बीटीसी प्रशिक्षुओं के फंसे 27 लाख रुपये

जागरण संवाददाता, इटावा : बमुश्किल आयोजित हुये बीटीसी-2015 के चतुर्थ सेमेस्टर के पेपर सोमवार को निरस्त हो गये। यह परीक्षा 8 से 10 अक्टूबर तक शहर के राजकीय इंटर कालेज केंद्र पर आयोजित की जानी थी। सोशल मीडिया पर सभी प्रश्न पत्र वायरल हो जाने के बाद परीक्षा नियामक प्राधिकारी इलाहाबाद ने परीक्षा को निरस्त करने का फैसला लिया है।
इससे बीटीसी प्रशिक्षुओं में हड़कंप मचा हुआ है। शिक्षा के बाजार में उनके करीब 27 लाख रुपये फंस गये हैं। नाम न छापने की एक शर्त पर एक बीटीसी प्रशिक्षु ने बताया कि जनपद में प्रति विद्यालय में परीक्षा में अच्छे नंबर दिलाने के नाम पर दो से पांच हजार रुपये तक की वसूली की गई थी। औसत अगर लगाया जाये तो प्रति प्रशिक्षु तीन हजार रुपये की अवैध वसूली मान भी ली जाये तो जनपद के 22 कालेजों के 903 परीक्षार्थी परीक्षा दे रहे हैं। ऐसे में इनका करीब 27 लाख रुपया शिक्षा के बाजार में फंस गया है। अब ये प्रशिक्षु परेशान हैं कि परीक्षा कब होगी। वैसे भी पेपर लेट होने की वजह से इन लोगों का नई शिक्षक भर्ती में बैठ पाना मुश्किल लग रहा है। अर्से से चल रहा है यह धंधा परीक्षाओं में अच्छे अंक दिलाने को लेकर अवैध वसूली का धंधा बीटीसी व बीएड कॉलेजों में एक लंबे अर्से से चल रहा है। योगी आदित्य नाथ की सरकार लगातार यह दावा कर रही है कि नकल पर अंकुश लगा दिया गया है परंतु इन कॉलेजों के मामले में ऐसा नहीं है। बीएड व बीटीसी प्रशिक्षुओं से परीक्षाओं के नाम पर हर वर्ष जबर्दस्त वसूली की जाती है। जिला प्रशासन भी इन कॉलेजों को छोड़े रहता है। कई कॉलेज तो इसके लिए कुख्यात हो चुके हैं। इसमें लाइन पार के कुछ कॉलेज भी शामिल हैं। शिकायत होगी तो कार्रवाई होगी डायट प्राचार्य व जिला विद्यालय निरीक्षक राजू राणा ने बताया कि कॉलेजों में अगर अवैध वसूली की जा रही है तो वह नियमत: गलत है। अगर कोई शिकायत आती है तो उसकी जांच कराई जायेगी और उस पर कार्रवाई की जायेगी। डायट में चलने वाले प्रशिक्षण में किसी भी प्रशिक्षु से कोई धन नहीं लिया जाता है। उन्होंने बताया कि परीक्षा निरस्त की गई है यह परीक्षा दोबारा से कराई जायेगी, नई तिथि की घोषणा जल्द होगी।