फर्जी अंकपत्रों पर 22 शिक्षकों की सेवाएं समाप्त, अंकपत्रों के सत्यापन से खुला जिले में बड़ा फर्जीवाड़ा

फर्जी अंकपत्रों से नौकरी पा चुके 22 शिक्षक सत्यापन में फंस गए। बनारस व कानपुर यूनिवर्सिटी ने सत्यापन के लिए भेजे गए अंकपत्रों और प्रमाण पत्रों को नकार दिया है।
सत्यापन में फेल पाए गए सभी 22 शिक्षकों को बीएसए विनय कुमार ने न सिर्फ नौकरी से बाहर कर दिया है, बल्कि शैक्षिक कागजातों में कूट रचना करने का दोषी मानते हुए मुकदमा दर्ज कराने के आदेश किए है।
वर्ष 2013 में शिक्षक भर्ती के दौरान दीपचन्द्र सिंह पुत्र केशव प्रसाद, सुरेश चन्द्र पुत्र शिव गोविन्द, अजरुन पुत्र हरिमोहन, राजू पुत्र राकेश गुप्ता, अनिल पुत्र बिहारी लाल, घनश्याम पुत्र रामसजीवन, अभिलेश पुत्र रामभजन, अमर बहादुर पुत्र आशाराम, राजाध्यान सिंह पुत्र सुरपति, संदीप पुत्र महिपाल, रमेश बहादुर पुत्र कामता, सुरेश पुत्र सत्येन्द्र, बीरभान पुत्र धनराज, नरेश पुत्र राम बालक सिंह, विजय पाल पुत्र गंगा प्रसाद, संदीप पुत्र सीताराम, लालिती पुत्री केदार नाथ, गीता यादव पुत्री भुआल, राजमति पुत्री राम नाथ और पुष्पा पुत्री सुरपति बतौर सहायक अध्यापक भर्ती हुए थे। सत्यापन के दौरान इनके प्रमाण पत्र गलत पाए गए, जिसके चलते वर्ष जुलाई 2014 में विभाग ने इन्हें बर्खास्त कर छोड़ दिया। 2016 शिक्षक भर्ती में एक बार फिर शिक्षकों का सत्यापन हुआ, जिसमें मोहम्मद अहमद पुत्र महबूब, रागिनी सिंह पुत्री संतबख्स सिंह के कागजात फर्जी पाए गए है। बीएसए ने दोनों शिक्षकों को बर्खास्त करने के साथ दो साल से कार्रवाई से बच रहे पुराने बर्खास्त 20 शिक्षकों से समेत कुल 22 शिक्षकों की सभी तरह की सेवाएं समाप्त कर मुकदमा दर्ज करने की संस्तुति कर दी।

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