सूचना उपलब्ध कराने को विधि अधिकारी ने सचिव बेशिक शिक्षा परिषद को लिखी चिट्ठी !
» 25जुलाई2017 सुप्रीम कोर्ट आर्डर के संम्बन्ध में तीन बिन्दुओ पर मांगी गई थी जानकारी
» राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) ने भी नही दी कोई सूचना
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लखनऊ। राज्य सरकार को सुप्रीम कोर्ट से मिली लिबर्टी पर जन सूचना अधिकार कानून के तहत घेरने की रणनीति कारगर साबित होती दिख रही है। अधिकारी सूचना उपलब्ध नही करा पा रहे है। जानकारी देने के बजाय कागजी घोड़ा दौड़ाने का खेल खेला जा रहा है।
शिव कुमार पाठक बनाम यूपी सरकार (याचिका संख्या4347/4375) 72825 शिक्षक भर्ती मामले में सुप्रीम कोर्ट जस्टिस आदर्श कुमार गोयल व जस्टिस यू. यू.ललित की पीठ ने15 वें संशोधन को सही ठहराया है। पीठ ने 7 दिसम्बर 2012 को जारी विज्ञापन पर भर्ती करने के लिए राज्य सरकार को लिबर्टी अर्थात स्वतंत्रता दी है।
इसी लिबर्टी(स्वतंत्रता)को लेकर सचिव, निदेशक व एस.सी.ई.आर.टी. से तीन बिन्दुओ पर सूचना मांगी गई है। जिसका उत्तर अधिकारीयों के पास नही है। इसी लिए जन सूचना अधिकार के तहत लिखित जवाब देने में विभागीय अधिकारीयो को पसीना छूट रहा है।
शिक्षा निदेशालय लखनऊ सहायक जन सूचना अधिकारी/विधि अधिकारी दिनेश कुमार ने सचिव बेशिक शिक्षा परिषद इलाहाबाद को इस सम्बध में वादी विनय कुमार गुप्ता को समय पर सूचना उपलब्ध कराने हेतु पंत्राक संख्या सू० अ०195/1427-28 दिनांक 29 अगस्त 2019 को सख्त पत्र लिखा गया है।
मेरे द्वारा जो सूचनाएं मांगी गई है ओवरऐज काउंसल्ड को मुख्य याचिकाकर्ता बनाकर सुप्रीम कोर्ट में डाली जाने वाली रिट में ब्रहास्थ रामबाण का काम करेगी।
मै पहले भी सुप्रीम कोर्ट लिबर्टी को लेकर कई पोस्टे लिख चुका हूँ। कोर्ट ने सरकार को स्वतंत्रता भर्ती करने के लिए दी है ना कि शुल्क वापस लौटाने। न्यू एड 7/12/12 विज्ञापन ही सच है।15 वें संशोधन पर बेशिक शिक्षा विभाग द्वारा की गई विभिन्न भर्तियों में लगभग एक लाख अभ्यर्थी आज नौकरी कर रहे है। इसी संशोधन के आधार पर ही न्यू एड का विज्ञापन हाईकोर्ट के आदेश पर राज्य सरकार ने जारी किया था। सुप्रीम कोर्ट ने भी अपनी मुहर लगाते हुए सरकार को लिबर्टी दी।सरकार ही इस विज्ञापन पर भर्ती कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट गई थी
विनय गुप्ता चित्रकूट
» 25जुलाई2017 सुप्रीम कोर्ट आर्डर के संम्बन्ध में तीन बिन्दुओ पर मांगी गई थी जानकारी
» राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) ने भी नही दी कोई सूचना
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लखनऊ। राज्य सरकार को सुप्रीम कोर्ट से मिली लिबर्टी पर जन सूचना अधिकार कानून के तहत घेरने की रणनीति कारगर साबित होती दिख रही है। अधिकारी सूचना उपलब्ध नही करा पा रहे है। जानकारी देने के बजाय कागजी घोड़ा दौड़ाने का खेल खेला जा रहा है।
शिव कुमार पाठक बनाम यूपी सरकार (याचिका संख्या4347/4375) 72825 शिक्षक भर्ती मामले में सुप्रीम कोर्ट जस्टिस आदर्श कुमार गोयल व जस्टिस यू. यू.ललित की पीठ ने15 वें संशोधन को सही ठहराया है। पीठ ने 7 दिसम्बर 2012 को जारी विज्ञापन पर भर्ती करने के लिए राज्य सरकार को लिबर्टी अर्थात स्वतंत्रता दी है।
इसी लिबर्टी(स्वतंत्रता)को लेकर सचिव, निदेशक व एस.सी.ई.आर.टी. से तीन बिन्दुओ पर सूचना मांगी गई है। जिसका उत्तर अधिकारीयों के पास नही है। इसी लिए जन सूचना अधिकार के तहत लिखित जवाब देने में विभागीय अधिकारीयो को पसीना छूट रहा है।
शिक्षा निदेशालय लखनऊ सहायक जन सूचना अधिकारी/विधि अधिकारी दिनेश कुमार ने सचिव बेशिक शिक्षा परिषद इलाहाबाद को इस सम्बध में वादी विनय कुमार गुप्ता को समय पर सूचना उपलब्ध कराने हेतु पंत्राक संख्या सू० अ०195/1427-28 दिनांक 29 अगस्त 2019 को सख्त पत्र लिखा गया है।
मेरे द्वारा जो सूचनाएं मांगी गई है ओवरऐज काउंसल्ड को मुख्य याचिकाकर्ता बनाकर सुप्रीम कोर्ट में डाली जाने वाली रिट में ब्रहास्थ रामबाण का काम करेगी।
मै पहले भी सुप्रीम कोर्ट लिबर्टी को लेकर कई पोस्टे लिख चुका हूँ। कोर्ट ने सरकार को स्वतंत्रता भर्ती करने के लिए दी है ना कि शुल्क वापस लौटाने। न्यू एड 7/12/12 विज्ञापन ही सच है।15 वें संशोधन पर बेशिक शिक्षा विभाग द्वारा की गई विभिन्न भर्तियों में लगभग एक लाख अभ्यर्थी आज नौकरी कर रहे है। इसी संशोधन के आधार पर ही न्यू एड का विज्ञापन हाईकोर्ट के आदेश पर राज्य सरकार ने जारी किया था। सुप्रीम कोर्ट ने भी अपनी मुहर लगाते हुए सरकार को लिबर्टी दी।सरकार ही इस विज्ञापन पर भर्ती कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट गई थी
विनय गुप्ता चित्रकूट