लखनऊ, जेएनएन। योगी सरकार की पहली शिक्षक भर्ती के
कटऑफ अंक पर फैसले की घड़ी आ गई है। प्राथमिक स्कूलों में सहायक अध्यापकों
की 68500 भर्ती के शासनादेश में कटऑफ सामान्य व ओबीसी के लिए 45 व अन्य
आरक्षित वर्ग के लिए 40 प्रतिशत तय था, जिसे सरकार ने लिखित परीक्षा के ठीक
पहले बदलकर
क्रमश: 33 व 30 कर दिया था। हाई कोर्ट में बदले कटऑफ अंक को चुनौती दी गई थी व अंतरिम आदेश पर मूल शासनादेश पर भर्ती का परिणाम जारी हुआ था। इसकी लंबी सुनवाई चली और 29 नवंबर 2018 को कोर्ट ने फैसला सुरक्षित कर लिया था, जिसे मंगलवार को सुनाया जाएगा।
प्रदेश सरकार ने शिक्षामित्रों के सहायक अध्यापक पद से हटने के बाद 68500 की लिखित परीक्षा कराई थी। शासनादेश नौ जनवरी 2018 को जारी हुआ था और उसमें 45-40 प्रतिशत कटऑफ रखा गया। शासन ने 21 मई को लिखित परीक्षा से ठीक से पहले कटऑफ अंक घटाकर 33-30 कर दिया था। परीक्षा के बाद दिवाकर सिंह व अन्य ने बदले कटऑफ अंक को हाई कोर्ट में चुनौती दी। इसमें कहा गया कि शीर्ष कोर्ट का आदेश है कि नियम खेल शुरू होने के बाद नहीं बदले जा सकते। ऐसे में लखनऊ खंडपीठ के न्यायमूर्ति इरशाद अली ने अंतरिम आदेश दिया था कि सरकार मूल शासनादेश के अनुरूप रिजल्ट जारी कर सकती है और इस मामले की सुनवाई जारी रहेगी। ऐसे में परिणाम घोषित हुआ और चार चरणों में नियुक्तियां दी गई हैं, कुछ प्रक्रिया लंबित भी है।प्रतियोगियों की मानें तो इस मामले में छह फरवरी 2019 को शासन ने 21 मई 2018 का आदेश वापस ले लिया। उसके बाद कई रिट याचिकाएं और हुईं। सुनवाई 29 नवंबर 2018 को पूरी हुई और आदेश सुरक्षित हो गया। अब मंगलवार को लखनऊ खंडपीठ के कोर्ट नंबर 20 में न्यायमूर्ति अब्दुल मोइन फैसला सुनाएंगे।
रिक्त सीटें भरने का रास्ता हो सकता साफ
कोर्ट यदि मूल शासनादेश को ही मान्य करता है तो भर्ती प्रक्रिया पर कोई असर नहीं पड़ेगा। वहीं, यदि 33-30 को मान्य किया तो शिक्षामित्र व वे अभ्यर्थी जो चंद अंक अनुत्तीर्ण हुए हैं नियुक्ति पाने के लिए दबाव बनाएंगे। इस आदेश से पूरी भर्ती प्रभावित होगी या नहीं यह अभी स्पष्ट नहीं है। साथ ही कोर्ट सरकार को सुझाव भी दे सकती है कि यदि वह चाहे तो रिक्त सीटों को कटऑफ घटाकर भर सकती है। इसमें भी बड़ी संख्या में अभ्यर्थियों को नियुक्ति मिलने का रास्ता साफ होगा। बता दें कि करीब 23 हजार से अधिक पद खाली पड़े हैं। सरकार आदेश के खिलाफ डबल बेंच में भी जा सकती है। कहा तो यहां तक जा रहा है कि फैसला किसी के भी पक्ष में आए अभ्यर्थियों का एक वर्ग डबल बेंच जरूर जाएगा।
69000 शिक्षक भर्ती के कटऑफ अंक का प्रकरण अभी विचाराधीन
प्राथमिक स्कूलों की 69000 शिक्षक भर्ती में कटऑफ अंक का प्रकरण अब भी हाईकोर्ट में विचाराधीन है। इसमें लिखित परीक्षा के बाद शासन ने कटऑफ अंक तय किया था, अभ्यर्थी इसके विरोध में कोर्ट गए हैं। लिखित परीक्षा छह जनवरी 2019 को हुई थी। अब तक इस भर्ती की संशोधित उत्तरकुंजी तक जारी नहीं हो सकी है, फैसला कब आएगा, अभी तय नहीं है।
क्रमश: 33 व 30 कर दिया था। हाई कोर्ट में बदले कटऑफ अंक को चुनौती दी गई थी व अंतरिम आदेश पर मूल शासनादेश पर भर्ती का परिणाम जारी हुआ था। इसकी लंबी सुनवाई चली और 29 नवंबर 2018 को कोर्ट ने फैसला सुरक्षित कर लिया था, जिसे मंगलवार को सुनाया जाएगा।
प्रदेश सरकार ने शिक्षामित्रों के सहायक अध्यापक पद से हटने के बाद 68500 की लिखित परीक्षा कराई थी। शासनादेश नौ जनवरी 2018 को जारी हुआ था और उसमें 45-40 प्रतिशत कटऑफ रखा गया। शासन ने 21 मई को लिखित परीक्षा से ठीक से पहले कटऑफ अंक घटाकर 33-30 कर दिया था। परीक्षा के बाद दिवाकर सिंह व अन्य ने बदले कटऑफ अंक को हाई कोर्ट में चुनौती दी। इसमें कहा गया कि शीर्ष कोर्ट का आदेश है कि नियम खेल शुरू होने के बाद नहीं बदले जा सकते। ऐसे में लखनऊ खंडपीठ के न्यायमूर्ति इरशाद अली ने अंतरिम आदेश दिया था कि सरकार मूल शासनादेश के अनुरूप रिजल्ट जारी कर सकती है और इस मामले की सुनवाई जारी रहेगी। ऐसे में परिणाम घोषित हुआ और चार चरणों में नियुक्तियां दी गई हैं, कुछ प्रक्रिया लंबित भी है।प्रतियोगियों की मानें तो इस मामले में छह फरवरी 2019 को शासन ने 21 मई 2018 का आदेश वापस ले लिया। उसके बाद कई रिट याचिकाएं और हुईं। सुनवाई 29 नवंबर 2018 को पूरी हुई और आदेश सुरक्षित हो गया। अब मंगलवार को लखनऊ खंडपीठ के कोर्ट नंबर 20 में न्यायमूर्ति अब्दुल मोइन फैसला सुनाएंगे।
रिक्त सीटें भरने का रास्ता हो सकता साफ
कोर्ट यदि मूल शासनादेश को ही मान्य करता है तो भर्ती प्रक्रिया पर कोई असर नहीं पड़ेगा। वहीं, यदि 33-30 को मान्य किया तो शिक्षामित्र व वे अभ्यर्थी जो चंद अंक अनुत्तीर्ण हुए हैं नियुक्ति पाने के लिए दबाव बनाएंगे। इस आदेश से पूरी भर्ती प्रभावित होगी या नहीं यह अभी स्पष्ट नहीं है। साथ ही कोर्ट सरकार को सुझाव भी दे सकती है कि यदि वह चाहे तो रिक्त सीटों को कटऑफ घटाकर भर सकती है। इसमें भी बड़ी संख्या में अभ्यर्थियों को नियुक्ति मिलने का रास्ता साफ होगा। बता दें कि करीब 23 हजार से अधिक पद खाली पड़े हैं। सरकार आदेश के खिलाफ डबल बेंच में भी जा सकती है। कहा तो यहां तक जा रहा है कि फैसला किसी के भी पक्ष में आए अभ्यर्थियों का एक वर्ग डबल बेंच जरूर जाएगा।
69000 शिक्षक भर्ती के कटऑफ अंक का प्रकरण अभी विचाराधीन
प्राथमिक स्कूलों की 69000 शिक्षक भर्ती में कटऑफ अंक का प्रकरण अब भी हाईकोर्ट में विचाराधीन है। इसमें लिखित परीक्षा के बाद शासन ने कटऑफ अंक तय किया था, अभ्यर्थी इसके विरोध में कोर्ट गए हैं। लिखित परीक्षा छह जनवरी 2019 को हुई थी। अब तक इस भर्ती की संशोधित उत्तरकुंजी तक जारी नहीं हो सकी है, फैसला कब आएगा, अभी तय नहीं है।