प्रयागराज,जेएनएन । इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय
(इविवि) के कुलपति प्रो. रतन लाल हांगलू के इस्तीफे के बाद अब उनके
करीबियों की मुसीबतें भी बढ़ सकती हैं। हांगलू के कार्यकाल में इन अफसरों
ने मनमानी की थी। अब सभी कुर्सी बचाने की कवायद में जुट गए हैं।
अब कुलपति के करीबी रहे अफसरों की शिकायत भेजने की तैयारी
प्रोफेसर हांगलू पर चार साल कुलपति रहने के दौरान वित्तीय अनियमितता, शिक्षक भर्ती में धांधली के साथ उनके चरित्र पर भी आरोप लगे थे। इस दौरान कई शिक्षक उनके गलत कार्यों में भी साथ डटे थे। इससे खुश होकर उन्होंने कई को प्रशासनिक पदों पर बैठा कर महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दे दी थी। ऐसे शिक्षकों की सूची शिक्षक व छात्रनेता केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग को भेजने की तैयारी में हैैं। उन शिक्षकों की शिकायत राष्ट्रीय महिला आयोग से भी करने की तैयारी है, जिनके चरित्र पर सवाल खड़े हो चुके हैं। दो की शिकायत की भी जा चुकी है। कई हॉस्टलों के अधीक्षक भी मुसीबत में पड़ सकते हैैं।
पीआरओ की छिनेगी कुर्सी
विश्वविद्यालय के पीआरओ डॉ चित्तरंजन कुमार की भी कुर्सी छिन सकती है। ऐसा इसलिए कि 10 दिसंबर को राष्ट्रीय महिला आयोग की टीम इविवि आई थी तो उसकी सदस्य राजुल बेन एल देसाई ने पीआरओ का व्यवहार संतोषजनक न होने की बात मीडिया से कही थी। उन्होंने प्रोबेशन के दौरान असिस्टेंट प्रोफेसर के पीआरओ जैसे महत्वपूर्ण पद पर होने पर भी सवाल उठाए थे।
अब कुलपति के करीबी रहे अफसरों की शिकायत भेजने की तैयारी
प्रोफेसर हांगलू पर चार साल कुलपति रहने के दौरान वित्तीय अनियमितता, शिक्षक भर्ती में धांधली के साथ उनके चरित्र पर भी आरोप लगे थे। इस दौरान कई शिक्षक उनके गलत कार्यों में भी साथ डटे थे। इससे खुश होकर उन्होंने कई को प्रशासनिक पदों पर बैठा कर महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दे दी थी। ऐसे शिक्षकों की सूची शिक्षक व छात्रनेता केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग को भेजने की तैयारी में हैैं। उन शिक्षकों की शिकायत राष्ट्रीय महिला आयोग से भी करने की तैयारी है, जिनके चरित्र पर सवाल खड़े हो चुके हैं। दो की शिकायत की भी जा चुकी है। कई हॉस्टलों के अधीक्षक भी मुसीबत में पड़ सकते हैैं।
पीआरओ की छिनेगी कुर्सी
विश्वविद्यालय के पीआरओ डॉ चित्तरंजन कुमार की भी कुर्सी छिन सकती है। ऐसा इसलिए कि 10 दिसंबर को राष्ट्रीय महिला आयोग की टीम इविवि आई थी तो उसकी सदस्य राजुल बेन एल देसाई ने पीआरओ का व्यवहार संतोषजनक न होने की बात मीडिया से कही थी। उन्होंने प्रोबेशन के दौरान असिस्टेंट प्रोफेसर के पीआरओ जैसे महत्वपूर्ण पद पर होने पर भी सवाल उठाए थे।