शिक्षामित्र अपनी पहली सेलरी
ले चुके है पर शिक्षामित्र इतने घबराये क्यों है?? क्यों उनमे एक बेचैनी सी
है? ये बात कोई समझ नही पा रहा है,, इसी पर कुछ बिंदु देखे जो
शिक्षामित्रो के समायोजन को समापन में बदलने वाले है,,,
१. शिक्षामित्रो के पदों का सर्जन नही किया गया है, बल्कि प्रदेश में ७२८२५ व् अन्य भर्ती के लिए रिक्त सीटों पर ही इनको समायोजित कर दिया गया है,
२.किसी भी नियुक्ति से पूर्व पद सर्जन एक अत्यंत महत्तवपूर्ण स्टेप होता है, विज्ञापन से पूर्व यह अत्यंत जरुरी होता है,
३. केंद्र सरकार केवल सर्व शिक्षा अभियान द्वारा सर्जित पदों के सापेक्ष ही ६५% धन वेतन के रूप में देती है, लेकिन शिक्षामित्रो के पद इसके अंतर्गत नही आते है, क्योंकि सर्व शिक्षा अभियान के पदों को भरने के लिए एक विशेष प्रक्रिया होती है, जैसे पदों का सर्जन, ncte से अनुमति, केंद्र सरकार से अनुमति, वित्त विभाग से अनुमति, ऐसा कुछ नही किया गया है,
४. इसके बाद एक विधिवत विज्ञापन निकल कर पदों को भरा जाता है, बिना विज्ञापित पदों के कोई भर्ती हो ही नही सकती है,
५. शिक्षामित्रों की छ माह में एक वेतन जो जारी किया गया है, उसमे केंद्र सरकार का अंश नही है, क्योंकि केंद्र ने शिक्षामित्र, या शिक्षा सहायक के पदों को सिरे से नकार दिया था, इसलिए शिक्षामित्रो को एक माह का वेतन राज्य सरकार के दानस्वरूप दे दिया गया है, जो कि हमेशा मिलना बहुत मुश्किल है,
६. राज्य सरकार द्वारा शिक्षामित्रो को शिक्षा सहायक पद पर समायोजित करने की और एक नियत वेतनमान देने की अनुमति मांगी गयी थी, जिसे केंद्र से मना कर दिया था, उसके बाद भी राज्य सरकार द्वारा इन्हें सहायक अध्यापक पद पर संयोजित कर दिया,,,
७. अत: स्पष्ट है आज नही तो कल शिक्षामित्रो का बहार होना तय है, चाहे नियुक्तिपत्र मिल गया हो या फिर पेंसन.... तीन लाख पद सर्व शिक्षा अभियान के खाते
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१. शिक्षामित्रो के पदों का सर्जन नही किया गया है, बल्कि प्रदेश में ७२८२५ व् अन्य भर्ती के लिए रिक्त सीटों पर ही इनको समायोजित कर दिया गया है,
२.किसी भी नियुक्ति से पूर्व पद सर्जन एक अत्यंत महत्तवपूर्ण स्टेप होता है, विज्ञापन से पूर्व यह अत्यंत जरुरी होता है,
३. केंद्र सरकार केवल सर्व शिक्षा अभियान द्वारा सर्जित पदों के सापेक्ष ही ६५% धन वेतन के रूप में देती है, लेकिन शिक्षामित्रो के पद इसके अंतर्गत नही आते है, क्योंकि सर्व शिक्षा अभियान के पदों को भरने के लिए एक विशेष प्रक्रिया होती है, जैसे पदों का सर्जन, ncte से अनुमति, केंद्र सरकार से अनुमति, वित्त विभाग से अनुमति, ऐसा कुछ नही किया गया है,
४. इसके बाद एक विधिवत विज्ञापन निकल कर पदों को भरा जाता है, बिना विज्ञापित पदों के कोई भर्ती हो ही नही सकती है,
५. शिक्षामित्रों की छ माह में एक वेतन जो जारी किया गया है, उसमे केंद्र सरकार का अंश नही है, क्योंकि केंद्र ने शिक्षामित्र, या शिक्षा सहायक के पदों को सिरे से नकार दिया था, इसलिए शिक्षामित्रो को एक माह का वेतन राज्य सरकार के दानस्वरूप दे दिया गया है, जो कि हमेशा मिलना बहुत मुश्किल है,
६. राज्य सरकार द्वारा शिक्षामित्रो को शिक्षा सहायक पद पर समायोजित करने की और एक नियत वेतनमान देने की अनुमति मांगी गयी थी, जिसे केंद्र से मना कर दिया था, उसके बाद भी राज्य सरकार द्वारा इन्हें सहायक अध्यापक पद पर संयोजित कर दिया,,,
७. अत: स्पष्ट है आज नही तो कल शिक्षामित्रो का बहार होना तय है, चाहे नियुक्तिपत्र मिल गया हो या फिर पेंसन.... तीन लाख पद सर्व शिक्षा अभियान के खाते
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