डा. भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय के लिए छात्रों का भविष्य कोई मायने नहीं
रखता। शौचालय और कबाड़ में पड़ी जिन मार्कशीट-डिग्री को निरस्त बता
सुरक्षित रखने की बात कही जा रही थी, उनको आग के हवाले कर ‘ठिकाने’ लगाया
जा रहा है। पूरे प्रकरण पर अधिकारी अनभिज्ञ बने हुए हैं।
बता दें कि परीक्षा विभाग और डिग्री सेक्शन से सटे शौचालय में हजारों बीए, बीएससी, बीएड की मार्कशीट-डिग्री कचरे में तब्दील हो चुकी हैं। शौचालय फुल हो जाने के बाद खुले में ढेर लगा दिए हैं। ‘अमर उजाला’ ने विश्वविद्यालय प्रशासन की इस करतूत का पर्दाफाश किया।
सूत्र बताते हैं कि रविवार को अवकाश वाले दिन अज्ञात लोगों ने गेट खोलकर एक ढेर में मिट्टी का तेल छिड़क आग लगा दी।
कल फिर आ सकती है एसआईटी
छह लिपिकों समेत आठ आरोपियों के खिलाफ जारी गैर जमानती वारंट एसआईटी ने आगरा पुलिस को सौंप दिए हैं। एसआईटी के डीजी महेंद्र मोदी ने आरोपियों की गिरफ्तारी कराने के लिए आगरा पुलिस के अधिकारियों से बात भी की है। सूत्रों ने बताया कि एसआईटी के अधिकारी दो फरवरी को फिर से आगरा आ सकते हैं। दबिश देने में ज्यादा समय खर्च नहीं किया जाएगा। अगर सात दिन के भीतर आरोपी नहीं पकड़े जाते हैं तो उनके घरों की कुर्की कराने के लिए प्रक्रिया शुरू की जाएगी। अगले सप्ताह इसके लिए कोर्ट में अर्जी दे दी जाएगी।
तो कुर्की की कार्रवाई जाएगी
आगरा। एसआईटी फिलहाल आरोपियों को पकड़ने में पूरी ताकत लगा रही है। लेकिन सूत्रों का कहना है कि अभी तक सिर्फ एक लिपिक पकड़ा जा सका है जबकि वारंट आठ आरोपियों के हैं।
वीसी ने मांगी रिपोर्ट
मार्कशीट-डिग्री शौचालय में पड़ी होने के मामले पर विश्वविद्यालय में हड़कंप की स्थिति है। कुलपति प्रो. मोहम्मद मुजम्मिल ने परीक्षा विभाग और डिग्री सेक्शन से निरस्त मार्कशीट और डिग्री का रिकार्ड तलब किया है। परीक्षा नियंत्रक से भी दो दिन में डेटा कुलपति सचिवालय में जमा कराने के निर्देश दिए हैं।
केंद्रीय मंत्री कराएंगे जांच
मार्कशीट-डिग्री प्रकरण की जांच केंद्रीय मानव संसाधन विकास राज्यमंत्री डा. रामशंकर कठेरिया भी कराएंगे। उनके प्रवक्ता शरद चौहान ने बताया कि मंत्री बाहर हैं, फोन पर उनको पूरे मामले से अवगत कराया है। तीन फरवरी को आगरा आने पर कुलपति के समक्ष मुद्दा उठाया जाएगा।
विश्वविद्यालय प्रशासन का एक और ‘अपराध’
डेढ़ साल में मिल पाया शिवपूजन का सही पता
आगरा। फर्जी मार्कशीट प्रकरण में डेढ़ साल से फरार चल रहे पूर्व कुलसचिव शिवपूजन सिंह का घर मिल गया है। लोकसेवा आयोग में उनके नियुक्ति रिकार्ड से पता चला है कि वे आजमगढ़ के ही रहने वाले हैं। इससे पहले यूनिवर्सिटी के दस्तावेज में भी उनका पता इसी जिले का मिला था, लेकिन जांच में यह फर्जी पाया गया था। गैर जमानती वारंट तामील कराने के लिए एसआईटी ने एक कांस्टेबल को भेज दिया है।
शिवपूजन सिंह के खिलाफ दो केस दर्ज हैं। एक आगरा पुलिस ने किया था। दूसरा एसआईटी ने। पहले केस में उनके खिलाफ गैर जमानती वारंट हैं।
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बता दें कि परीक्षा विभाग और डिग्री सेक्शन से सटे शौचालय में हजारों बीए, बीएससी, बीएड की मार्कशीट-डिग्री कचरे में तब्दील हो चुकी हैं। शौचालय फुल हो जाने के बाद खुले में ढेर लगा दिए हैं। ‘अमर उजाला’ ने विश्वविद्यालय प्रशासन की इस करतूत का पर्दाफाश किया।
सूत्र बताते हैं कि रविवार को अवकाश वाले दिन अज्ञात लोगों ने गेट खोलकर एक ढेर में मिट्टी का तेल छिड़क आग लगा दी।
कल फिर आ सकती है एसआईटी
छह लिपिकों समेत आठ आरोपियों के खिलाफ जारी गैर जमानती वारंट एसआईटी ने आगरा पुलिस को सौंप दिए हैं। एसआईटी के डीजी महेंद्र मोदी ने आरोपियों की गिरफ्तारी कराने के लिए आगरा पुलिस के अधिकारियों से बात भी की है। सूत्रों ने बताया कि एसआईटी के अधिकारी दो फरवरी को फिर से आगरा आ सकते हैं। दबिश देने में ज्यादा समय खर्च नहीं किया जाएगा। अगर सात दिन के भीतर आरोपी नहीं पकड़े जाते हैं तो उनके घरों की कुर्की कराने के लिए प्रक्रिया शुरू की जाएगी। अगले सप्ताह इसके लिए कोर्ट में अर्जी दे दी जाएगी।
तो कुर्की की कार्रवाई जाएगी
आगरा। एसआईटी फिलहाल आरोपियों को पकड़ने में पूरी ताकत लगा रही है। लेकिन सूत्रों का कहना है कि अभी तक सिर्फ एक लिपिक पकड़ा जा सका है जबकि वारंट आठ आरोपियों के हैं।
वीसी ने मांगी रिपोर्ट
मार्कशीट-डिग्री शौचालय में पड़ी होने के मामले पर विश्वविद्यालय में हड़कंप की स्थिति है। कुलपति प्रो. मोहम्मद मुजम्मिल ने परीक्षा विभाग और डिग्री सेक्शन से निरस्त मार्कशीट और डिग्री का रिकार्ड तलब किया है। परीक्षा नियंत्रक से भी दो दिन में डेटा कुलपति सचिवालय में जमा कराने के निर्देश दिए हैं।
केंद्रीय मंत्री कराएंगे जांच
मार्कशीट-डिग्री प्रकरण की जांच केंद्रीय मानव संसाधन विकास राज्यमंत्री डा. रामशंकर कठेरिया भी कराएंगे। उनके प्रवक्ता शरद चौहान ने बताया कि मंत्री बाहर हैं, फोन पर उनको पूरे मामले से अवगत कराया है। तीन फरवरी को आगरा आने पर कुलपति के समक्ष मुद्दा उठाया जाएगा।
विश्वविद्यालय प्रशासन का एक और ‘अपराध’
डेढ़ साल में मिल पाया शिवपूजन का सही पता
आगरा। फर्जी मार्कशीट प्रकरण में डेढ़ साल से फरार चल रहे पूर्व कुलसचिव शिवपूजन सिंह का घर मिल गया है। लोकसेवा आयोग में उनके नियुक्ति रिकार्ड से पता चला है कि वे आजमगढ़ के ही रहने वाले हैं। इससे पहले यूनिवर्सिटी के दस्तावेज में भी उनका पता इसी जिले का मिला था, लेकिन जांच में यह फर्जी पाया गया था। गैर जमानती वारंट तामील कराने के लिए एसआईटी ने एक कांस्टेबल को भेज दिया है।
शिवपूजन सिंह के खिलाफ दो केस दर्ज हैं। एक आगरा पुलिस ने किया था। दूसरा एसआईटी ने। पहले केस में उनके खिलाफ गैर जमानती वारंट हैं।
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