कानपुर: शिक्षा विभाग में जिले से लेकर बोर्ड तक दलालों का गिरोह सक्रिय
है जो कि पैसे लेकर नकली से असली, गलत से सही हर तरह के काम कराने में लगा
है। ताजा मामला शिक्षामित्र से सहायक शिक्षक के पदों पर समायोजित हुए
अभ्यर्थियों का है। जल्दी वेतन पाने के चक्कर में अभ्यर्थियों ने दलालों से
सांठगांठ करके सत्यापन पत्र बेसिक शिक्षा कार्यालय भिजवा दिया लेकिन यहां
फर्जीवाड़ा पकड़ में आ गया।
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जिले में
ऐसे 40 शिक्षामित्र चिह्नित किये गये हैं जिनके प्रमाणपत्रों का यूपी बोर्ड
ने सत्यापन किया ही नहीं और बोर्ड के धंधेबाजों ने फर्जी सत्यापन करके भेज
दिया है। वेतन जारी करने के लिए विभागीय प्रक्रिया जब आगे बढ़ी तो बेसिक
शिक्षा कार्यालय में यह मामला पकड़ा गया है। सत्यापन की सूची में माध्यमिक
शिक्षा परिषद के क्षेत्रीय कार्यालय की फर्जी मुहर और सहायक सचिव के फर्जी
हस्ताक्षर भी बनाए गए हैं।
बोर्ड से आए अन्य सत्यापनों से जब यह कुछ अलग दिखे तो कर्मचारियों को शक हुआ। मामले की जांच और बोर्ड में पड़ताल करने पर पता चला कि जो पत्रांक संख्या 2847 सत्यापन में लिखी गई है, उस संख्या पर किसी जिले के पुलिस विभाग को सूचना भेजी गई है।
मामले की जांच शुरु हो गई है और सूची में शामिल शिक्षामित्रों के प्रमाणपत्रों पर विभाग पैनी नजर रखे है। बताते चलें कि जिले में 773 शिक्षामित्रों को विगत अगस्त 2014 में सहायक शिक्षकों के पद पर समायोजित किया गया था। जिनके सत्यापन और वेतन जारी करने की प्रक्रिया चल रही है।
सूची में हैं इनके नाम
जयकिशोर, विजय कुमार, प्रदीप कुमार, रणविजय, निर्मला देवी संखवार, सुरेखा देवी, बृजेश कुमार, शमीम बानो, शिवपूजन, विमल कुमार, अर्चना देवी, रेशमा देवी, ज्ञानेंद्र कुमार, सुशील कुमार, सविता देवी, अनीता देवी, सरला देवी, साधना देवी, सियाजानकी, रमेश कुमार, शिवराज, सीमा देवी, अनुपम देवी, अंजली सचान, रानी देवी, किरन वर्मा, निर्मला पाल, नीलम देवी, मिथलेश कुमार, संजय कुमार, अर्चना सिंह, विमलेश कुमार, अयाज अहमद, असरा जहीर, अर्चना पांडेय, उषा शुक्ला, आरती, रेनू कटियार, उपासना देवी, सुनील कुमार।
यूपी बोर्ड में दलालों से मिलकर कुछ लोगों ने फर्जी सत्यापन करवाकर भेजा है, उनको रोका गया है, बोर्ड ने भी सत्यापन को फर्जी घोषित बताया है। इनके बारे में पड़ताल की जा रही है किसी का भी वेतन पूरी जांच के बाद ही जारी किया जाएगा। दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।-
राजेंद्र प्रसाद यादव, बेसिक शिक्षा अधिकारी।
बोर्ड से आए अन्य सत्यापनों से जब यह कुछ अलग दिखे तो कर्मचारियों को शक हुआ। मामले की जांच और बोर्ड में पड़ताल करने पर पता चला कि जो पत्रांक संख्या 2847 सत्यापन में लिखी गई है, उस संख्या पर किसी जिले के पुलिस विभाग को सूचना भेजी गई है।
मामले की जांच शुरु हो गई है और सूची में शामिल शिक्षामित्रों के प्रमाणपत्रों पर विभाग पैनी नजर रखे है। बताते चलें कि जिले में 773 शिक्षामित्रों को विगत अगस्त 2014 में सहायक शिक्षकों के पद पर समायोजित किया गया था। जिनके सत्यापन और वेतन जारी करने की प्रक्रिया चल रही है।
सूची में हैं इनके नाम
जयकिशोर, विजय कुमार, प्रदीप कुमार, रणविजय, निर्मला देवी संखवार, सुरेखा देवी, बृजेश कुमार, शमीम बानो, शिवपूजन, विमल कुमार, अर्चना देवी, रेशमा देवी, ज्ञानेंद्र कुमार, सुशील कुमार, सविता देवी, अनीता देवी, सरला देवी, साधना देवी, सियाजानकी, रमेश कुमार, शिवराज, सीमा देवी, अनुपम देवी, अंजली सचान, रानी देवी, किरन वर्मा, निर्मला पाल, नीलम देवी, मिथलेश कुमार, संजय कुमार, अर्चना सिंह, विमलेश कुमार, अयाज अहमद, असरा जहीर, अर्चना पांडेय, उषा शुक्ला, आरती, रेनू कटियार, उपासना देवी, सुनील कुमार।
यूपी बोर्ड में दलालों से मिलकर कुछ लोगों ने फर्जी सत्यापन करवाकर भेजा है, उनको रोका गया है, बोर्ड ने भी सत्यापन को फर्जी घोषित बताया है। इनके बारे में पड़ताल की जा रही है किसी का भी वेतन पूरी जांच के बाद ही जारी किया जाएगा। दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।-
राजेंद्र प्रसाद यादव, बेसिक शिक्षा अधिकारी।
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