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मेहनत पर पानी फेर रहे हैं फर्जी विश्वविद्यालय, यूजीसी ने देश में कुल 22 संस्थानों को माना फर्जी, सूची देखने के लिए क्लिक करें

इलाहाबाद : छात्रों की वर्षो की मेहनत और अभिभावकों की गाढ़ी कमाई पर फर्जी शिक्षण संस्थान पानी फेर रहे हैं। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने देश में कुल 22 संस्थानों को 22 फर्जी माना है। इनमें इलाहाबाद के दो और उत्तर प्रदेश के कुल आठ शिक्षण संस्थान शामिल हैं।
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने अपनी अधिकारिक वेबसाइट पर 22 ऐसे विश्वविद्यालयों की जानकारी दी है जिन्हें वह फर्जी मानता है। आयोग का स्पष्ट कहना है कि वह अधिनियम की धारा 23 में मानकों के तहत स्थापित संस्थाओं को ही मान्यता देता है। आयोग के सचिव डा. जसपाल सिंह सिंधू के हस्ताक्षर से यह सूची इस साल पहले 30 जून को बेवसाइट पर डाली गई थी। चार अगस्त को फिर इस बारे में रिमाइंडर जारी किया गया। यूजीसी की बेवसाइट पर जिन संस्थानों को फर्जी बताया गया है उनमें कामर्शियल युनिवर्सिटी लिमिटेड दरियागंज, नई दिल्ली, यूनाइटेड नेशंस युनिवर्सिटी दिल्ली, वोकेशनल युनिवर्सिटी दिल्ली, मैथिली विश्वविद्यालय दरभंगा, बिहार, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एंड इंजीनिय¨रग, नई दिल्ली, एडीआर सेंट्रिक जुरिडिकल यूनिवर्सिटी, राजेंद्र प्लेस, दिल्ली, बदगंवी सर्कार व‌र्ल्ड ओपन युनिवर्सिटी एजुकेशन सोसाइटी, गोकक कर्नाटक, सेंट जोंस युनिवर्सिटी, किशानात्तम, केरल, राजा अराबिक युनिवर्सिटी, नागपुर महाराष्ट्र, डीडीबी संस्कृत युनिवर्सिटी, पुतुर, त्रिची, तमिलनाडु, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ अल्टरनेटिव मेडिसिन, कोलकाता, इंस्टीट्यूट आफ अल्टरनेटिव मेडिसिन एंड रिसर्च ठाकुरपुर, कोलकाता, नवभारत शिक्षा परिषद्, अन्नपूर्णा भवन, राउरकेला, ओडीशा शमिल हैं। उत्तर प्रदेश में चल रहे वाराणस्या संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी, महिला ग्राम विद्यापीठ विश्वविद्यालय, प्रयाग इलाहाबाद व गाधी हिंदी विद्यापीठ, प्रयाग, नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ इलेक्ट्रो काम्प्लेक्स होमियोपैथी, कानपुर, नेताजी सुभाष चन्द्र बोस यूनिवर्सिटी (ओपन यूनिवर्सिटी), उत्तर प्रदेश विश्वविद्यालय , कोसी कलन, मथुरा, महाराणा प्रताप शिक्षा निकेतन विश्वविद्यालय, प्रतापगढ़, इंद्रप्रस्थ शिक्षा परिषद, मकनपुर, नोएडा, गुरुकुल विश्वविद्यालय, वृंदावन शामिल है।

ज्ञान बांटने के नाम पर लूट: इलाहाबाद राज्य विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राजेंद्र प्रसाद कहते हैं कि ज्ञान आज उद्योग का रूप ले चुका है। शिक्षा माफिया हर तरफ हावी है। ऐसे में अभिभावकों को सोच समझकर अपने बच्चों दाखिला कराना चाहिए।
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