नोटबंदी का असर: नई सरकारी नौकरियां बंद, संविदा कर्मचारी नियमित नहीं करेंगे

नई दिल्ली। नोटबंदी के बाद भले ही आयकर दाताओं की लिस्ट लंबी हो गई हो परंतु दर्जनों अप्रत्यक्ष करों के माध्यम से आने वाली हजारों करोड़ की इंकम पर नोटबंदी का सीधा असर पड़ा है।
अब मोदी सरकार ने सरकारी खर्चों को कम करने का फैसला किया है। इसके तहत तय किया गया है कि अब नई भर्तियां नहीं की जाएंगी। जो कर्मचारी संविदा/ठेका पर हैं उन्हे नियमित नहीं किया जाएगा।
सरकारी खर्च कम करने के लिए अब नए सिरे से प्लानिंग शुरू हो गई है। वित्त सचिव अशोक लवासा के अनुसार सरकार मार्च से पहले खर्च के तौर-तरीकों के नियमों में बड़े सुधार करने का जा रही है। सरकार के खर्च नियंत्रण में मॉडर्न मैनेजमेंट के तरीके अपनाए जाएंगे।
अब दौरे नहीं करेंगे अफसर, नई नौकरियां बंद करेंगे
वित्त मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार अधिकारियों के विदेशी दौरों की संख्या पर नकेल कसी जाएगी। मीटिंग और प्रेस कांफ्रेस की संख्या में कमी के साथ इसके बजट में कटौती की जाएगी। देश के अंदर ही आधिकारिक दौरों को लगभग समाप्त किया जाएगा। विडियो कॉन्फ्रेंसिंग को तवज्जो दी जाएगी। अधिकारियों और ट्रांसपोर्टेशन खर्च की समीक्षा की जा रही है। इसके अलावा सभी विभागों में मैनपावर की लिस्ट मंगाई गई है। अगर किसी विभाग में मैनपावर की कमी है तो नई भर्तियों की जगह अन्य विभागों से मैनपावर को वहां भेजा जाएगा।
संविदा/ठेका कर्मचारियों को अब नियमित नहीं करेंगे
अगर किसी विभाग में मैनपावर की ज्यादा कमी हो तो वहां के कामों की आउटसोर्सिंग की जाएगी यानी नई भर्तियों से बचा जाएगा। सबसे अहम बात है कि सरकारी विभाग में जो कॉन्ट्रैक्ट पर हैं, उनको पर्मानेंट करने की योजना को फिलहाल टाला जाएगा। सरकार का मकसद है कि कम वित्तीय संसाधनों से ज्यादा काम। आर्थिक मामलों के सचिव शक्तिकांता दास का कहना है कि हम उतनी ही राहत दे सकते हैं, जितने वित्तीय संसाधन उसके पास हैं। ज्यादा राहत देने के लिए ज्यादा वित्तीय संसाधन बढ़ाने होंगे।
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