लखनऊ। यूपी इंडस्ट्रियल कोआपरेटिव एसोसिएशन (यूपिका) में 36.92 लाख रुपये
के घोटाले का पर्दाफाश हुआ है। विभागीय आडिट में मामला खुलने के बाद एमडी
रमाशंकर मौर्य ने 12 बिक्री केंद्र प्रभारियों को नोटिस जारी की है। उनसे
15 दिन के अंदर हर हाल में जवाब देने के लिए कहा गया है।
इन पर बिना एमडी से स्वीकृति लिए मनमाने ढंग से बजट खर्च करने समेत कई संगीन आरोप हैं। यह अनियमितता वित्तीय वर्ष 2011-2012, 2012-13 व 2013-14 में हुई थी। चार सदस्यी जांच कमेटी ने इसे पकड़ा। यूपिका के प्रबंध निदेशक रमाशंकर मौर्य ने कहा कि नियत समय सीमा तक यदि कोई स्पष्टीकरण नहीं देता है उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।
लपेटे में बिक्री केंद्र
कानपुर के सर्वोदय नगर, गुमटी नंबर पांच, आइआइटी और लखनऊ के अमीनाबाद व इंदिरा नगर के शोरूमों पर भी जांच बैठाई गई है। इनमें ज्यादातर से पूछा गया कि आखिरी उन्होंने किन परिस्थितियों में नियमों को दरकिनार करते हुए बजट अनियमित ढंग से खर्च कर दिए। इनके खिलाफ कार्रवाई करने का निर्णय पिछले दिनों हुई हथकरघा एवं वस्त्रोद्योग मंत्री की बैठक में लिया गया है।
ठंडे बस्ते में रिकवरी फाइल
यूपिका के 16 अफसरों व कर्मचारियों ने नियत वेतनमान से 4000 से 5000 रुपये अधिक भुगतान ले लिया। आठ से नौ साल तक लिए पेमेंट की रिकवरी के आदेश पूर्व एमडी राजेंद्र सिंह ने दिए थे, इस समय उनमें से कई अधिकारी अवकाश प्राप्त हो चुके हैं लेकिन गबन की हुई धनराशि अभी तक सरकारी खजाने में जमा नहीं हो सकी।
किसका कितने का मामला
बिक्री केंद्र धनराशि
हजरतगंज (लखनऊ) 13.27
संजय प्लेस (आगरा) 05.34
बांस फाटक (वाराणसी) 05.10
इंदिरा नगर (लखनऊ) 02.74
शक्ति नगर (सोनभद्र) 02.64
देवरिया 02.42
सुलतानपुर 02.10
सीतापुर 01.43
गोंडा 01.09
सिविल लाइंस (इलाहाबाद) 0.59
अमीनाबाद (लखनऊ) 0.23
(धनराशि लाख रुपये में)
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इन पर बिना एमडी से स्वीकृति लिए मनमाने ढंग से बजट खर्च करने समेत कई संगीन आरोप हैं। यह अनियमितता वित्तीय वर्ष 2011-2012, 2012-13 व 2013-14 में हुई थी। चार सदस्यी जांच कमेटी ने इसे पकड़ा। यूपिका के प्रबंध निदेशक रमाशंकर मौर्य ने कहा कि नियत समय सीमा तक यदि कोई स्पष्टीकरण नहीं देता है उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।
लपेटे में बिक्री केंद्र
कानपुर के सर्वोदय नगर, गुमटी नंबर पांच, आइआइटी और लखनऊ के अमीनाबाद व इंदिरा नगर के शोरूमों पर भी जांच बैठाई गई है। इनमें ज्यादातर से पूछा गया कि आखिरी उन्होंने किन परिस्थितियों में नियमों को दरकिनार करते हुए बजट अनियमित ढंग से खर्च कर दिए। इनके खिलाफ कार्रवाई करने का निर्णय पिछले दिनों हुई हथकरघा एवं वस्त्रोद्योग मंत्री की बैठक में लिया गया है।
ठंडे बस्ते में रिकवरी फाइल
यूपिका के 16 अफसरों व कर्मचारियों ने नियत वेतनमान से 4000 से 5000 रुपये अधिक भुगतान ले लिया। आठ से नौ साल तक लिए पेमेंट की रिकवरी के आदेश पूर्व एमडी राजेंद्र सिंह ने दिए थे, इस समय उनमें से कई अधिकारी अवकाश प्राप्त हो चुके हैं लेकिन गबन की हुई धनराशि अभी तक सरकारी खजाने में जमा नहीं हो सकी।
किसका कितने का मामला
बिक्री केंद्र धनराशि
हजरतगंज (लखनऊ) 13.27
संजय प्लेस (आगरा) 05.34
बांस फाटक (वाराणसी) 05.10
इंदिरा नगर (लखनऊ) 02.74
शक्ति नगर (सोनभद्र) 02.64
देवरिया 02.42
सुलतानपुर 02.10
सीतापुर 01.43
गोंडा 01.09
सिविल लाइंस (इलाहाबाद) 0.59
अमीनाबाद (लखनऊ) 0.23
(धनराशि लाख रुपये में)
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