कासगंज। बेसिक शिक्षा विभाग में वार्षिक गोपनीय आख्या व्यवस्था लागू की गई है। इस व्यवस्था के तहत शिक्षकों को मानव संपदा पोर्टल पर स्वमूल्यांकन करना होगा। खंड शिक्षाधिकारी की प्रमाणिकता के बाद बीएसए द्वारा रिपोर्ट शासन को भेजी जाएगी। हालांकि शिक्षक संगठन नई व्यवस्था का विरोध कर रहे हैं।
बेसिक शिक्षा विभाग में नई व्यवस्था वर्तमान शिक्षा सत्र में लागू की जानी है। इस संबंध में बेसिक शिक्षा के महानिदेशक ने निर्देश जारी कर सभी वार्षिक गोपनीय आख्या तैयार करने के निर्देश दिए हैं। व्यवस्था ऐसी है कि मानव संपदा पोर्टल पर परिषदीय विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों को शैक्षिक सत्र 2020-21 के लिए वार्षिक मूल्यांकन स्वयं करना होगा।
इसकी समय सारिणी भी जारी की गई है। शिक्षकों को पोर्टल पर लॉगिन आईडी में स्वमूल्यांकन प्रारूप पूर्ण करना होगा। हालांकि इस व्यवस्था का बेसिक शिक्षा विभाग के शिक्षक विरोध कर रहे हैं। शिक्षकों का कहना है कि यह व्यवस्था बेहतर नहीं है।
प्रधानाध्यापक के लिए
उदाहरण बतौर ऑपरेशन कायाकल्प के तहत सभी सुविधाएं पूर्ण होने पर 10 अंक दिए जाएंगे। औसत छात्र उपस्थिति, प्रधानाध्यापक की औसत उपस्थिति की प्रतिशत, लर्निंग आउट कम की अंतिम परीक्षा में मिले ग्रेड, दीक्षा पोर्टल के उपयोग, एसएमसी की बैठक, पुस्तकालय का प्रयोग आदि पर अलग अलग मानक निर्धारित किए गए हैं।
सहायक अध्यापकों के लिए
सहायक अध्यापकों के लिए आउट ऑफ स्कूल बच्चों का सर्वेक्षण एवं नामांकन, छात्रों की औसत उपस्थिति, अध्यापक की वंचित उपस्थिति, लर्निंग आउट कम परीक्षा में मिला ग्रेड, दीक्षा पोर्टल का उपयोग आदि मानक बनाए गए हैं। खंड शिक्षाधिकारी अपनी रिपोर्ट गोपनीय आख्या के आधार पर देंगे।
आंकड़े की नजर से-
- 15 अप्रैल तक शिक्षकों को करना होगा स्वमूल्यांकन।
- 15 मई तक बीईओ को अपलोड करनी होगी प्रविष्टि।
- 31 मई तक बीएसए द्वारा अंतिम रूप से स्वीकृत की जाएगी प्रविष्टि।
शिक्षक नेता बोले, व्यवस्था ठीक नहीं
उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के जिला महामंत्री मुनेश राजपूत, वरिष्ठ उपाध्यक्ष दिलीप यादव का कहना है कि शिक्षक संघ के प्रांतीय नेतृत्व ने अपना विरोध दर्ज करा दिया है। स्थानीय स्तर के शिक्षक भी इस व्यवस्था का विरोध करते हैं। व्यवस्था ठीक नहीं है।
- महानिदेशक के निर्देशन में व्यवस्था प्रभावी की जा रही है। वार्षिक मूल्यांकन की गोपनीय आख्या के आधार पर ही शिक्षकों का आगे का करियर तय होगा। इससे शिक्षकों की लापरवाही कम होगी।
- अंजली अग्रवाल, बीएसए।