तीन साल में नहीं भरे 1.37 लाख शिक्षकों के खाली पद, शिक्षामित्रों का समायोजन रद्द होने के बाद रिक्त हुए थे यह पद, सरकार ने निकलीं दो भर्तियाँ

परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में 69000 सहायक अध्यापक भर्ती में 37,339 पद खाली रखने का आदेश सुप्रीम कोर्ट ने दिया है। शिक्षामित्रों की याचिका पर मंगलवार के इस आदेश ने फिर से शिक्षामित्रों को चर्चा के केन्द्र बिन्दु में लाकर खड़ा कर दिया है। हकीकत यह है कि दो दशक से यूपी की बेसिक शिक्षा से जुड़े शिक्षामित्रों के सहायक अध्यापक पद पर समायोजन रद्द होने के बाद खाली हुए 1.37 लाख पद तीन साल में भी नहीं भरे जा सके हैं।



सपा सरकार में 19 जून 2014 को पहले बैच में 58826 शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापक पद पर समायोजित करने का आदेश जारी हुआ था। 8 अप्रैल 2015 को दूसरे चरण में 91104 शिक्षामित्रों के समायोजन का आदेश हुआ। उसके पहले उन्हें शिक्षामित्र के रूप में महज 3500 रुपये मिल रहे थे। समायोजन होने के बाद शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापक के समान तकरीबन 28 हजार रुपये वेतन मिलने लगा था। हालांकि बगैर टीईटी शिक्षामित्रों के समायोजन के खिलाफ बीएड अभ्यर्थियों ने याचिकाएं कर दी और हाईकोर्ट से होते हुए यह मसला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा। सुप्रीम कोर्ट ने 25 जुलाई 2017 को 1.37 लाख शिक्षामित्रों का सहायक अध्यापक पद पर समायोजन रद्द कर दिया था। साथ ही उत्तर प्रदेश सरकार को आदेश दिया था कि इनकी सेवाओं को देखते हुए अगली दो भर्तियों में इनकी भारांक और आयु सीमा में छूट देते हुए अवसर दिया जाए।


जिस समय शिक्षामित्रों का समायोजन निरस्त हुआ उन्हें वेतन के रूप में तकरीबन 40 हजार रुपये प्रतिमाह मिल रहा था। हालांकि सरकार ने अगस्त 2017 में सहानुभूति दिखाते हुए इनका मानदेय 3500 से बढ़ाकर 10 हजार रुपये प्रतिमाह कर दिया था। उसके बाद सरकार ने शिक्षामित्रों से खाली हुए 1.37 लाख पदों को दो भाग में बांटते हुए पहले 68500 और फिर उसके बाद 69000 सहायक अध्यापकों की भर्ती निकाली। 68500 में 40/45 फीसदी कटऑफ पर पास होकर तकरीबन सात हजार शिक्षामित्र सहायक अध्यापक बन गए। जबकि 69000 भर्ती में भी 60/65 प्रतिशत कटऑफ पर 8018 शिक्षामित्र पास हैं। हालांकि टीईटी पास 45357 शिक्षामित्रों ने परीक्षा दी थी। 69000 भर्ती कोर्ट में फंसी ही है, 68500 भर्ती भी अब तक पूरी नहीं हो सकी है।