बिना फॉर्म-16 के ऐसे फाइल करें आईटीआर, जानिए कैसे?

 अगर आपकी कंपनी ने कोरोना काल में बोरिया बिस्तर समेट लिया है या फिर आपने बिना औपचारिकताएं पूरी किए ही कंपनी छोड़ दी है, तो आपको फॉर्म-16 (how to file itr) नहीं मिल पाएगा।

ऐसे में सवाल ये उठता है कि क्या बिना फॉर्म-16 के भी आईटीआर फाइल (itr without form-16) किया जा सकता है? आइए जानते हैं कैसे होता है ये। ध्यान रखने की बात है कि आईटीआर फाइल करने की आखिरी तारीख (last date to file itr) 31 दिसंबर है।

    

 


आईटीआर फाइल करते वक्त सबसे अहम दस्तावेज होता है फॉर्म-16, जिसके बिना आईटीआर फाइल (how to file itr) करना तो नामुमकिन सा लगता है। इसी से ये साफ होता है कि ग्रॉस सैलरी क्या है। लेकिन कोई ऐसा भी साल हो सकता है जब आपको फॉर्म-16 ना मिले। ऐसा तब हो सकता है जब किसी वजह से आपकी कंपनी अपना कारोबार समेट कर चली जाए या फिर किसी वजह से आप अपनी पुरानी कंपनी को औपचारिकताएं पूरी किए बिना ही छोड़ दें। ध्यान रखने की बात है कि आईटीआर फाइल करने की आखिरी तारीख (last date to file itr) 31 दिसंबर है। तो सवाल ये उठता है कि क्या बिना फॉर्म-16 के भी आईटीआर फाइल (itr without form-16) किया जा सकता है? जी, बिल्कुल किया जा सकता है। आइए जानते हैं कैसे।


1- सारी सैलरी स्लिप इकट्ठा करें (मतलब आमदनी जोड़ें)
फॉर्म-16 की गैर मौजूदगी में सबसे पहला काम ये करना होगा कि आपको अपनी सारी सैलरी स्लिप इकट्ठा करनी होंगी। इसी से ग्रॉस इनकम पता चलेगी। यहां एक बात ध्यान रखें कि आपकी नेट टैक्सेबल इनकम में सिर्फ आपकी तरफ से प्रोविडेंट फंड में दिए गए योगदान का हिस्सा होता है, ना कि एंप्लॉयर की तरफ से दिए गए पीएफ का। टैक्सेबल इनकम जानने के लिए आपको अपनी ग्रॉस इनकम में से तमाम तरह के निवेश और मिलने वाले डिडक्शन घटाने होंगे।


2- टीडीएस का कैल्कुलेशन करें
अपनी सैलरी पर हुए टीडीएस कैल्कुलेशन के लिए फॉर्म 26एएस देखें, जिसमें आपकी सैलरी पर लगे टीडीएस की जानकारी होती है। यह सुनिश्चित कर लें कि जितना टैक्स आपकी सैलरी स्लिप में है और जितना फॉर्म-26एएस में दिख रहा है वह समान है। आप यह खबर शासनादेश डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं। आंकड़े अगर एक समान ना आएं तो एक बार पुरानी कंपनी से मदद ली जा सकती है, ताकि ये पता चल सके कि सैलरी में और फॉर्म-26एएस में अलग-अलग टैक्स क्यों दिख रहा है।


3- टैक्स एक्जेम्प्शन और डिडक्शन क्लेम करें
आपको मिलने वाले तमाम भत्ते जैसे ट्रांसपोर्ट अलाउंस, हाउस रेंट अलाउंस, मेडिकल अलाउंस आदि को सैलरी से कम करें। साथ ही 50 हजार रुपये का स्टैंडर्ड डिडक्शन भी मिलता है। इसके अलावा सेक्शन 80सी के तहत 1.5 लाख रुपये तक के निवेश पर टैक्स छूट क्लेम करें। सेक्शन 80डी के तहत हेल्थ इंश्योरेंस पर टैक्स छूट क्लेम करें। इसके अलावा और भी जो निवेश किया हो या खर्चा किया हो, जिस पर टैक्स छूट मिल सकती है, वह सब क्लेम करें।


4- टैक्स कैल्कुलेशन और सबमिशन
ये सब करने के बाद आपके सामने टैक्सेबल इनकम आ जाएगी। आप इस पर टैक्स कैल्कुलेट कर के भरें दें, अगर जरूरत हो तो। अगर पहले ही अधिक टैक्स भर दिया है तो वह आईटीआर भरने के बाद वापस आ जाएगा। कितना टैक्स देना है, इसका कैल्कुलेशन अपने आप ही आईटीआर फॉर्म में दिखने लगेगा। ध्यान रहे आईटीआर भरने के बाद ई-वेरिफिकेशन जरूर कराएं।