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गुरुजी के बंक टेस्ट में 'बायोमीट्रिक' ही फेल

GORAKHPUR: शासन ने बेसिक शिक्षा विभाग कार्यालय में जुलाई में बायोमीट्रिक मशीन लगवाई। मंशा थी साहब से लेकर कर्मचारियों तक पर अंकुश लगाने की, लेकिन यह संभव नहीं हो सका। उल्टे एक माह बाद मशीन पर ही 'अंकुश' लग गई। अगस्त में मशीन जो खराब हुई आज तक नहीं बन पाई।
विभाग के गलियारे में इस बात की चर्चा है कि मशीन खराब हुई या खराब की गई? यदि खराब हो गई तो फिर उसे ठीक कराने की कोशिश क्यों नहीं हुई?
हजम न हुई आठ घंटे की ड्यूटी

शासन को लगातार शिक्षकों और बेसिक शिक्षा विभाग में काम करने वाले कर्मचारियों के ड्यूटी से गायब रहने की शिकायतें मिल रही थी। इस पर नियंत्रण लगाने के लिए शासन ने विभाग के ऑफिस में जुलाई में बायोमीट्रिक मशीन लगवा दी। कर्मचारियों को समय से ऑफिस पहुंचने और आठ घंटे की ड्यूटी पूरी करने की हिदायत दी गई। वहीं प्राइमरी स्कूल से गायब रहने वाले शिक्षकों के लिए भी बायाीमेट्रिक मशीन लगाने का निर्देश बीएसए को दिया गया। पहले फेज में बीएसए ऑफिस में ही मशीन लगी लेकिन एक माह बाद ही खराब हो गई.

बढ़ गई थी सख्ती
मशीन मात्र एक महीने तक ही ठीक रही लेकिन इस दौरान ऑफिस में सख्ती बढ़ गई थी। सभी कर्मचारी 10 बजते ही बीएसए ऑफिस पहुंच जाते थे। काम समाप्त होने के बाद समय से पंचिंग कर घर जाते थे। इसमें कर्मचारियों के साथ खुद साहब भी शामिल थे। मशीन खराब होते ही सब फिर पुरानी व्यवस्था में लौट गए। कुछ कर्मचारियों का कहना है कि बायोमीट्रिक वाला एक माह काफी बुरा गुजरा। इसलिए खुद साहब भी नहीं चाहते कि मशीन ठीक हो।
बॉयोमीट्रिक मशीन जल्द ठीक करा ली जाएगी। इस सत्र से उसी पर अटेंडेंस होगा.
- ओमप्रकाश यादव, बीएसए
मशीन कैसे खराब हो गई और फिर क्यों ठीक नहीं कराई गई, इसकी जांच कराई जाएगी। इसके लिए जिम्मेदार पर कार्रवाई होगी.
- ओएन सिंह, जिलाधिकारी
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