राज्य ब्यूरो, इलाहाबाद : राजकीय माध्यमिक कॉलेजों में एलटी ग्रेड भर्ती का विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। विभाग में लंबे समय से शारीरिक शिक्षा अध्यापकों की नियुक्ति नहीं हो पा रही है, क्योंकि पिछली तीन भर्तियों में अफसरों ने गुणवत्ता बिंदु तय नहीं किया था इसलिए चयन नहीं हुआ और इस बार अर्हता ही बदल दी गई है।
इससे शारीरिक शिक्षा में डिप्लोमा करने वाले अभ्यर्थी फिर बाहर हो रहे हैं। 1प्रदेश के राजकीय कॉलेजों में इन दिनों एलटी ग्रेड के 9342 पदों पर भर्ती प्रक्रिया चल रही है। इसमें युवाओं से विषयवार 26 जनवरी तक आवेदन मांगे गए हैं। इस भर्ती में सहायक अध्यापक शारीरिक शिक्षा के लिए अनिवार्य योग्यता स्नातक के साथ किसी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से बीपीएड अथवा बीपीई मांगा गया है, वहीं डीपीएड करने वाले अब दावेदारी के अर्ह नहीं रहे। सूबे में ऐसे अभ्यर्थियों की बड़ी तादाद है और एकाएक अर्हता बदल जाने से हड़कंप मचा है। डीपीएड करने वालों के साथ विभाग ने ऐसा कार्य पहली बार नहीं किया है, बल्कि यह कई बार से हो रहा है। स्मृति त्रिपाठी बताती हैं कि पहले तीन बार 2011, 2013 एवं 2015 में संयुक्त शिक्षा निदेशक के स्तर से मंडल में शारीरिक शिक्षा अध्यापकों की नियुक्ति का विज्ञापन निकाला गया, उसमें अर्हता डीपीएड यानी डिप्लोमा इन फिजिकल एजुकेशन रखी गई और हर बार बड़ी संख्या में आवेदन भी हुए, लेकिन सरकार ने गुणवत्ता बिंदु का मानक तय नहीं किया था इसलिए तीनों बार मेरिट न बनने से नियुक्ति नहीं हो सकी। वहीं, अन्य विषयों हंिदूी, अंग्रेजी, गणित, विज्ञान आदि पदों पर नियुक्तियां की गई।
अभ्यर्थी यह सवाल कर रहे हैं कि आखिर डीपीएड करने वाले युवा अब कहां जाएं। युवाओं का कहना है कि प्रदेश के राजकीय कॉलेजों में ही यह नाटक हो रहा है। इसके अलावा नवोदय विद्यालय समिति तथा केंद्रीय विद्यालय संगठन डीपीएड को मान्य कर रहे हैं। वहां 2016 में टीजीटी शारीरिक शिक्षा पद के लिए जो विज्ञापन जारी हुआ उसमें डीपीएड योग्यता धारी मांगे गए, उसकी लिखित परीक्षा बीते 11 दिसंबर एवं आठ जनवरी को हो चुकी है। युवाओं ने शिक्षा निदेशक माध्यमिक से भी अर्हता पर दोबारा विचार करने का अनुरोध किया है, ताकि भर्तियों में सभी को मौका मिल सके। 1कला, संगीत विषय की नियुक्ति नहीं : राजकीय माध्यमिक कॉलेजों के लिए मंडल स्तर पर हुई पिछली तीन भर्तियों में शारीरिक शिक्षा के अलावा कला व संगीत विषय की भी नियुक्ति नहीं हो सकी है, क्योंकि इन विषयों का गुणवत्ता मानक सरकार ने तय नहीं किया।
2011, 2013 एवं 2015 की भर्तियों में गुणवत्ता बिंदु मानक ही नहीं था
2016 की भर्ती अर्हता बदलने से युवा परेशान, टूट रही नियुक्ति की उम्मीद
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इससे शारीरिक शिक्षा में डिप्लोमा करने वाले अभ्यर्थी फिर बाहर हो रहे हैं। 1प्रदेश के राजकीय कॉलेजों में इन दिनों एलटी ग्रेड के 9342 पदों पर भर्ती प्रक्रिया चल रही है। इसमें युवाओं से विषयवार 26 जनवरी तक आवेदन मांगे गए हैं। इस भर्ती में सहायक अध्यापक शारीरिक शिक्षा के लिए अनिवार्य योग्यता स्नातक के साथ किसी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से बीपीएड अथवा बीपीई मांगा गया है, वहीं डीपीएड करने वाले अब दावेदारी के अर्ह नहीं रहे। सूबे में ऐसे अभ्यर्थियों की बड़ी तादाद है और एकाएक अर्हता बदल जाने से हड़कंप मचा है। डीपीएड करने वालों के साथ विभाग ने ऐसा कार्य पहली बार नहीं किया है, बल्कि यह कई बार से हो रहा है। स्मृति त्रिपाठी बताती हैं कि पहले तीन बार 2011, 2013 एवं 2015 में संयुक्त शिक्षा निदेशक के स्तर से मंडल में शारीरिक शिक्षा अध्यापकों की नियुक्ति का विज्ञापन निकाला गया, उसमें अर्हता डीपीएड यानी डिप्लोमा इन फिजिकल एजुकेशन रखी गई और हर बार बड़ी संख्या में आवेदन भी हुए, लेकिन सरकार ने गुणवत्ता बिंदु का मानक तय नहीं किया था इसलिए तीनों बार मेरिट न बनने से नियुक्ति नहीं हो सकी। वहीं, अन्य विषयों हंिदूी, अंग्रेजी, गणित, विज्ञान आदि पदों पर नियुक्तियां की गई।
अभ्यर्थी यह सवाल कर रहे हैं कि आखिर डीपीएड करने वाले युवा अब कहां जाएं। युवाओं का कहना है कि प्रदेश के राजकीय कॉलेजों में ही यह नाटक हो रहा है। इसके अलावा नवोदय विद्यालय समिति तथा केंद्रीय विद्यालय संगठन डीपीएड को मान्य कर रहे हैं। वहां 2016 में टीजीटी शारीरिक शिक्षा पद के लिए जो विज्ञापन जारी हुआ उसमें डीपीएड योग्यता धारी मांगे गए, उसकी लिखित परीक्षा बीते 11 दिसंबर एवं आठ जनवरी को हो चुकी है। युवाओं ने शिक्षा निदेशक माध्यमिक से भी अर्हता पर दोबारा विचार करने का अनुरोध किया है, ताकि भर्तियों में सभी को मौका मिल सके। 1कला, संगीत विषय की नियुक्ति नहीं : राजकीय माध्यमिक कॉलेजों के लिए मंडल स्तर पर हुई पिछली तीन भर्तियों में शारीरिक शिक्षा के अलावा कला व संगीत विषय की भी नियुक्ति नहीं हो सकी है, क्योंकि इन विषयों का गुणवत्ता मानक सरकार ने तय नहीं किया।
2011, 2013 एवं 2015 की भर्तियों में गुणवत्ता बिंदु मानक ही नहीं था
2016 की भर्ती अर्हता बदलने से युवा परेशान, टूट रही नियुक्ति की उम्मीद
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