एलटी ग्रेड शिक्षक भर्ती के तहत चयनित अभ्यर्थियों के अभिलेख सत्यापन की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है, लेकिन इसके बाद भी तकरीबन ढाई सौ अभ्यर्थियों की कि नियुक्ति फंसने की आशंका है।
विवाद इंटरमीडिएट में संस्कृत विषय की अनिवार्यता को लेकर है। उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) ने इस मसले पर स्थिति स्पष्ट नहीं की है। पिछले दिनों अभ्यर्थियों ने आयोग में ज्ञापन भी दिया था, जिसके बाद उन्हें 10 नवंबर को आयोग में बुलाया गया है।एलटी ग्रेड शिक्षक भर्ती के तहत आयोग की ओर से जारी विज्ञापन में हिंदी विषय के अभ्यर्थियों के लिए स्नातक के साथ इंटरमीडिएट में भी संस्कृत विषय की अनिवार्यता लागू की गई थी, जबकि माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड भी अशासकीय विद्यालयों में समान पद के लिए भर्ती करता है और वहां इंटरमीडिएट में संस्कृत की अनिवार्यता नहीं है।
केवल बीए में संस्कृत विषय होना चाहिए और इस आधार पर अभ्यर्थी हिंदी का शिक्षक बनने के लिए अर्ह माने जाते हैं। अभ्यर्थियों ने इंटर में संस्कृत की अनिवार्यता संबंधी आयोग की शर्त को न्यायालय में चुनौती दी थी। न्यायालय से अभ्यर्थियों को अंतरिम राहत मिलने के बाद आयोग आयोग ने ऐसे अभ्यर्थियों के लिए अलग से आवेदन का पोर्टल खोला था। हजारों अभ्यर्थियों ने आवेदन किए और इनमें से तकरीबन ढाई सौ अभ्यर्थी चयनित हो गए हैं। हिंदी विषय में एलटी ग्रेड शिक्षक के 1433 पद हैं और इनमें से 1432 पदों पर अभ्यर्थियों का अंतिम रूप से चयन हो चुका है।
इन सभी अभ्यर्थियों के अभिलेख सत्यापन की प्रक्रिया भी पूरी हो गई है और फाइलें अब माध्यमिक शिक्षा निदेशालय को भेजी जानी हैं। निदेशालय इन अभ्यर्थियों की काउंसलिंग कराकर नियुक्तिपत्र जारी करेगा। चयनितों में तकरीबन ढाई सौ अभ्यर्थी ऐसे हैं, जिनके पास इंटर में संस्कृत विषय नहीं था। अभिलेख सत्यापन के दौरान ऐसे अभ्यर्थियों से अलग से कॉलम भरवाए गए हैं। अभ्यर्थियों को आशंका है कि उनकी नियुक्ति में पेच फंस सकता है। एलटी समर्थक मोर्चा के संयोजक विक्की खान का कहना है कि इस मसले पर पिछले दिनों आयोग में ज्ञापन सौंपा गया था। आयोग की ओर से अभ्यर्थियों को 10 नवंबर को बुलाया गया है। अगली वार्ता में इस मसले पर स्थिति स्पष्ट होने की उम्मीद है।