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उप्र को तोहफे के आड़े आयी आचार संहिता

राज्य ब्यूरो, लखनऊ : यह सत्रहवीं विधानसभा के चुनाव की आदर्श आचार संहिता की बंदिश ही थी जो बुधवार को लोकसभा में पेश किये गए वित्तीय वर्ष 2017-18 के केंद्रीय बजट में उत्तर प्रदेश के लिए बड़े एलानों के आड़े आयी।
यूं तो केंद्रीय बजट में किसानों, ग्रामीण आबादी, युवा, वंचित वर्ग और बुनियादी ढांचे आदि से जुड़ी कई घोषणाएं की गईं लेकिन, जैसी कि संभावना थी, उप्र को इस बार कोई खास तोहफा नहीं नसीब हुआ। भारत निर्वाचन आयोग इस बाबत केंद्र सरकार को पहले ही निर्देश दे चुका था कि जिन पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं, उनके बारे में वह केंद्रीय बजट में किसी योजना का एलान न करे। निर्वाचन आयोग के निर्देश का संज्ञान लेते हुए ही मुख्यमंत्री अखिलेश ने भी प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखकर विधानसभा चुनाव के बाद केंद्रीय बजट पेश करने का अनुरोध किया था। मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री का ध्यान आयोग के निर्देशों की ओर आकृष्ट करते हुए कहा था कि बजट में उप्र के लिए विशेष योजना की घोषणा न होने से प्रदेश की 20 करोड़ जनता उसके लाभ से वंचित हो जाएगी। 1वरिष्ठ अर्थशास्त्री डॉ.शकुंतला मिश्र राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय के डीन एकेडमिक्स प्रो.एपी तिवारी के मुताबिक योजनागत व गैर योजनागत व्यय के फर्क को मिटाने और रेल बजट को समाहित करने वाला यह क्रांतिकारी और नवाचारी बजट है। वहीं प्रदेश में विधानसभा चुनाव की आचार संहिता लागू होने और निर्वाचन आयोग के निर्देश के कारण अपेक्षित था कि केंद्रीय बजट में उप्र के लिए उल्लेखनीय घोषणा नहीं होगी। बजट में किसान, ग्रामीण आबादी, युवाओं, शिक्षा और छोटे उद्योगों के लिए की गईं घोषणाओं का उप्र को लाभ मिलेगा। कृषि ऋण के लिए दस लाख करोड़ का आवंटन सवा दो करोड़ अन्नदाताओं वाले उप्र के लिए उपयोगी साबित होगा। खासतौर पर तब जब सूबे की किसान बिरादरी में लघु और सीमांत किसानों की तादाद ज्यादा है।
‘प्रति बूंद अधिक फसल’ लक्ष्य को हासिल करने के लिए नाबार्ड में 2000 करोड़ की आरंभिक निधि से सूक्ष्म सिंचाई कोष की स्थापना सूखे की मार ङोलने वाले बुंदेलखंड के सात जिलों के बाशिंदों के लिए वरदान साबित हो सकती है। दुग्ध प्रसंस्करण एवं अवसंरचना निधि देश के सबसे बड़े दूध उत्पादक राज्य उप्र के किसानों की आमदनी बढ़ाने में सहायक होगी। 1बजट में 350 पाठ्यक्रमों के ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के एलान ने शिक्षण संस्थानों से ड्राप आउट के लिए कुख्यात उप्र के उन युवाओं के लिए उम्मीद जगाई है जो परिवार की आजीविका चलाने की जिद्दोजहद में पढ़ाई छोड़ देते हैं। ऐसे युवाओं को रोजगार के साथ पढ़ाई का विकल्प मिलेगा। कौशल विकास पर बजट के फोकस का लाभ भी उप्र को मिलेगा। प्रदेश के 40 लाख युवा उप्र कौशल विकास मिशन के तहत पंजीकरण करा चुके हैं। प्रदेश में 30 लाख सूक्ष्म, लघु व मध्यम दर्जे की औद्योगिक इकाइयां हैं जिनसे 70 लाख लोगों की रोजी चलती है। इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष मनीष गोयल के मुताबिक 50 करोड़ तक के वार्षिक टर्नओवर वाली कंपनियों के लिए आयकर की दर को घटाकर 25 प्रतिशत करने का स्वागत किया जाना चाहिए। हालांकि उनका यह भी कहना था कि एमएसएमई सेक्टर जो कि देश में कृषि के बाद दूसरा सबसे बड़ा सेकटर है, को बजट से और भी उम्मीदें थीं जो पूरी नहीं हुईं। आइआइए के पूर्व अध्यक्ष संजय कौल के मुताबिक पांच वर्षों में किसानों की आय को दोगुना करने के लक्ष्य से एमएसएमई सेक्टर को फायदा होगा।

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