प्रयागराज : 69000 शिक्षक भर्ती में सेटिंग से उम्दा अंक पाने वालों को नियुक्ति नहीं मिलनी है, वहीं जिन कालेजों से ऐसे अभ्यर्थी चिन्हित होंगे उनकी भी मान्यता जाने का खतरा मंडरा रहा है। शासन ने ऐसे कालेज और अभ्यर्थियों को डिबार करने के निर्देश दिए हैं लेकिन, चर्चा है कि कालेजों की मान्यता प्रत्याहरण की जाए, क्योंकि कोई कालेज नकल नहीं कराता बल्कि जालसाजों का तंत्र ऐसा करता है। उन्हें कड़ा सबक तभी मिलेगा, जब कालेजों की मान्यता छिनेगी।
परिषदीय स्कूलों की शिक्षक भर्ती की लिखित परीक्षा से लेकर अब तक जिलों में कई ऐसे कालेजों के नाम सामने आ चुके हैं, जहां पर नियमों को दरकिनार करके अभ्यर्थियों को परीक्षा उत्तीर्ण कराने में मदद की गई। प्रयागराज पुलिस तो उम्दा अंक पाने वाले अभ्यर्थियों को जेल भेज चुकी है और अब इस मामले की जांच एसटीएफ कर रही है। जांच पूरी होते ही परीक्षा के नियम तोड़ने वालों की सूची शासन को सौंपी जा सकती है। पहले चरण में उन्हें किसी भी प्रतियोगी परीक्षा के लिए डिबार किया जाएगा इसके बाद उनकी मान्यता छीनने की कार्रवाई हो सकती है। यूपी बोर्ड में परीक्षा केंद्र निर्धारण में कई बार यह प्रकरण सामने आ चुका है कोई कालेज नकल नहीं कराता है, बल्कि वहां का प्रबंधतंत्र, प्रधानाचार्य व शिक्षक आदि इसमें लिप्त होते हैं। सिर्फ कालेज को डिबार करने से वहां पढ़ने वाले आदि प्रभावित होते हैं। साथ ही कालेजों को डिबार करने से नकल आदि के प्रकरणों पर अंकुश नहीं लग पाता, इसलिए जरूरी है कि कालेज संचालकों को सख्त संदेश देने के लिए उनकी मान्यता छीनी जाए, ताकि आगे की परीक्षाएं प्रभावित न हो।
परिषदीय स्कूलों की शिक्षक भर्ती की लिखित परीक्षा से लेकर अब तक जिलों में कई ऐसे कालेजों के नाम सामने आ चुके हैं, जहां पर नियमों को दरकिनार करके अभ्यर्थियों को परीक्षा उत्तीर्ण कराने में मदद की गई। प्रयागराज पुलिस तो उम्दा अंक पाने वाले अभ्यर्थियों को जेल भेज चुकी है और अब इस मामले की जांच एसटीएफ कर रही है। जांच पूरी होते ही परीक्षा के नियम तोड़ने वालों की सूची शासन को सौंपी जा सकती है। पहले चरण में उन्हें किसी भी प्रतियोगी परीक्षा के लिए डिबार किया जाएगा इसके बाद उनकी मान्यता छीनने की कार्रवाई हो सकती है। यूपी बोर्ड में परीक्षा केंद्र निर्धारण में कई बार यह प्रकरण सामने आ चुका है कोई कालेज नकल नहीं कराता है, बल्कि वहां का प्रबंधतंत्र, प्रधानाचार्य व शिक्षक आदि इसमें लिप्त होते हैं। सिर्फ कालेज को डिबार करने से वहां पढ़ने वाले आदि प्रभावित होते हैं। साथ ही कालेजों को डिबार करने से नकल आदि के प्रकरणों पर अंकुश नहीं लग पाता, इसलिए जरूरी है कि कालेज संचालकों को सख्त संदेश देने के लिए उनकी मान्यता छीनी जाए, ताकि आगे की परीक्षाएं प्रभावित न हो।