68500 शिक्षक भर्ती: हाई कोर्ट के सीबीआई जांच के आदेश के खिलाफ डबल बेंच में अपील भ्रष्टाचारियों को बचाने की कार्यवाही, टीईटी में निरस्त आवेदनों में मानवीय भूलों को सुधार करने को लेकर युवा मंच ने पीएनपी पर किया प्रदर्शन

प्रेस विज्ञप्तिः- हाई कोर्ट के सीबीआई जांच के आदेश के खिलाफ डबल बेंच में अपील भ्रष्टाचारियों को बचाने की कार्यवाहीटीईटी में निरस्त आवेदनों में मानवीय भूलों को सुधार करने को लेकर युवा मंच ने पीएनपी पर किया प्रदर्शन इलाहाबाद, हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच द्वारा 68500 शिक्षक भर्ती महाघोटाले की सीबीआई जांच कराने के
आदेश को आंदोलन की जीत बताते हुए युवा मंच के संयोजक राजेश सचान ने कहा कि योगी सरकार द्वारा हाई कोर्ट के आदेश का सम्मान करते हुए सीबीआई जांच करानी चाहिए और ज्यादा बेहतर होगा कि इस विवादित परीक्षा को निरस्त कर तत्काल पुनर्परीक्षा कराई जाये, जिससे नये सिरे से पात्र अभ्यर्थियों का चयन हो सके। उन्होंने कहा कि हाई कोर्ट के निर्णय व कोर्ट की टिप्पणियों से स्पष्ट है कि सरकार इस महाघोटाले से जुड़े अधिकारियों व अन्य प्रभावशाली लोगों को बचाने में लगी है। यही वजह है कि सरकार द्वारा लगातार सीबीआई जांच का विरोध किया जा रहा है। जब दिन में उजाले की तरह साफ है कि इस भर्ती में महाघोटाला हुआ है तब भी सरकार चयनित शिक्षकों के भविष्य के नाम पर डबल बेंच में इस आदेश के खिलाफ अपील करने की बात कह रही है। यह और कुछ नहीं बल्कि महाघोटाले से जुड़े अधिकारियों व अन्य प्रभावशाली लोगों को बचाने की कवायद है। उन्होंने कहा कि छात्र सरकार की हाई कोर्ट के सिंगल बेंच के आदेश के खिलाफ डबल बेंच में अपील करने के निर्णय का चैतरफा विरोध करेंगे। युवा मंच के अध्यक्ष अनिल सिंह के नेतृत्व में छात्रों ने पीएनपी पर प्रदर्शन किया और पीएनपी सचिव अनिल भूषण चतुर्वेदी से वार्ता कर टीईटी के 44 हजार से ज्यादा निरस्त हुए आवेदनों में मानवीय भूल को सुधार कर आवेदनों को स्वीकृत करने की मांग की है। उन्होंने सचिव को बताया कि आवेदन के समय जिस तरह की अफरा तफरी थी उसमें साईबर कैफे संचालकों को आवेदन फार्म भरने में मानवीय भूलें हुई हैं, इसके लिए अभ्यर्थियों की कोई गलती नहीं है। गौरतलब है कि साईबर कैफे संचालक रात भर जाग कर फार्म भर रहे थे जिसकी वजह से गलतियां हुई। इसके लिए पूरी तौर पर पीएनपी व एनआईसी जिम्मेदार है। इसलिए तत्काल इसे दुरस्त कर निरस्त आवेदनों में भूल सुधार को संशोधित कर स्वीकार किया जाये अन्यथा छात्र न्यायालय में मामले को ले जायेंगे। वार्ता में पीएनपी सचिव ने कहा कि इसमें संशोधन संभव नहीं है, इस पर वार्ता में शामिल प्रतियोगियों ने आंदोलन की चेतावनी दी और कहा कि पीएनपी अधिकारियों द्वारा जानबूझ कर विवाद पैदा किये जा रहे हैं जिससे पीएनपी में हुए भ्रष्टाचार से ध्यान हटाया जा सके। अनिल सिंह ने कहा कि अगर समयवभाव में तत्काल संशोधन करना संभव न भी हो तब भी इन अभ्यर्थियों की संख्या को देखते हुए इन्हें प्रोविजनल आधार पर परीक्षा में बैठने की अनुमति दी जानी चाहिए जिससे 44 हजार युवाओं का भविष्य खराब होने से बच सके। उन्होंने कहा कि पीएनपी व लोक सेवा आयोग की एलटी परीक्षा में तमाम मानवीय भूल सुधार करने का मौका पूर्व में दिया गया है। उन्होंने कहा कि पीएनपी में सभी भ्रष्टाचर में आकंठ डूबे हुए है और हालात् इतने खराब है कि इन भ्रष्टाचिारियों को बचाने के लिए पूरी योगी सरकार लगी हुई है।