सिद्धार्थनगर, उत्तर प्रदेश।
जिले के स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा को लेकर बड़ा कदम उठाया गया है। अब स्कूल परिसरों में आवारा कुत्तों के बढ़ते आतंक को रोकने के लिए प्रत्येक विद्यालय में नोडल शिक्षक की नियुक्ति की जाएगी। यह नोडल शिक्षक न केवल स्कूल परिसर की सुरक्षा सुनिश्चित करेगा, बल्कि कुत्ते के काटने की किसी भी घटना में तत्काल उपचार की व्यवस्था भी कराएगा।
क्यों लिया गया यह निर्णय
बीते कुछ समय में जिले के कई स्कूलों में बच्चों के साथ कुत्तों के काटने की घटनाएं सामने आई हैं। बच्चों की जान-माल की सुरक्षा को देखते हुए शिक्षा विभाग ने यह फैसला लिया है। यह निर्णय सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुरूप लिया गया है।
नोडल शिक्षक की मुख्य जिम्मेदारियाँ
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स्कूल परिसर में आवारा कुत्तों के प्रवेश को रोकना
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बच्चों की सुरक्षा को लेकर नियमित निगरानी करना
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स्कूल परिसर की साफ-सफाई और सुरक्षित वातावरण सुनिश्चित करना
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कुत्ते के काटने की स्थिति में तुरंत नजदीकी अस्पताल या स्वास्थ्य केंद्र से संपर्क
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एंटी-रेबीज इंजेक्शन और प्राथमिक उपचार की व्यवस्था
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नोडल शिक्षक का नाम और संपर्क नंबर स्कूल के मुख्य द्वार पर प्रदर्शित करना
शिक्षा विभाग का उद्देश्य
शिक्षा विभाग का उद्देश्य है कि किसी भी छात्र को स्कूल में असुरक्षित माहौल का सामना न करना पड़े। इस व्यवस्था से न सिर्फ डॉग बाइट की घटनाओं पर नियंत्रण होगा, बल्कि अभिभावकों में भी विश्वास बढ़ेगा।
बच्चों की सुरक्षा को मिलेगी प्राथमिकता
यह पहल बच्चों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देने की दिशा में एक अहम कदम मानी जा रही है। नोडल शिक्षक के माध्यम से स्कूल प्रशासन, स्वास्थ्य विभाग और स्थानीय निकायों के बीच बेहतर समन्वय स्थापित किया जाएगा।