22 तारीख की सुनवाई टल गयी बहुत अच्छा हुआ, क्योंकि...........................

22 तारीख की सुनवाई टल गयी बहुत अच्छा हुआ,क्योंकि हमारी पाँच साल की साख अपनी पूर्णता को तब प्राप्त होती जब शिक्षा मित्रों की ओर से खड़े एक से एक धुरन्धर वकीलों के आगे हमारी ओर से फिर वही सिर्फ अमित पवन और नन्दन कोई खण्डन नही कर पाते।
तारीख से पहले कभी प्रतिदिन 12 लाख के नाम पर वसूली तो कभी ढाई लाख का चेक नेफड़े को दे देने का नया दाँव बेरोजगारों की आँखों में धूल झोंकने से कम नहीं।इनकी टीम के मुनीम जी पूरे प्रदेश भर से हिसाब लेते नहीं थक रहे हैं,जबकि 07 दिसम्बर के बाद किस पे कितना आया किसी से भी छिपा नही है,इस मुद्दे पे कभी अलग पोस्ट में।आज दो गुटों के मसीहा समझे जाने वाले अगुआकारों का परस्पर अध्ययन होगा।जब से हिमांशु राणा और उनकी टीम लड़ाई में आयी है एक भी सीनियर का नाम बतायें जो बाकई खड़े हुये हों(न सिर्फ अपीरेन्स मेन्सन हुयी हो)बेरोजगारों के मसीहा और साधनों से लैस उनकी टीम की तरफ से।07 दिसम्बर के स्टे लगने पर हिमांशु राणा को बेरोजगारों से माफ़ी माँगते हुये अपने तात्कालिक खाता धारक का खाता सार्वजनिक करते हुये बताना चाहिये था कि पैसे की कमी थी।जब हिमांशु राणा स्वयं को शिक्षा मित्र मुद्दे पर सबसे बड़ा रॉबिन हुड मानते हैं तो अभी तक एस एम के बड़े बड़े सीनियर अधिवक्ताओं के सामने उक्त मुद्दे पर 07 दिसम्बर के बाद एक भी सीनियर क्यों नही खड़ा किया?हिमांशु राणा ने ऐसा क्या काम कर दिखाया जिससे कि प्रदेश के आम याची उन्हें गद्दार,भगौड़ा, चंदा चोर आदि नामों से न पुकारें।दरअसल हिमांशु कभी कुछ ठीक करना भी चाहे तो उसकी टीम के अन्य लोग पूरे प्रदेश भर के लड़कों को भाँग घोट घोट के पिलाये पड़े हैं।चंदा मिलने से पहले बड़े वकीलों के नाम पर लूट पाट करते हैं और फिर वहीं डेट पे नन्दन,पवन के सहारे बच के निकल लेते हैं।उनका यह भी तर्क है कि बहस में मुद्दे महत्वपूर्ण होते हैं वकील नहीं तो चाणक्य महोदय ये जान लो कि ये वकीलों की ताकत ही है जो हाईकोर्ट के इतने सख्त आदेश के बाद शिक्षा मित्रों को आज तक वेतन दिलवा रहे हैं।आप के और आपकी टीम का यही मानना है कि जब तक शिक्षा मित्र नही बाहर होंगे किसी का भी चयन नही होगा,और शिक्षा मित्र मुद्दे पर सिर्फ और सिर्फ आपकी टीम न सिर्फ गम्भीर है बल्कि आप सिर के बल चलकर पैरवी भी करते हो।आपकी पैरवी,आम याची के लिये आपकी गम्भीरता नीचे नामी गिरामी वकीलों के साथ साफ़ साफ़ दिख रही है,जबकि उधर शिक्षा मित्र संगठन के गाजी इमाम आला के साथ पी चिदम्बरम, हरीश साल्वे,सलमान खुर्शीद,सचिब संजय सिन्हा के अलावा बेसिक शिक्षा विभाग के अन्य अधिकारियों के साथ उनकी उठा बैठक उनका मुकद्दमे की गम्भीरता और अपनी टीम के प्रति समर्पण का भाव व्यक्त करती है।अपनी टीम व् चेले चपाटों की नौकरी के बाद तुम्हारी गम्भीरता भी गौतम गम्भीर बन गयी है,और जो एक दो अचयनित तुम्हारे साथ लगे हुये भी हैं उन्हें तुम पकवानों में पड़ने वाले तेजपत्ते की तरह निकाल फेंकोगे,तुम्हारी अब तक की पब्लिक डीलिंग और सामाजिक रिश्ते तो यही कहते हैं।कोई कुछ भी कहे किन्तु मैं उत्तर प्रदेश के बेरोजगारों की वर्तमान दशा का ज़िम्मेदार सिर्फ और सिर्फ हिमांशु राणा को मानता हूँ,अविलम्ब ही प्रदेश भर के सभी याचियों को मान लेना होगा कि ये पैरवी के नाम पर अब कुछ भी नहीं करने वाले।अंधभक्तो को गर चश्मा लगाकर भी कुछ नही दिख रहा तो वे अपनी आँखे फोड़ लें,और बेरोजगार साथियों को उनके हालात पे छोड़ दें।तुम केस तो नही ही लड़ोगे हाँ आपस में हम सबको लड़ाओगे वो अलहदा,इनके वकील और मुवक्किल की सबसे बड़ी उपलब्धि एक ही है और वो ये कि एक छोटा सा वकील ऑडी से चल रहा और एक छोटा सा मुवक्किल सियाज़ से।और ये सोनू पंडित की आई डी से ताक झाँक बन्द करके स्कूल में पढ़ाओ,हटो यार तुमसे नही होगा........क्रमशः
संलग्न-पी चिदम्बरम,राजू रामलिगम ,के टी एस तुलसी ,गोपाल सुब्रमण्यम ,संजय सिन्हा ,सरकारी वकील अभिषेक श्रीवास्तव के साथ गाजी इमाम आला और हमारे तारणहार अमित पवन व् आनंद नंदन के साथ।
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