फतेहपुर : शासन के आदेश पर बुधवार से परिषदीय स्कूल सिर्फ शिक्षकों के लिए खुल गए। अधिकांश स्कूलों में ऑपरेशन कायाकल्प का काम शुरू न होने से शिक्षक फुर्सत में बैठे रहे तो कुछ कागजी लिखापढ़ी में व्यस्त दिखे। इस बीच दूसरे जिलों के हॉटस्पॉट वाले क्षेत्रों से
आने वाले शिक्षकों की आमद से उनके साथी भयग्रस्त दिखे। सफर के लिए साधनों की खोज में भी मुश्किलों की बात सामने आई। परिषदीय स्कूलों के ताले खुलने के बाद अब हॉटस्पॉट वाले क्षेत्रों से आने वाले शिक्षकों को लेकर नया खतरा सामने आ रहा है। सूत्र बताते हैं कि जिले में सैकड़ों शिक्षक कानपुर, रायबरेली, उन्नाव में दूरस्थ जिलों के हैं। कुछ ऐसे शिक्षक भी हैं जिनके घर उनके शहरों में हॉटस्पॉट वाले इलाकों में हैं। आवाजाही बंद होने के बावजूद सरकारी आदेश का पालन करने के लिए यह शिक्षक अपने घरों से तो निकल आए लेकिन अपने साथ कोरोना वायरस के खतरे को भी ला सकते हैं। लोगों ने कहा कि दूरदराज से यात्रा कर आने वाले शिक्षकों को तो पहले 14 दिन के लिए क्वारंटीन होना चाहिए इसके बाद दूसरे साथियों के बीच जाना चाहिए लेकिन विभागीय आदेश के चलते पहले दिन ही वह अपने साथियों यात्रा के दौरान दूसरे व्यक्तियों से घुल मिल गए।
आने वाले शिक्षकों की आमद से उनके साथी भयग्रस्त दिखे। सफर के लिए साधनों की खोज में भी मुश्किलों की बात सामने आई। परिषदीय स्कूलों के ताले खुलने के बाद अब हॉटस्पॉट वाले क्षेत्रों से आने वाले शिक्षकों को लेकर नया खतरा सामने आ रहा है। सूत्र बताते हैं कि जिले में सैकड़ों शिक्षक कानपुर, रायबरेली, उन्नाव में दूरस्थ जिलों के हैं। कुछ ऐसे शिक्षक भी हैं जिनके घर उनके शहरों में हॉटस्पॉट वाले इलाकों में हैं। आवाजाही बंद होने के बावजूद सरकारी आदेश का पालन करने के लिए यह शिक्षक अपने घरों से तो निकल आए लेकिन अपने साथ कोरोना वायरस के खतरे को भी ला सकते हैं। लोगों ने कहा कि दूरदराज से यात्रा कर आने वाले शिक्षकों को तो पहले 14 दिन के लिए क्वारंटीन होना चाहिए इसके बाद दूसरे साथियों के बीच जाना चाहिए लेकिन विभागीय आदेश के चलते पहले दिन ही वह अपने साथियों यात्रा के दौरान दूसरे व्यक्तियों से घुल मिल गए।
चिंताजनक : कानपुर व लखनऊ समेत दूसरे जिलों से आ रहे हैं शिक्षक, दुधमुंहे बच्चों के साथ महिला शिक्षकों को हो रही परेशानी।
न तो सेनेटाइज नहीं कायाकल्प : जनपद के अधिकांश परिषदीय स्कूलों में ऑपरेशन कायाकल्प के अन्तर्गत इस समय काम नहीं हो रहा है। शिक्षकों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि उनके द्वारा दिए गए प्रस्तावों पर ग्राम प्रधान ने अभी तक कोई पहल नहीं की है। लखनऊ से आने वाली आईवीआरएस कॉल में इस बारे में बताया गया है। डीएम के आदेश के बावजूद सेनेटाइजेशन का कार्य भी नहीं हुआ है। जिसके चलते शिक्षक संक्रमण की शंका से घिरे हैं।