प्रयागराज : प्रदेश सरकार प्राथमिक स्कूलों व राजकीय माध्यमिक कालेजों में नियुक्तियां कराने पर गंभीर है लेकिन, अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक कालेजों की ओर से मुंह फेर लिया गया है। दो शैक्षिक सत्रों में कालेजों में रिक्तियां होने के बाद भी पद घोषित नहीं किए गए हैं, अब तीसरा सत्र शुरू हो चुका है, माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड उप्र में विज्ञापन जारी करने की अभी कोई तैयारी नहीं है।
अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक कालेजों की तादाद करीब चार हजार से अधिक है। वहां प्रधानाचार्य, प्रवक्ता व स्नातक शिक्षकों का चयन माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड करता है। पिछले वर्ष अप्रैल में जब चयन बोर्ड का पुनर्गठन किया गया था, उस समय ही प्रवक्ता व स्नातक शिक्षक के करीब 12 हजार से अधिक पद खाली थे। एक वर्ष में यह संख्या बढ़कर 20 हजार पहुंच रही है। इन पदों के लिए चयन बोर्ड विज्ञापन जारी करने में भी आनाकानी कर रहा है। इधर जो भी परीक्षा परिणाम या फिर कालेज आवंटन हुए हैं वे सब वर्ष 2011 व 2013 सहित अन्य वर्षो के हैं। इससे अभ्यर्थियों में खासी नाराजगी है, योगी सरकार बनने के बाद उन्हें उम्मीद थी कि रिक्त पद भरने की प्रक्रिया तेज होगी, इसके उलट भर्तियां लटका दी गई हैं।
प्रधानाचार्य भर्ती 2014 से नहीं :प्रधानाचार्यो के करीब आधे पद खाली हैं। इसके लिए 2011 व 2013 में विज्ञापन निकालकर आवेदन लिए गए। 2011 का साक्षात्कार अब तक पूरा नहीं हुआ है, वहीं 2013 का इंटरव्यू शुरू नहीं कराया जा सका है। यह पद भरने के बाद अवशेष पदों का विज्ञापन जारी हो सकता है लेकिन, टालमटोल से पुरानी प्रक्रिया ही लटकी है।
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अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक कालेजों की तादाद करीब चार हजार से अधिक है। वहां प्रधानाचार्य, प्रवक्ता व स्नातक शिक्षकों का चयन माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड करता है। पिछले वर्ष अप्रैल में जब चयन बोर्ड का पुनर्गठन किया गया था, उस समय ही प्रवक्ता व स्नातक शिक्षक के करीब 12 हजार से अधिक पद खाली थे। एक वर्ष में यह संख्या बढ़कर 20 हजार पहुंच रही है। इन पदों के लिए चयन बोर्ड विज्ञापन जारी करने में भी आनाकानी कर रहा है। इधर जो भी परीक्षा परिणाम या फिर कालेज आवंटन हुए हैं वे सब वर्ष 2011 व 2013 सहित अन्य वर्षो के हैं। इससे अभ्यर्थियों में खासी नाराजगी है, योगी सरकार बनने के बाद उन्हें उम्मीद थी कि रिक्त पद भरने की प्रक्रिया तेज होगी, इसके उलट भर्तियां लटका दी गई हैं।
प्रधानाचार्य भर्ती 2014 से नहीं :प्रधानाचार्यो के करीब आधे पद खाली हैं। इसके लिए 2011 व 2013 में विज्ञापन निकालकर आवेदन लिए गए। 2011 का साक्षात्कार अब तक पूरा नहीं हुआ है, वहीं 2013 का इंटरव्यू शुरू नहीं कराया जा सका है। यह पद भरने के बाद अवशेष पदों का विज्ञापन जारी हो सकता है लेकिन, टालमटोल से पुरानी प्रक्रिया ही लटकी है।
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