किताब छपाई में देरी पर अफसर तलब

किताब छपाई में देरी पर अफसर तलब
मुख्यमंत्री ने बेसिक शिक्षा विभाग के अफसरों से पूछा कारण
एक महीने में कैसे छपेंगी दस करोड़ किताबें
सरकारी स्कूलों में बच्चों को दी जाने वाली निशुल्क पाठ्य पुस्तकों की छपाई मेंहोने वाली लेटलतीफी पर सोमवार को मुख्यमंत्री ने बेसिक शिक्षा विभाग के अफसरों को तलब कर लिया।
उन्होंने इस देरी का कारण भी पूछा है। उधर, किताबों की छपाई का टेंडर ऐन वक्त पर स्थगित किए जाने के मामले में अफसर भी बोलने को तैयार नहीं है। ऐसे में एक अप्रैल से शुरू होने वाले नए शैक्षिक सत्र में बच्चों को इस बार किताबों के लिए इंतजार करना होगा।

सर्व शिक्षा अभियान के अंतर्गत परिषदीय विद्यालयों, राजकीय, अशासकीयसहायता प्राप्त एवं माध्यमिक विद्यालयों, समाज कल्याण विभाग द्वारा संचालित राजकीय व एडेड स्कूल तथा मदरसों में कक्षा 1 से 8 तक के सभी अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के बालकों तथा सभी वर्ग की बालिकाओं को निशुल्क किताबें दिए जाने की व्यवस्था है।
इस बार शैक्षिक सत्र एक अप्रैल से शुरू होना है, इसके लिए बीते 27 जनवरी को पाठ्य पुस्तकों के मुद्रण प्रकाशन के लिए नीति जारी कर निविदा आमंत्रित की गई।
आवेदन करने की अंतिम तिथि 28 फरवरी रखी गई थी। उसी दिन सुबह 11.30 बजे तकनीकी बिड खोली जानी थी। लेकिन एक दिन पहले ही निविदा स्थगित करने का आदेश जारी कर दिया गया।
विभागीय जानकारों की मानें तो इसबार किताबों की जो नीति जारी हुई है उसमें कहा गया है कि किताबें फ्रैंडली रिसायकिल पेपर पर छापी जाएं। जबकि बीते वर्षों में ऐसा नहीं था।
चूंकि इस नए नियम की वजह से एक फर्म निविदा में शामिल नहीं हो पा रही थी। इसलिए अब चर्चा है कि इसके लिए नीति में संशोधन किया जा सकता है। जिससे फर्म को इसमें शामिल किया जा सके।
हालांकि अधिकारिक तौर पर इस पर विभाग का कोई भी अधिकारी बोलने को तैयार नहीं है।पाठ्य पुस्तकों की छपाई के संबंध में शासन के निर्देश पर निविदा स्थगित की गई है। आगे शासन जो निर्णय लेगा, उस पर कार्रवाई की जाएगी।डीबी शर्मा, बेसिक शिक्षा निदेशक28 फरवरी को सुबह 11.30 बजे तकनीकी बिड खोली जानी थी।
लेकिन स्थगित करने का आदेश आया और हमने निविदा स्थगित कर दी। कारण क्या है, मुझे नहीं पता। आगे की कार्रवाई कब शुरू होगी, इस पर कुछ कहना जल्द बाजी होगी।पवन कुमार सचान पाठ्य पुस्तक अधिकारी उप्रइस बार पाठ्य पुस्तकों के मुद्रण प्रकशन को लेकर प्रक्रिया शुरू से ही लेटलतीफी का शिकार रही।
अक्टूबर 2014 में किताबें छपवाने के संबंध में नीति जारी करने का प्रस्ताव शासन को भेजने के बाद भी कई महीने मामला लटका रहा। उसके बाद 27 जनवरी को शासन ने इसकी नीति जारी की। 28 फरवरी निविदा आमंत्रित कर आवेदन मांगे गए। लेकिन ऐन वक्त पर अपरिहार्य कारणों को हवाला देकर निविदा ही स्थगित कर दी गई।
अब नए शैक्षिक सत्र शुरू होने में एक महीने से भी कम समय बचा है। ऐसे में एक करोड़ 85 लाख बच्चों के लिए करीब10 करोड़ किताबें कैसे छापी जाएंगी।


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