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'बाहर' के छात्रों ने लगाई अक्ल, यूपी चलो मिलेगी नकल

आगरा नकल के रास्ते में कोई रुकावट न आए, इसलिए छात्रों ने शहर ही नहीं अपना बोर्ड भी छोड़ने की ठान ली है। राजस्थान, मध्य प्रदेश जैसे पड़ोसी राज्यों के हजारों बच्चों ने आगरा के स्कूलों में 10वीं, 12वीं में पास होने के लिए दस्तक दी है।
अधिकारियों ने बताया कि इसके पीछे का सबसे बड़ा कारण है कि बाकी बोर्ड्स के मुकाबले यूपी बोर्ड में नकल जैसी सुविधाएं आसानी से उपलब्ध हो जाना। शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने बताया कि करीब 4,000 छात्र ने अपना बोर्ड स्विच कर आगरा में ऐडमिशन लिया है और अभी यह संख्या दोगुनी भी हो सकती है।

उच्चतर माध्यमिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने बताया, 'मध्य प्रदेश व राजस्थान के ज्यादातर छात्रों के ट्रांसफर सर्टिफिकेट्स संदिग्ध हैं। इनमें से तमाम सर्टिफिकेट्स में जरूरी हस्ताक्षर गायब हैं, तो किसी में स्टांप इतने हल्के हैं कि दिखाई ही नहीं दे रहे। कुछ में तो डीटेल्स फर्जी तरीके से भरी हुई लग रही हैं। ऐसे मामलों की पहचान कर स्कूल अथॉरिटीज से दोबारा दस्तावेज मंगवाए जाएंगे।'


सूत्रों ने बताया कि शहर के भीतरी इलाकों में नकल माफियाओं व कुछ निजी कॉलेजों का गैंग सक्रिय है, जो 15 से 20 हजार में छात्रों को परीक्षाओं के दौरान नकल का पूरा भरोसा देते हैं।

आगरा के उच्चतर माध्यमिक शिक्षा विभाग ने ऐसे स्कूलों की पहचान भी की है, जो इस तरह के छात्रों को 'पनाह' देते हैं। अधिकारियों ने बताया कि इस तरह के ज्यादातर मामले बाह, जैतपुर कलां, फतेहपुर सीकरी, खेरागढ़, सैन्या, पिनहट, जगनेर व किरोली से सुनने को मिलते हैं।

स्कूलों के जिला इंस्पेक्टर जितेंद्र यादव कहते हैं कि इस साल यूपी बोर्ड में एक सॉफ्टवेयर प्रयोग में लाया जा रहा है, जो परीक्षाओं के ऑनलाइन आवेदनों में होने वाली धोखाधड़ी की जांच करेगा।

उन्होंने बताया, 'यह सॉफ्टवेयर तमाम फर्जी आवेदनों की पहचान कर उन्हें निरस्त भी कर चुका है। हम जिले के भीतर इस तरह के मामलों की पहचान कर रहे हैं व डॉक्युमेंट्स की भी जांच जारी है। फर्जी छात्र परी
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