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संस्कृत शिक्षकों की नियुक्ति को नियमावली में संशोधन, अब यह होगा चयन का आधार

इलाहाबाद : योगी सरकार ने लंबे समय बाद उप्र संस्कृत माध्यमिक शिक्षा परिषद का पुनर्गठन किया है। परिषद की ओर से संचालित कालेजों में प्रधानाचार्य और शिक्षकों की अब नियुक्ति होनी है। यह जिम्मा माध्यमिक शिक्षा
सेवा चयन बोर्ड उप्र का सौंपा गया है। शासन ने निर्देश दिया कि जरूरत हो तो नियमावली में संशोधन का भी प्रस्ताव भेजा जाए। संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय से मान्यता प्राप्त इन कालेजों में नियुक्तियों के लिए नियमावली में संशोधन की जरूरत होगी। चयन बोर्ड का गठन हो चुका है ऐसे में अब यह प्रस्ताव उसी से मांगने की तैयारी है। 1माध्यमिक शिक्षा परिषद से अनुदान प्राप्त संस्कृत कालेजों में भर्तियां वर्ष 2009 में बनाई गई संस्कृत शिक्षक भर्ती नियमावली के आधार पर होती रही हैं। इसके लिए मंडलीय संयुक्त शिक्षा निदेशक (जेडी) की अध्यक्षता में कमेटी बनी थी। वर्ष 2010 में मंडलवार संस्कृत शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया शुरू हुई लेकिन, अधिकतर मंडलों में वह पूरी नहीं हो पाई थी। यही नहीं, कई मंडलों में भर्ती प्रक्रिया के दौरान धांधली की शिकायतें मिलीं। जिससे 2012 में अखिलेश सरकार ने भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगा दी थी।1संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय से मान्यता प्राप्त इंटर कालेजों व डिग्री कालेजों को माध्यमिक शिक्षा परिषद अनुदान देती है। इसके लिए माध्यमिक संस्कृत शिक्षा परिषद का गठन किया गया। प्रदेश में करीब 846 संस्कृत स्कूल हैं। वहीं, 246 और स्कूलों को अनुदान पर लेने की प्रक्रिया शुरू हुई। प्रदेश में पहली बार वर्ष 2009 में उप्र माध्यमिक संस्कृत शिक्षा परिषद (संस्थाओं के प्रधान, अध्यापकों व संस्थाओं के अन्य कर्मचारियों की नियुक्ति तथा सेवा शतेर्ं) विनियमावली बनाई गई। 1इसके बाद संस्कृत स्कूलों में प्रधानाचार्य व प्रवक्ता की भर्ती का अधिकार मंडलीय संयुक्त शिक्षा निदेशकों को दिया गया था। इस बीच सभी जिलों से संस्कृत कालेजों के प्रधानाचार्य व शिक्षक के रिक्त पदों का ब्योरा मांगा गया लेकिन, शासन ने यह भर्ती जेडी से छीनकर चयन बोर्ड को सौंपा है। ऐसे में नियमावली में संशोधन होने के आसार हैं। यह बदलाव होने के बाद जिलों से नए सिरे से अधियाचन मांगा जाएगा। संभव है कि चयन बोर्ड माध्यमिक कालेजों में प्रवक्ता व सहायक अध्यापकों की तर्ज पर संस्कृत कालेजों से भी ऑनलाइन अधियाचन भेजने का निर्देश दे, ताकि उसमें अफसरों की जवाबदेही तय हो सके। पद तय होने पर नियुक्तियां शुरू होंगी।

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