गोरखपुर। संस्कृत विश्वविद्यालय की डिग्री वाले शिक्षक भी जांच के घेरे में हैं। शासन ने वर्ष 2004 से लेकर 2014 तक के चयनित शिक्षकों की सूची तलब की है। सभी के दस्तावेज की जांच कर फर्जी शिक्षकों के बारे में पता लगाया जाएगा।
परिषदीय विद्यालयों में आगरा विश्वविद्यालय की फर्जी डिग्री लगाकर शिक्षक बनने वाले शिक्षकों के विरुद्ध एसटीएफ व बेसिक शिक्षा विभाग जांच कर रही है। शासन को संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी की डिग्रियों में भी फर्जीवाड़ा कर शिक्षक बनने की शिकायतें मिली हैं। इसे देखते हुए शासन ने संस्कृत विश्वविद्यालय की डिग्री पर नौकरी हासिल करने वाले शिक्षकों के बारे में ब्योरा जुटाने की तैयारी शुरू की है। आदेश के मुताबिक वर्ष 2004 से 2014 तक संपूर्णानन्द विश्वविद्यालय अथवा उससे संबद्ध महाविद्यालयों से जिन्होंने डिग्री हासिल की है, उनके दस्तावेज जांचे जाएंगे। पूर्व मध्यमा, उच्चतर मध्यमा, शास्त्री एवं शिक्षा शास्त्री व अन्य शैक्षिक अभिलेखों के आधार पर चयनित शिक्षकों की सूची उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है। आगरा विश्वविद्यालय की बीएड के फर्जी व टेंपर्ड (कूटरचित) अंकपत्रों पर 4700 शिक्षकों के नौकरी करने के मामले की एसटीएफ जांच कर रही है। विवि की वर्ष 2004-05 सत्र में बीएड की डिग्रियों में फर्जीवाड़ा हुआ था। एसआईटी की जांच में 3637 छात्रों के नाम पर बीएड की फर्जी डिग्री जारी होने की बात सामने आई। 1024 अंकपत्र में छेड़छाड़ पकड़ी गई। 45 मामलों में एक ही रोल नंबर पर एक से अधिक छात्रों ने परीक्षा दी। एसआईटी की जांच पर बेसिक शिक्षा विभाग ने 1300 शिक्षकों के विरुद्ध कार्रवाई की है। शिक्षा विभाग ने संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय की डिग्रियों में फर्जीवाड़ा की आशंका पर अब जांच कराने का निर्णय लिया है। बीएसए बीएन सिंह ने बताया कि संस्कृत विश्वविद्यालय से डिग्री हासिल करने वाले शिक्षकों की सूची शासन स्तर पर तलब की गई है.