मेरे प्रिय शिक्षक मित्रों।
उत्तर प्रदेश के बेसिक शिक्षा मन्त्री की जिम्मेदारी संभालते ही मैंने सार्वजनिक रूप से कहा था कि मेरे विभाग के शिक्षकों के लिए मेरे दरवाजे हमेशा खुले रहेंगे और कोई समस्या होने पर मेरे शिक्षक भाई-बहन बिना किसी प्रोटोकॉल के मुझे सीधे फोन कर सकते हैं।क्योंकि स्वयं एक शिक्षक होने के नाते मैं मानता हूँ कि शिक्षक सभ्यता, संस्कृति, शिष्टाचार, संयम, संवेदना, साहस,समझदारी, जिम्मेदारी, राष्ट्रभक्ति,
कर्तव्यनिष्ठा,ईमानदारी,त्याग और शालीनता की प्रतिमूर्ति होता है।और देश-समाज भी हमसे ऐसी ही अपेक्षा करता है।
परन्तु आज बड़े दुख और भारी मन से यह कहने को विवश हूँ कि अब बेसिक शिक्षा परिषद के किसी शिक्षक से दूरभाष पर बात नहीं करूंगा और उनके किसी व्हाट्सएप्प सन्देश का उत्तर नहीं दूँगा।क्योंकि हमारे स्मार्ट शिक्षक और शिक्षिकाएं हर व्यक्तिगत बातचीत और संदेश को सोशल मीडिया पर वायरल करते हैं।इतना ही नहीं अगर मैं फेसबुक पर किसी के मांगलिक कार्यक्रम या अन्तिम संस्कार में शामिल होने से सम्बंधित पोस्ट करता हूँ तो उस पर स्थानांतरण संबंधी पोस्टर चिपकाते रहते हैं।मेरा व्हाट्सएप्प इनबॉक्स केवल शिक्षकों के स्थानांतरण सम्बन्धी दुराग्रहों से भरा पड़ा है,जबकि सबको ज्ञात है कि इस समय प्रदेश में सभी प्रकार के स्थानांतरण पर रोक लगी है।COVID-19 जैसी महामारी के समय अपने क्षेत्र और गृह जनपद तथा प्रभार वाले जनपद के लोगों का कुशल क्षेम पूछते समय भी शिक्षक भर्ती और स्थानांतरण से जुड़े सवालों की बौछार।
मुझे शिक्षकों और शिक्षक बनने का हिमालयी संकल्प लिए हुए प्रबुद्ध लोगों से इतनी संवेदनहीनता की उम्मीद कत्तई नहीं थी।इसलिए अब यह तय किया है कि सम्मानित शिक्षक गण से केवल पत्राचार से संवाद होगा और वह भी उचित माध्यम से।
उत्तर प्रदेश के बेसिक शिक्षा मन्त्री की जिम्मेदारी संभालते ही मैंने सार्वजनिक रूप से कहा था कि मेरे विभाग के शिक्षकों के लिए मेरे दरवाजे हमेशा खुले रहेंगे और कोई समस्या होने पर मेरे शिक्षक भाई-बहन बिना किसी प्रोटोकॉल के मुझे सीधे फोन कर सकते हैं।क्योंकि स्वयं एक शिक्षक होने के नाते मैं मानता हूँ कि शिक्षक सभ्यता, संस्कृति, शिष्टाचार, संयम, संवेदना, साहस,समझदारी, जिम्मेदारी, राष्ट्रभक्ति,
कर्तव्यनिष्ठा,ईमानदारी,त्याग और शालीनता की प्रतिमूर्ति होता है।और देश-समाज भी हमसे ऐसी ही अपेक्षा करता है।
परन्तु आज बड़े दुख और भारी मन से यह कहने को विवश हूँ कि अब बेसिक शिक्षा परिषद के किसी शिक्षक से दूरभाष पर बात नहीं करूंगा और उनके किसी व्हाट्सएप्प सन्देश का उत्तर नहीं दूँगा।क्योंकि हमारे स्मार्ट शिक्षक और शिक्षिकाएं हर व्यक्तिगत बातचीत और संदेश को सोशल मीडिया पर वायरल करते हैं।इतना ही नहीं अगर मैं फेसबुक पर किसी के मांगलिक कार्यक्रम या अन्तिम संस्कार में शामिल होने से सम्बंधित पोस्ट करता हूँ तो उस पर स्थानांतरण संबंधी पोस्टर चिपकाते रहते हैं।मेरा व्हाट्सएप्प इनबॉक्स केवल शिक्षकों के स्थानांतरण सम्बन्धी दुराग्रहों से भरा पड़ा है,जबकि सबको ज्ञात है कि इस समय प्रदेश में सभी प्रकार के स्थानांतरण पर रोक लगी है।COVID-19 जैसी महामारी के समय अपने क्षेत्र और गृह जनपद तथा प्रभार वाले जनपद के लोगों का कुशल क्षेम पूछते समय भी शिक्षक भर्ती और स्थानांतरण से जुड़े सवालों की बौछार।
मुझे शिक्षकों और शिक्षक बनने का हिमालयी संकल्प लिए हुए प्रबुद्ध लोगों से इतनी संवेदनहीनता की उम्मीद कत्तई नहीं थी।इसलिए अब यह तय किया है कि सम्मानित शिक्षक गण से केवल पत्राचार से संवाद होगा और वह भी उचित माध्यम से।