नई दिल्ली। यूपी में जारी करीब 73 हजार शिक्षकों की भर्ती पर तलवार लटकती नजर आ रही है। भर्ती प्रक्रिया में धांधली के आरोप लगने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने चेतावनी देते हुए कहा है कि अगर आरोप सही पाए गए तो सभी नियुक्तियां रद्द हो जाएंगी।
न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली
पीठ के समक्ष मंगलवार को सुनवाई के दौरान
अभ्यर्थियों की ओर से पेश वकील ने आरोप लगाया
कि बगैर टीचर एलिजिबिलिटी टेस्ट (टीईटी) के ही
करीब 20 हजार नियुक्तियां हुई हैं। इस पर पीठ ने
कहा कि अगर ऐसा है तो यह बेहद गंभीर मामला है।
हालांकि अदालत ने शिकायतकर्ता को हलफनामे के
जरिए बात रखने के लिए कहा है।
पीठ ने कहा कि हलफनामे को देखने के बाद आगे की
कार्रवाई होगी। साथ ही अदालत ने सरकार से
वेबसाइट पर नियुक्त किए गए शिक्षकों की सूची
जारी करने के लिए कहा है। इससे पहले राज्य सरकार
ने स्टेटस रिपोर्ट दाखिल कर शीर्ष अदालत को
बताया कि 72825 में से 54146 प्राथमिक शिक्षकों
की नियुक्ति हो चुकी है। बाकी की नियुक्तियां
भी जल्द हो जाएंगी। मालूम हो कि सुप्रीम कोर्ट
के निर्देश के बाद टीचर एलिजिबिलिटी टेस्ट
(टीईटी) में प्राप्त अंकों के आधार पर मेरिट लिस्ट
तैयार कर करीब 73 हजार शिक्षकों की भर्ती
होनी है।
गौरतलब है कि पूर्व की मायावती सरकार ने करीब
73 हजार शिक्षकों की भर्ती करने का निर्णय
लिया था। सरकार ने अधिसूचना जारी कर
नियुक्ति का आधार टीईटी को रखा। टीईटी में
सफल उम्मीदवारों को काउंसिलिंग भी शुरू हो गई
थी। इसके बाद सत्ता में आई सपा सरकार की ओर से
नई अधिसूचना जारी कर इस नियम में बदलाव करने
का निर्णय लिया गया। नए नियम के तहत टीईटी
और क्वालिटी मार्क्स, दोनों को नियुक्ति का
आधार बनाया गया। छात्रों ने सरकार के इस फैसले
को हाईकोर्ट में चुनौती दी। हाईकोर्ट ने छात्रों के
हक में फैसला देते हुए मायावती सरकार की
अधिसूचना को सही ठहराया। इसके बाद राज्य
सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी लगाई थी, जिसे
दरकिनार कर दिया गया था।
धांधली के लगे आरोप, सुप्रीम कोर्ट ने चेताया-
आरोप सही पाए गए तो नियुक्तियां होंगी रद
सरकारी नौकरी - Government of India Jobs Originally published for http://e-sarkarinaukriblog.blogspot.com/ Submit & verify Email for Latest Free Jobs Alerts Subscribe
न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली
पीठ के समक्ष मंगलवार को सुनवाई के दौरान
अभ्यर्थियों की ओर से पेश वकील ने आरोप लगाया
कि बगैर टीचर एलिजिबिलिटी टेस्ट (टीईटी) के ही
करीब 20 हजार नियुक्तियां हुई हैं। इस पर पीठ ने
कहा कि अगर ऐसा है तो यह बेहद गंभीर मामला है।
हालांकि अदालत ने शिकायतकर्ता को हलफनामे के
जरिए बात रखने के लिए कहा है।
पीठ ने कहा कि हलफनामे को देखने के बाद आगे की
कार्रवाई होगी। साथ ही अदालत ने सरकार से
वेबसाइट पर नियुक्त किए गए शिक्षकों की सूची
जारी करने के लिए कहा है। इससे पहले राज्य सरकार
ने स्टेटस रिपोर्ट दाखिल कर शीर्ष अदालत को
बताया कि 72825 में से 54146 प्राथमिक शिक्षकों
की नियुक्ति हो चुकी है। बाकी की नियुक्तियां
भी जल्द हो जाएंगी। मालूम हो कि सुप्रीम कोर्ट
के निर्देश के बाद टीचर एलिजिबिलिटी टेस्ट
(टीईटी) में प्राप्त अंकों के आधार पर मेरिट लिस्ट
तैयार कर करीब 73 हजार शिक्षकों की भर्ती
होनी है।
गौरतलब है कि पूर्व की मायावती सरकार ने करीब
73 हजार शिक्षकों की भर्ती करने का निर्णय
लिया था। सरकार ने अधिसूचना जारी कर
नियुक्ति का आधार टीईटी को रखा। टीईटी में
सफल उम्मीदवारों को काउंसिलिंग भी शुरू हो गई
थी। इसके बाद सत्ता में आई सपा सरकार की ओर से
नई अधिसूचना जारी कर इस नियम में बदलाव करने
का निर्णय लिया गया। नए नियम के तहत टीईटी
और क्वालिटी मार्क्स, दोनों को नियुक्ति का
आधार बनाया गया। छात्रों ने सरकार के इस फैसले
को हाईकोर्ट में चुनौती दी। हाईकोर्ट ने छात्रों के
हक में फैसला देते हुए मायावती सरकार की
अधिसूचना को सही ठहराया। इसके बाद राज्य
सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी लगाई थी, जिसे
दरकिनार कर दिया गया था।
धांधली के लगे आरोप, सुप्रीम कोर्ट ने चेताया-
आरोप सही पाए गए तो नियुक्तियां होंगी रद
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