नई दिल्ली : सभी को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मुहैया कराने की छिड़ी मुहिम अब और तेज होगी। आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि भारत अगले दशक में दुनिया की सबसे ज्यादा युवा आबादी वाला देश होगा। ऐसे में जरूरी है कि सभी
को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मुहैया हो। इससे शिक्षा के स्तर में सुधार दिखेगा और देश के भविष्य का भी निर्धारण होगा। इसके साथ ही लॉकडाउन के दौरान ऑनलाइन शिक्षा जिस तरह से लोकप्रिय हुई, उससे देखते हुए इसके जरिये कई शैक्षणिक विषमताओं में कमी आने की उम्मीद जगी है।आर्थिक सर्वेक्षण में ऑनलाइन शिक्षा को लेकर उठाए गए कदमों को सबसे ज्यादा सराहा गया है। इसके तहत लॉकडाउन के दौरान करीब 34 करोड़ छात्रों को घर बैठे पढ़ाया गया है। इसके चलते शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में पढ़ने वाले छात्रों के बीच मौजूद डिजिटल खाई को भी पटाने में भी मदद मिली। स्थिति यह थी कि लॉकडाउन से पहले जहां सिर्फ 36 फीसद छात्रों के पास स्मार्टफोन थे, वहीं उसके बाद यह 62 फीसद छात्रों के पास मौजूद था। इसके साथ ही ऑनलाइन शिक्षा के जरिये शैक्षणिक भेदभाव भी खत्म हुआ। यानी सभी बच्चों को एक ही प्लेटफॉर्म पर एक ही शिक्षक के जरिये पढ़ाया गया।