परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में 68500 सहायक अध्यापक भर्ती की सीबीआई जांच
के आदेश से बेसिक शिक्षा विभाग के अफसरों की नींद उड़ी हुई है।
लिखित परीक्षा के परिणाम में बड़े पैमाने पर धांधली साबित होने के बाद ही सीबीआई जांच के आदेश हुए हैं। हाईकोर्ट में हुई याचिकाओं ने एक-एक कर गड़बड़ी का खुलासा कर दिया।
अनुसूचित जाति वर्ग की छात्रा सोनिका देवी ने सबसे पहले कॉपी बदलने को लेकर याचिका की थी। सोनिका देवी समेत अन्य की याचिका पर ही सीबीआई जांच होने जा रही है। जांच में पता चला की सोनिका देवी समेत कुल 12 अभ्यर्थियों की कॉपियां बदली गई थीं। रिजल्ट तैयार करने वाली एजेंसी ने भी 12 अभ्यर्थियों की कॉपियां बदलने की बात स्वीकार की लेकिन इसके बावजूद सरकार ने एजेंसी के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई नहीं की।
कई अभ्यर्थियों को परीक्षा पास होने के बावजूद फेल कर दिया गया। कोर्ट का मानना है कि परीक्षा नियामक प्राधिकारी ने अपनी शक्तियों का दुरुपयोग करते हुए अपने पसंदीदा अभ्यर्थियों को अनुचित लाभ दिया है। जिसके लिए भ्रष्टाचार का सहारा लिया गया। यह उन अभ्यर्थियों के साथ धोखा है जिन्होंने इस विश्वास के साथ भर्ती के लिए आवेदन किया था कि पारदर्शी तरीके से चयन होगा। लेकिन वे जानकर हैरान हैं कि जानबूझकर अभ्यर्थियों को सही नंबर नहीं दिया गया।
कमेटी में विभागीय अफसरों को शामिल करने पर नाराजगी
68500 शिक्षक भर्ती परीक्षा में गड़बड़ी की जांच के लिए प्रदेश सरकार की ओर से गठित कमेटी में बेसिक शिक्षा विभाग के ही दो अफसरों को शामिल करने पर कोर्ट ने नाराजगी जताई है। सरकार ने 8 सितंबर को प्रमुख सचिव गन्ना संजय आर. भूसरेड्डी की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय जांच कमेटी गठित की थी। इसमें सर्व शिक्षा अभियान के राज्य परियोजना निदेशक वेदपति मिश्रा और बेसिक शिक्षा निदेशक सर्वेन्द्र विक्रम सिंह को सदस्य के रूप में शामिल किया था। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि विभागीय अधिकारियों को जांच समिति में शामिल नहीं किया जाना चाहिए था।
लिखित परीक्षा के परिणाम में बड़े पैमाने पर धांधली साबित होने के बाद ही सीबीआई जांच के आदेश हुए हैं। हाईकोर्ट में हुई याचिकाओं ने एक-एक कर गड़बड़ी का खुलासा कर दिया।
अनुसूचित जाति वर्ग की छात्रा सोनिका देवी ने सबसे पहले कॉपी बदलने को लेकर याचिका की थी। सोनिका देवी समेत अन्य की याचिका पर ही सीबीआई जांच होने जा रही है। जांच में पता चला की सोनिका देवी समेत कुल 12 अभ्यर्थियों की कॉपियां बदली गई थीं। रिजल्ट तैयार करने वाली एजेंसी ने भी 12 अभ्यर्थियों की कॉपियां बदलने की बात स्वीकार की लेकिन इसके बावजूद सरकार ने एजेंसी के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई नहीं की।
कई अभ्यर्थियों को परीक्षा पास होने के बावजूद फेल कर दिया गया। कोर्ट का मानना है कि परीक्षा नियामक प्राधिकारी ने अपनी शक्तियों का दुरुपयोग करते हुए अपने पसंदीदा अभ्यर्थियों को अनुचित लाभ दिया है। जिसके लिए भ्रष्टाचार का सहारा लिया गया। यह उन अभ्यर्थियों के साथ धोखा है जिन्होंने इस विश्वास के साथ भर्ती के लिए आवेदन किया था कि पारदर्शी तरीके से चयन होगा। लेकिन वे जानकर हैरान हैं कि जानबूझकर अभ्यर्थियों को सही नंबर नहीं दिया गया।
कमेटी में विभागीय अफसरों को शामिल करने पर नाराजगी
68500 शिक्षक भर्ती परीक्षा में गड़बड़ी की जांच के लिए प्रदेश सरकार की ओर से गठित कमेटी में बेसिक शिक्षा विभाग के ही दो अफसरों को शामिल करने पर कोर्ट ने नाराजगी जताई है। सरकार ने 8 सितंबर को प्रमुख सचिव गन्ना संजय आर. भूसरेड्डी की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय जांच कमेटी गठित की थी। इसमें सर्व शिक्षा अभियान के राज्य परियोजना निदेशक वेदपति मिश्रा और बेसिक शिक्षा निदेशक सर्वेन्द्र विक्रम सिंह को सदस्य के रूप में शामिल किया था। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि विभागीय अधिकारियों को जांच समिति में शामिल नहीं किया जाना चाहिए था।