बदायूं : वैसे तो इन लोगों ने जीवन में कई परीक्षाएं उत्तीर्ण करने के बाद आंखों में शिक्षक बनने का सपना संजोया होगा, लेकिन यह कल्पना भी नहीं की होगी कि अभी एक ऐसी जिंदगी की कठोरतम परीक्षा भी पास करनी होगी।
बुधवार की आधी रात जब पारा पांच से सात डिग्री के बीच था उस वक्त कड़ाके की सर्दी भरी रात में ठिठुरते हुए तमाम युवा बीएसए दफ्तर के सामने नियुक्ति पत्र का इंतजार कर रहे थे। नियुक्ति पत्र बांटने का क्रम तो दिन तक चला। ऐसे में लोगों को पूरी रात भटकते हुए ही बितानी पड़ी। खास बात तो यह है कि महिला अभ्यर्थियों को गुरुवार को रात्रि 12 बजे नियुक्ति पत्र के लिए बुलाया गया है।
न रुकने का ठिकाना व खाने-पीने का पता नहीं, गोद में छोटा सा मासूम। लापरवाही का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि सिटी मजिस्ट्रेट के हस्तक्षेप के बाद महिलाओं के नियुक्ति पत्र रात को वितरित करने का निर्णय लिया गया। बच्चों की चिंता व विज्ञप्ति जारी करने के बावजूद निश्चित तिथि पर नियुक्ति पत्र न मिलने से नाराज महिलाओं ने रानी लक्ष्मीबाई का रूप धारण कर लिया और प्रदर्शन कर अपनी बात मनवाई।
सर्दी ने रिकार्ड तोड़ दिया है और रात को तो सर्द हवाओं से मौसम शिमला जैसा ठंडा हो जाता है। ऐसे में रात भर खुले आसमान में रहने के बारे में सोचकर भी डर लगता है। मगर प्रशिक्षु शिक्षक चयन भर्ती के चयनित अभ्यर्थियों को ये सब सहना पड़ा। बुधवार को महिलाओं के मूल प्रमाण पत्र देने के बाद दोपहर एक बजे नियुक्ति पत्र दिए जाने का आश्वासन दिया गया। जिसके बाद शाम पांच बजे, फिर पांच बजने पर अगले दिन के लिए टाल दिया गया। बेसिक शिक्षा की ऐसी लापरवाही से नाराज महिला अभ्यर्थियों को रात की सर्दी की चिंता सताने लगी। होटलों के फुल होने की वजह से रात की सर्दी के बारे में सोचकर भी डर लग रहा था। साथ ही खाने की भी चिंता सताने लगी। सबसे ज्यादा चिंता तो उस मासूम की थी, जो उनके गोद में थे। जब शाम को पता चला कि उनको छला जा रहा है। बर्दाश्त की हद पार होने पर महिलाओं ने रानी लक्ष्मीबाई का रूप धारण कर लिया और निकल पड़ी अपना हक मांगने।
सबसे पहले जिलाधिकारी आवास पर पहुंची, जहां पता चला कि डीएम कलेक्ट्रेट में बैठक कर रहे हैं। इसपर अपने हक की लड़ाई को उन्होंने कलेक्ट्रेट पर हंगामा करना शुरू कर दिया। जहां सिटी मजिस्ट्रेट विजय बहादुर के सामने अपनी समस्या रखी, जिसे उन्होंने भी अभ्यर्थियों की समस्याओं को जायज बताया। महिला अभ्यर्थियों ने बताया कि बेसिक शिक्षा विभाग को विज्ञप्ति निकालते समय सोचना चाहिए था। उसमें जो तारीख निश्चित की गई थी, अभ्यर्थी उसी तिथि पर नियुक्ति पत्र मांग रहे हैं। उनका कहना था दिन भर गोदी में रहने की वजह से बच्चे भी परेशान हैं। रात को रुकने की भी व्यवस्था नहीं है, जो बच्चे को आराम दे सकें। मामले को सुनने के बाद विजय बहादुर ने जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी को मौके पर ही बुला लिया और अभ्यर्थियों को रात को ही नियुक्ति पत्र देने का निर्देश दिया। साथ ही अभ्यर्थियों के रुकने की व्यवस्था जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान में की गई, जहां पुलिस फोर्स की तैनाती की गई थी।
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बुधवार की आधी रात जब पारा पांच से सात डिग्री के बीच था उस वक्त कड़ाके की सर्दी भरी रात में ठिठुरते हुए तमाम युवा बीएसए दफ्तर के सामने नियुक्ति पत्र का इंतजार कर रहे थे। नियुक्ति पत्र बांटने का क्रम तो दिन तक चला। ऐसे में लोगों को पूरी रात भटकते हुए ही बितानी पड़ी। खास बात तो यह है कि महिला अभ्यर्थियों को गुरुवार को रात्रि 12 बजे नियुक्ति पत्र के लिए बुलाया गया है।
न रुकने का ठिकाना व खाने-पीने का पता नहीं, गोद में छोटा सा मासूम। लापरवाही का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि सिटी मजिस्ट्रेट के हस्तक्षेप के बाद महिलाओं के नियुक्ति पत्र रात को वितरित करने का निर्णय लिया गया। बच्चों की चिंता व विज्ञप्ति जारी करने के बावजूद निश्चित तिथि पर नियुक्ति पत्र न मिलने से नाराज महिलाओं ने रानी लक्ष्मीबाई का रूप धारण कर लिया और प्रदर्शन कर अपनी बात मनवाई।
सर्दी ने रिकार्ड तोड़ दिया है और रात को तो सर्द हवाओं से मौसम शिमला जैसा ठंडा हो जाता है। ऐसे में रात भर खुले आसमान में रहने के बारे में सोचकर भी डर लगता है। मगर प्रशिक्षु शिक्षक चयन भर्ती के चयनित अभ्यर्थियों को ये सब सहना पड़ा। बुधवार को महिलाओं के मूल प्रमाण पत्र देने के बाद दोपहर एक बजे नियुक्ति पत्र दिए जाने का आश्वासन दिया गया। जिसके बाद शाम पांच बजे, फिर पांच बजने पर अगले दिन के लिए टाल दिया गया। बेसिक शिक्षा की ऐसी लापरवाही से नाराज महिला अभ्यर्थियों को रात की सर्दी की चिंता सताने लगी। होटलों के फुल होने की वजह से रात की सर्दी के बारे में सोचकर भी डर लग रहा था। साथ ही खाने की भी चिंता सताने लगी। सबसे ज्यादा चिंता तो उस मासूम की थी, जो उनके गोद में थे। जब शाम को पता चला कि उनको छला जा रहा है। बर्दाश्त की हद पार होने पर महिलाओं ने रानी लक्ष्मीबाई का रूप धारण कर लिया और निकल पड़ी अपना हक मांगने।
सबसे पहले जिलाधिकारी आवास पर पहुंची, जहां पता चला कि डीएम कलेक्ट्रेट में बैठक कर रहे हैं। इसपर अपने हक की लड़ाई को उन्होंने कलेक्ट्रेट पर हंगामा करना शुरू कर दिया। जहां सिटी मजिस्ट्रेट विजय बहादुर के सामने अपनी समस्या रखी, जिसे उन्होंने भी अभ्यर्थियों की समस्याओं को जायज बताया। महिला अभ्यर्थियों ने बताया कि बेसिक शिक्षा विभाग को विज्ञप्ति निकालते समय सोचना चाहिए था। उसमें जो तारीख निश्चित की गई थी, अभ्यर्थी उसी तिथि पर नियुक्ति पत्र मांग रहे हैं। उनका कहना था दिन भर गोदी में रहने की वजह से बच्चे भी परेशान हैं। रात को रुकने की भी व्यवस्था नहीं है, जो बच्चे को आराम दे सकें। मामले को सुनने के बाद विजय बहादुर ने जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी को मौके पर ही बुला लिया और अभ्यर्थियों को रात को ही नियुक्ति पत्र देने का निर्देश दिया। साथ ही अभ्यर्थियों के रुकने की व्यवस्था जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान में की गई, जहां पुलिस फोर्स की तैनाती की गई थी।
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