एनबीटी, लखनऊ: केजीएमयू के क्लिनिकल हिमोटॉलजी के एचओडी डॉ़ अनिल कुमार
त्रिपाठी गुरुवार को लोहिया इंस्टिट्यूट के नए निदेशक के पद पर नियुक्त हुए
हैं।
राजभवन से निर्देश जारी होने के बाद डॉ़ अनिल ने एनबीटी से बात की। उन्होंने कहा कि इंस्टिट्यूट में डॉक्टरों की भर्ती में हुई धांधली के आरोपों की गंभीरता से जांच करवाई जाएगी। इसमें दोषी पाए जाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी। डॉ़ अनिल शुक्रवार को पद ग्रहण करेंगे।
एबीबीएस और एमडी के सीटें बढ़ेंगी
डॉ़ अनिल ने बताया कि प्रदेश में ज्यादा से ज्यादा विशेषज्ञ लोहिया इंस्टिट्यूट से निकलें, इसके लिए एमसीआई को प्रस्ताव भेज एमबीबीएस और एमडी, डीएम के कोर्स में सीटों को बढ़ाने की मांग की जाएगी।
इंफ्रास्ट्रक्चर चुनौती
डॉ़ अनिल ने बताया कि किसी भी संस्थान के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर सबसे महत्वपूर्ण होता है। शुरुआती दौर में इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी को दूर करना सबसे बड़ा चुनौती होगी। इंस्टिट्यूट में जिन उपकरणों की कमी है उन्हें जल्द से जल्द मंगवाया जाएगा।
क्लिनिकल हिमोटॉलजी विभाग खुलने की उम्मीद
डॉ़ अनिल ने बताया कि ब्लड कैंसर के मरीजों के इलाज की सुविधा लोहिया इंस्टिट्यूट में नहीं है। लिहाजा दूर-दराज से आए मरीजों को दूसरे संस्थानों में भटकना पड़ता है। इसलिए उम्मीद है कि इंस्टिट्यूट में क्लिनिकल हिमोटॉलजी डिपार्टमेंट खुले, ताकि ब्लड कैंसर के मरीजों को भी यहां इलाज मिलना शुरू हो जाए।
1986 में जॉइन किया था केजीएमयू
डॉ़ अनिल बताते हैं कि उन्होंने 1986 में केजीएमयू के मेडिसिन विभाग में एक शिक्षक के रूप में जॉइन किया था। इन्होंने ब्लड कैंसर के मरीजों के लिए 2011 में केजीएमयू में क्लिनिकल हिमोटॉलजी की शुरुआत की। जहां उन्हें उस विभाग का एचओडी बना दिया गया।
केजीएमयू के तीन प्रफेसरों को गुरुवार को बड़ी जिम्मेदारी मिली। हेमेटॉलजी विभाग के डॉ. अनिल कुमार त्रिपाठी जहां लोहिया संस्थान के निदेशक बने, वहीं एनाटॉमी विभाग के हेड डॉ. नवनीत कुमार को स्वशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालय बस्ती का प्रचार्य और प्लास्टिक सर्जरी विभाग के डॉ. विजय कुमार को स्वशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालय अयोध्या का प्रचार्य बनाया गया। दोनों प्राचार्यों को शासन की ओर से सात दिन में कार्यभार ग्रहण करने को कहा गया है।
राजभवन से निर्देश जारी होने के बाद डॉ़ अनिल ने एनबीटी से बात की। उन्होंने कहा कि इंस्टिट्यूट में डॉक्टरों की भर्ती में हुई धांधली के आरोपों की गंभीरता से जांच करवाई जाएगी। इसमें दोषी पाए जाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी। डॉ़ अनिल शुक्रवार को पद ग्रहण करेंगे।
एबीबीएस और एमडी के सीटें बढ़ेंगी
डॉ़ अनिल ने बताया कि प्रदेश में ज्यादा से ज्यादा विशेषज्ञ लोहिया इंस्टिट्यूट से निकलें, इसके लिए एमसीआई को प्रस्ताव भेज एमबीबीएस और एमडी, डीएम के कोर्स में सीटों को बढ़ाने की मांग की जाएगी।
इंफ्रास्ट्रक्चर चुनौती
डॉ़ अनिल ने बताया कि किसी भी संस्थान के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर सबसे महत्वपूर्ण होता है। शुरुआती दौर में इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी को दूर करना सबसे बड़ा चुनौती होगी। इंस्टिट्यूट में जिन उपकरणों की कमी है उन्हें जल्द से जल्द मंगवाया जाएगा।
क्लिनिकल हिमोटॉलजी विभाग खुलने की उम्मीद
डॉ़ अनिल ने बताया कि ब्लड कैंसर के मरीजों के इलाज की सुविधा लोहिया इंस्टिट्यूट में नहीं है। लिहाजा दूर-दराज से आए मरीजों को दूसरे संस्थानों में भटकना पड़ता है। इसलिए उम्मीद है कि इंस्टिट्यूट में क्लिनिकल हिमोटॉलजी डिपार्टमेंट खुले, ताकि ब्लड कैंसर के मरीजों को भी यहां इलाज मिलना शुरू हो जाए।
1986 में जॉइन किया था केजीएमयू
डॉ़ अनिल बताते हैं कि उन्होंने 1986 में केजीएमयू के मेडिसिन विभाग में एक शिक्षक के रूप में जॉइन किया था। इन्होंने ब्लड कैंसर के मरीजों के लिए 2011 में केजीएमयू में क्लिनिकल हिमोटॉलजी की शुरुआत की। जहां उन्हें उस विभाग का एचओडी बना दिया गया।
केजीएमयू के तीन प्रफेसरों को गुरुवार को बड़ी जिम्मेदारी मिली। हेमेटॉलजी विभाग के डॉ. अनिल कुमार त्रिपाठी जहां लोहिया संस्थान के निदेशक बने, वहीं एनाटॉमी विभाग के हेड डॉ. नवनीत कुमार को स्वशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालय बस्ती का प्रचार्य और प्लास्टिक सर्जरी विभाग के डॉ. विजय कुमार को स्वशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालय अयोध्या का प्रचार्य बनाया गया। दोनों प्राचार्यों को शासन की ओर से सात दिन में कार्यभार ग्रहण करने को कहा गया है।