तेज होगी अंक और योग्यता की जंग, परिषदीय विद्यालयों में टीईटी या फिर एकेडमिक मेरिट के आधार पर भर्तियां कराने का मुद्दा अभी तक अनसुलझा

इलाहाबाद : परिषदीय विद्यालयों में टीईटी या फिर एकेडमिक मेरिट के आधार पर भर्तियां कराने का मुद्दा अभी तक अनसुलझा है। कई विभागों में एकेडमिक मेरिट के आधार पर चयन प्रक्रिया चल रही है, उसका व्यापक विरोध भी हो रहा है।
असल में युवा मेरिट और मेधा को लेकर दो भागों में बंटे हैं। हाल के वर्षो में शैक्षिक योग्यता हासिल करने वाले इसका समर्थन कर रहे हैं तो कुछ साल पहले पढ़ाई पूरी करने वाले खुलकर विरोध में है। सरकारी महकमों में भर्तियां आमतौर पर इम्तिहान के जरिये ही होती रही हैं, इधर के वर्षो में भर्तियों के मानक में तमाम बदलाव हुए हैं। भर्ती परीक्षा के नियम बदलने के साथ ही कई जगहों पर मेरिट को ही आधार बनाकर नियुक्तियां देने का चलन बढ़ा है। बेसिक शिक्षा परिषद के विद्यालयों में 72825 शिक्षकों की भर्ती टीईटी मेरिट के आधार पर हो रही है। हालांकि इसमें अर्ह अभ्यर्थियों की पात्रता परीक्षा कराई गई लेकिन, युवाओं का एक वर्ग अब भी भर्तियां एकेडमिक मेरिट के आधार पर कराने की मांग कर रहा है। पुलिस महकमे में 41 हजार सिपाहियों की भर्ती एकेडमिक मेरिट के आधार पर हुई। इसमें चयन के अन्य विवाद होने के साथ ही मेरिट को लेकर भी युवा गुस्से में है। नियुक्तियां मेरिट से न कराने के लिए युवा हाईकोर्ट तक पहुंचे हैं। उसका अंतिम निर्णय आना शेष है। हाल में राजकीय माध्यमिक कालेजों में एलटी ग्रेड शिक्षकों की भर्ती भी एकेडमिक मेरिट पर कराने की प्रक्रिया चल रही है। इसका भी विरोध हो चुका है।
अंक बढ़वाने के लिए हेराफेरी : मेरिट के जरिये चयन होने का असर यह रहा है कि प्रदेश के अहम संस्थानों में अंक बढ़वाने के लिए हेराफेरी के तमाम मामले सामने आए हैं। यूपी बोर्ड में टीईटी 2011 के टेबुलेशन रिकॉर्ड को बदला गया, क्षेत्रीय कार्यालय में एलटी ग्रेड की 6645 भर्ती में युवाओं ने कर्मचारियों से साठगांठ करके रिकॉर्ड बदले। प्राथमिक शिक्षक बनने के लिए फर्जी अंकपत्र एवं प्रमाणपत्र लगाए गए। यही नहीं यूपी बोर्ड परीक्षा में नकल पर अंकुश न लग पाने की असली वजह मेरिट से चयन ही है।

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