिका पर दिया है।
याची का कहना था कि कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालयों के शिक्षकों
के लिए नियमावली नहीं बनायी गयी है, जो अनिवार्य शिक्षा कानून के विपरीत
है।
प्रदेश सरकार के स्थायी अधिवक्ता का कहना था कि इन विद्यालयों के शिक्षकों के लिए केन्द्र सरकार की योजना है। यह योजना हर साल बदलती रहती है। प्रदेश सरकार केन्द्र सरकार की इस योजना को क्रियान्वित करने में मदद करती है। ऐसे में नियमावली बनाने का अधिकार केन्द्र सरकार को है।
कोर्ट ने योजना से जुड़े नियमों और कागजात की जांच करने के बाद कहा कि ऐसे विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों की सेवा केन्द्र सरकार की योजना पर आधारित है, इसलिए योजना से इतर सेवा नियमावली बनाने का निर्देश कोर्ट द्वारा संविधान के अनुच्छेद 226 के अन्तर्गत नहीं दिया जा सकता।
प्रदेश सरकार के स्थायी अधिवक्ता का कहना था कि इन विद्यालयों के शिक्षकों के लिए केन्द्र सरकार की योजना है। यह योजना हर साल बदलती रहती है। प्रदेश सरकार केन्द्र सरकार की इस योजना को क्रियान्वित करने में मदद करती है। ऐसे में नियमावली बनाने का अधिकार केन्द्र सरकार को है।
कोर्ट ने योजना से जुड़े नियमों और कागजात की जांच करने के बाद कहा कि ऐसे विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों की सेवा केन्द्र सरकार की योजना पर आधारित है, इसलिए योजना से इतर सेवा नियमावली बनाने का निर्देश कोर्ट द्वारा संविधान के अनुच्छेद 226 के अन्तर्गत नहीं दिया जा सकता।
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