TGT-PGT शिक्षक भर्ती: परिणाम संग पद घटाने को देंगे चुनौती, जबकि परीक्षा संस्था को पद बढ़ाने या फिर घटाने का अधिकार नहीं
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राज्य ब्यूरो, प्रयागराज : प्रदेश भर के अशासकीय सहायताप्राप्त माध्यमिक कालेजों से विज्ञापित पद उन अफसरों को नहीं मिल रहे हैं, जिन जिला विद्यालय निरीक्षकों ने ही पदों का अधियाचन भेजा था। प्रशिक्षित स्नातक शिक्षक व प्रवक्ता टीजीटी-पीजीटी वर्ष 2011 में अधिकांश विषयों का यही हाल है। इससे चयनित अभ्यर्थी परेशान हैं, उनका कहना है कि जिस भर्ती का आठ वर्ष तक इंतजार किया, उसका परिणाम आया तो पद खोजे नहीं मिल रहे हैं, इसमें उनकी गलती क्या है?
माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड उप्र इन दिनों वर्ष 2011 के अंतिम चयन परिणाम ताबड़तोड़ जारी कर रहा है। विभिन्न विषयों के साक्षात्कार अलग-अलग कराने के बाद से अंतिम रिजल्ट की लंबे समय से राह देखी जा रही थी। यह परिणाम घोषित होने से प्रतियोगी खुश हुए लेकिन, पदों का ब्योरा देखकर निराशा है, क्योंकि चयनित होने के बाद भी अब मेरिट के अनुरूप ही कालेज आवंटित हो सकेंगे। सफल लेकिन, कम अंक पाने वालों को नियुक्ति पाने के लिए लंबा इंतजार करना पड़ेगा। ऐसे अभ्यर्थी अब मिलकर अंतिम परिणाम को हाईकोर्ट में चुनौती देने की तैयारी में जुटे हैं।
प्रतियोगियों का कहना है कि हाईकोर्ट इसके पहले कई बार स्पष्ट कर चुका है कि परीक्षा संस्था को पद बढ़ाने या फिर घटाने का अधिकार नहीं है, ऐसे में पुरानी भर्ती के पदों का सत्यापन कराकर परिणाम जारी करना सही नहीं है। चयन बोर्ड ने यह भी लिखा है कि वर्तमान में उपलब्ध पदों के सापेक्ष ही चयनितों को कालेज आवंटित होंगे। ज्ञात हो कि इसकी पहले की भर्तियों खासकर वर्ष 2013 का चयन परिणाम जारी होने के बाद करीब 700 से अधिक ऐसे अभ्यर्थी नियुक्ति पाने की राह देख रहे हैं, जो चयनित हो चुके हैं। पद घटने की सबसे बड़ी वजह चयन में लंबा समय लगना है।
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राज्य ब्यूरो, प्रयागराज : प्रदेश भर के अशासकीय सहायताप्राप्त माध्यमिक कालेजों से विज्ञापित पद उन अफसरों को नहीं मिल रहे हैं, जिन जिला विद्यालय निरीक्षकों ने ही पदों का अधियाचन भेजा था। प्रशिक्षित स्नातक शिक्षक व प्रवक्ता टीजीटी-पीजीटी वर्ष 2011 में अधिकांश विषयों का यही हाल है। इससे चयनित अभ्यर्थी परेशान हैं, उनका कहना है कि जिस भर्ती का आठ वर्ष तक इंतजार किया, उसका परिणाम आया तो पद खोजे नहीं मिल रहे हैं, इसमें उनकी गलती क्या है?
माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड उप्र इन दिनों वर्ष 2011 के अंतिम चयन परिणाम ताबड़तोड़ जारी कर रहा है। विभिन्न विषयों के साक्षात्कार अलग-अलग कराने के बाद से अंतिम रिजल्ट की लंबे समय से राह देखी जा रही थी। यह परिणाम घोषित होने से प्रतियोगी खुश हुए लेकिन, पदों का ब्योरा देखकर निराशा है, क्योंकि चयनित होने के बाद भी अब मेरिट के अनुरूप ही कालेज आवंटित हो सकेंगे। सफल लेकिन, कम अंक पाने वालों को नियुक्ति पाने के लिए लंबा इंतजार करना पड़ेगा। ऐसे अभ्यर्थी अब मिलकर अंतिम परिणाम को हाईकोर्ट में चुनौती देने की तैयारी में जुटे हैं।
प्रतियोगियों का कहना है कि हाईकोर्ट इसके पहले कई बार स्पष्ट कर चुका है कि परीक्षा संस्था को पद बढ़ाने या फिर घटाने का अधिकार नहीं है, ऐसे में पुरानी भर्ती के पदों का सत्यापन कराकर परिणाम जारी करना सही नहीं है। चयन बोर्ड ने यह भी लिखा है कि वर्तमान में उपलब्ध पदों के सापेक्ष ही चयनितों को कालेज आवंटित होंगे। ज्ञात हो कि इसकी पहले की भर्तियों खासकर वर्ष 2013 का चयन परिणाम जारी होने के बाद करीब 700 से अधिक ऐसे अभ्यर्थी नियुक्ति पाने की राह देख रहे हैं, जो चयनित हो चुके हैं। पद घटने की सबसे बड़ी वजह चयन में लंबा समय लगना है।
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