जासं, इलाहाबाद :
राजकीय माध्यमिक विद्यालयों (जीआइसी) के लिए हुई एलटी ग्रेड शिक्षक भर्ती
में फर्जीवाड़ा थमने का नाम नहीं ले रहा है। द्वितीय काउंसिलिंग में चयनित
अभ्यर्थियों के सत्यापन को विभिन्न बोर्ड व विश्वविद्यालय को भेजे गए
शैक्षिक अभिलेखों में भी फर्जीवाड़ा उजागर हो रहा है।
इससे विभाग की नींद उड़ी हुई है। ऐसे ही रहा तो शिक्षक नियुक्ति प्रक्रिया पूरी होने में मुश्किल होगी। अभिलेख सत्यापन के बाद प्राप्त हो रहे फर्जी अंक पत्र की सूचना पर अधिकारी गंभीर हैं। उनकी सूची बनाने की प्रकिया शुरू है।
एलटी ग्रेड शिक्षक भर्ती के तहत मंडल में कुल 293 पद थे।
पहली काउंसिलिंग में 156 अभ्यर्थी सेलेक्ट हुए थे। जिसमें 74 ने विभिन्न राजकीय कालेज में ज्वाइन कर लिया। जबकि 82 के ज्वाइन नहीं करने पर उनके नियुक्ति पत्र निरस्त किए जा चुके हैं। उनके स्थान पर वरीयता क्रम में 23 से 25 नवंबर 2015 में फिर से 219 पदों पर फिर से काउंसिलिंग कराई गई थी। अभ्यर्थियों के प्रमाण पत्रों के सत्यापन के लिए विभिन्न बोर्ड व विश्वविद्यालय भेज दिए गए थे। अभी तक लगभग दस प्रतिशत अभ्यर्थियों के अभिलेख में कमियां उजागर हो चुकी हैं। इसमें ज्यादा संख्या बीए व बीएड के प्रमाण पत्रों में है। अधिक अंक दर्शाया गया है। कुछ के रिकार्ड तो विश्वविद्यालय में उपलब्ध ही नहीं है। ऐसी स्थिति बनी रही तो पदों को भरने के लिए विभाग को दोबारा काउंसिलिंग करानी पड़ सकती है।
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इससे विभाग की नींद उड़ी हुई है। ऐसे ही रहा तो शिक्षक नियुक्ति प्रक्रिया पूरी होने में मुश्किल होगी। अभिलेख सत्यापन के बाद प्राप्त हो रहे फर्जी अंक पत्र की सूचना पर अधिकारी गंभीर हैं। उनकी सूची बनाने की प्रकिया शुरू है।
एलटी ग्रेड शिक्षक भर्ती के तहत मंडल में कुल 293 पद थे।
पहली काउंसिलिंग में 156 अभ्यर्थी सेलेक्ट हुए थे। जिसमें 74 ने विभिन्न राजकीय कालेज में ज्वाइन कर लिया। जबकि 82 के ज्वाइन नहीं करने पर उनके नियुक्ति पत्र निरस्त किए जा चुके हैं। उनके स्थान पर वरीयता क्रम में 23 से 25 नवंबर 2015 में फिर से 219 पदों पर फिर से काउंसिलिंग कराई गई थी। अभ्यर्थियों के प्रमाण पत्रों के सत्यापन के लिए विभिन्न बोर्ड व विश्वविद्यालय भेज दिए गए थे। अभी तक लगभग दस प्रतिशत अभ्यर्थियों के अभिलेख में कमियां उजागर हो चुकी हैं। इसमें ज्यादा संख्या बीए व बीएड के प्रमाण पत्रों में है। अधिक अंक दर्शाया गया है। कुछ के रिकार्ड तो विश्वविद्यालय में उपलब्ध ही नहीं है। ऐसी स्थिति बनी रही तो पदों को भरने के लिए विभाग को दोबारा काउंसिलिंग करानी पड़ सकती है।
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