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सहायक शिक्षक भर्ती: 'अधिकारियों की खाल बचाने में लगी सरकार,' कोर्ट ने समझा अभ्यर्थियों का दर्द

सहायक शिक्षक भर्ती घोटाले में कदम-कदम पर अधिकारियों को मिली छूट ने सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया। जस्टिस इरशाद अली ने अपने फैसले में इस पूरे मामले में अब तक कोर्ट द्वारा दिए गए निर्देशों और सरकार द्वारा की गई कार्रवाई का सिलसिलेवार ढ़ग से आंकलन किया।

हाईकोर्ट ने हर बिंदु पर सरकार द्वारा उठाए गए कदमों न सिर्फ अनुचित पाया बल्कि मंशा पर भी सवाल उठाए। कोर्ट ने कहा 'सरकार अपने अधिकारियों की खाल बचाने में लगी हुई है।' कोर्ट ने यह टिप्पणी सरकार द्वारा गठित जांच टीम में बेसिक शिक्षा विभाग के ही दो अधिकारियों को रखने और अब तक किसी भी जिम्मेदार का नाम समाने न आने पर की। इतना ही नहीं हाईकोर्ट ने परीक्षा आयोजित करने वाली फर्म को भी दोषी करार दिया।

हाईकोर्ट ने प्रदेश में आयोजित भर्ती परीक्षाओं में लगातार हो रही धांधली को लेकर भी सरकार को जमकर फटकारा। कोर्ट ने कहा कि ‘पिछले 20 साल से प्रदेश सरकार, किसी बोर्ड या आयोग की हर चयन प्रक्रिया में... कभी प्रश्नपत्र आउट हो जाता है तो कभी खुद अफसर भ्रष्टाचार करते मिलते हैं। इसके बावजूद कोई सख्त कार्रवाई नहीं होती। केवल अभ्यर्थियों का ध्यान भटका दिया जाता है। कुछ जांच समितियां बनाई जाती हैं, लेकिन वे कुछ नहीं करतीं। ऐसे हालात में हाईकोर्ट को ही कोई फूलप्रूफ तरीके से चयन प्रक्रिया की जांच करवानी होगी।’ यह अभ्यर्थियों के साथ विश्वासघात का मामला है, जो इस उम्मीद में परीक्षा देते हैं कि यहां निष्पक्षता बरती जाएगी।

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