राज्य ब्यूरो, इलाहाबाद : प्रदेश भर के अशासकीय माध्यमिक विद्यालयों के उन शिक्षकों पर शिकंजा कसने की तैयारी है जो कोर्ट के अंतरिम आदेश पर वेतन पा रहे हैं। ऐसे शिक्षकों को तय समय पर चयन वेतनमान एवं प्रोन्नति वेतनमान से भी महरूम होना पड़ सकता है।
शिक्षा निदेशालय ने इस संबंध में शासन को प्रस्ताव भेजा है। उस पर मुहर लगते ही अंतरिम आदेश पर वेतन पाने वाले शिक्षक विभागीय लाभ से दरकिनार हो जाएंगे।
अशासकीय माध्यमिक विद्यालयों में वैसे तो शिक्षकों की नियुक्ति माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड के जरिए होती हैं। इन स्कूलों में ऐसे शिक्षकों की भी कमी नहीं है जिनकी नियुक्ति कालेज के प्रबंधतंत्र एवं जिला विद्यालय निरीक्षक की सहमति से कुछ समय के लिए हुई और न्यायालय के अंतरिम आदेश पर उन्हें वेतन भुगतान भी होने लगा।
नियमानुसार चयन बोर्ड से चयनित शिक्षक आने पर कुछ समय के लिए तैनात शिक्षकों की नियुक्ति खत्म हो जाती है, लेकिन तमाम ऐसे विद्यालय हैं जहां के प्रबंधतंत्र ने बोर्ड के चयनित शिक्षकों को कार्यभार ग्रहण नहीं कराया या फिर उन स्कूलों में चयन बोर्ड से कोई भेजा ही नहीं गया। ऐसे में कुछ समय के लिए तैनात शिक्षकों का सेवाकाल बढ़ता गया। अंतरिम आदेश से वेतन पा रहे शिक्षक विभागीय लाभ पाने की स्थिति में भी पहुंच गए। ऐसे शिक्षक चयन वेतनमान एवं प्रोन्नत वेतनमान देने की मांग प्रमुखता से कर रहे हैं। यह समस्या निरंतर बढ़ने और हर तरफ से मांग उठने पर शासन ने इस संबंध में शिक्षा निदेशालय से प्रस्ताव मांगा। इसमें काफी मंथन के बाद शासन को यह प्रस्ताव भेजा गया है कि अंतरिम आदेश पर वेतन पाने वाले शिक्षकों को चयन वेतनमान एवं प्रोन्नत वेतनमान न दिया जाए बल्कि वह सामान्य शिक्षक ही तरह कार्यरत रहे। प्रस्ताव में कहा गया है कि अन्य चयनित शिक्षकों की तरह उन्हें विभागीय लाभ न दिया जाए। यह प्रस्ताव एक शिक्षक के प्रकरण को आधार बनाकर किया गया है।
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शिक्षा निदेशालय ने इस संबंध में शासन को प्रस्ताव भेजा है। उस पर मुहर लगते ही अंतरिम आदेश पर वेतन पाने वाले शिक्षक विभागीय लाभ से दरकिनार हो जाएंगे।
अशासकीय माध्यमिक विद्यालयों में वैसे तो शिक्षकों की नियुक्ति माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड के जरिए होती हैं। इन स्कूलों में ऐसे शिक्षकों की भी कमी नहीं है जिनकी नियुक्ति कालेज के प्रबंधतंत्र एवं जिला विद्यालय निरीक्षक की सहमति से कुछ समय के लिए हुई और न्यायालय के अंतरिम आदेश पर उन्हें वेतन भुगतान भी होने लगा।
नियमानुसार चयन बोर्ड से चयनित शिक्षक आने पर कुछ समय के लिए तैनात शिक्षकों की नियुक्ति खत्म हो जाती है, लेकिन तमाम ऐसे विद्यालय हैं जहां के प्रबंधतंत्र ने बोर्ड के चयनित शिक्षकों को कार्यभार ग्रहण नहीं कराया या फिर उन स्कूलों में चयन बोर्ड से कोई भेजा ही नहीं गया। ऐसे में कुछ समय के लिए तैनात शिक्षकों का सेवाकाल बढ़ता गया। अंतरिम आदेश से वेतन पा रहे शिक्षक विभागीय लाभ पाने की स्थिति में भी पहुंच गए। ऐसे शिक्षक चयन वेतनमान एवं प्रोन्नत वेतनमान देने की मांग प्रमुखता से कर रहे हैं। यह समस्या निरंतर बढ़ने और हर तरफ से मांग उठने पर शासन ने इस संबंध में शिक्षा निदेशालय से प्रस्ताव मांगा। इसमें काफी मंथन के बाद शासन को यह प्रस्ताव भेजा गया है कि अंतरिम आदेश पर वेतन पाने वाले शिक्षकों को चयन वेतनमान एवं प्रोन्नत वेतनमान न दिया जाए बल्कि वह सामान्य शिक्षक ही तरह कार्यरत रहे। प्रस्ताव में कहा गया है कि अन्य चयनित शिक्षकों की तरह उन्हें विभागीय लाभ न दिया जाए। यह प्रस्ताव एक शिक्षक के प्रकरण को आधार बनाकर किया गया है।
इन्हें मिलते विभागीय लाभ
अशासकीय माध्यमिक स्कूल में कार्यरत शिक्षकों को 10 वर्ष की सेवा पूरी होने पर चयन वेतनमान एवं इसके बाद 12 वर्ष की सेवा पूरी होने पर प्रोन्नत वेतनमान दिया जाता है। इस समय प्रदेश भर में करीब तीन से चार हजार शिक्षक लाभ पाने की कतार में हैं।Sponsored links :
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