सुप्रीमकोर्ट, हाईकोर्ट के डिविजन बेंच के द्वारा द्वारा निर्णित किये गये
मामलों की ही सुनवाई कर रहा और हाईकोर्ट इलाहाबाद के द्वारा केवल बेस ऑफ़
सलेक्शन अर्थात टीईटी मेरिट और PG बेस के आधार बीएड किये हुए
के मामले निर्णित किये गये हैं।टीईटी 2011के परीक्षा के परिणाम जिसमे
व्यापक पैमाने पर अनियमितता की गई है को अभी तक हाईकोर्ट में किसी ने भी
चुनौती नही दी थी।
टीईटी 2011की परीक्षा साफ़ सुथरे तरीके से हुई थी लेकिन टीईटी परीक्षा के रिजल्ट को बनाने में माध्यमिक शिक्षा के डाइरेक्टर संजय मोहन और
तत्कालीन माध्यमिक सचिव प्रभा त्रिपाठी के द्वारा व्यापक पैमाने पर जो गडबडिया की गई हैं उसमे परीक्षा के दौरान अनुपस्तिथ छात्रों को भी पास करा दिया गया है और जो आज चयन प्रक्रिया में शामिल है जिसका पुख्ता प्रमाण भी हमारे पास मौजूद है।मौलिक नियुक्ति के बाद सफेदा और फर्जी अभ्यर्थी अलग थलग पड़ जायेंगे क्योकि तब वे पात्र लोगों को यह कह कर गुमराह नही कर सकते है कि पूरी भर्ती प्रक्रिया ही गलत साबित हो कर फँस जायेगी, अत: भविष्य में सफेदा प्रयुक्त अभियुक्तों और फर्जियों के जाचोंपरान्त बाहर किये जाने पर आप सभी अपनी दावेदारी को कोर्ट के द्वारा सुनिश्चित कराने के हाईकोर्ट में याची अवश्य बने रहे अन्यथा मौलिक नियुक्ति के बाद गलत लोगों के चयन प्रक्रिया से बाहर होने से कभी कभी कोर्ट का आदेश सिर्फ याचिकाकर्ताओं के लिए ही होता है जिसमे कोर्ट में याची न होने की वजह से ही आपको नुकसान उठाना पड़ सकता है क्योकि इस प्रकार के कोर्ट के कई आदेश आ चुके है जिसमें याचिकाकर्ताओं को ही लाभ दिया गया है।टीईटी परीक्षा के परिणाम को पूर्णतया संशोधित कराना ही मेरा प्रमुख उद्देश्य है।यदि मौलिक नियुक्ति ही चयन का आधार है तो माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड से 2009 में चयनित समाजिक विषय के अभ्यर्थियों के OMR शीट को आज डिविजन बेंच माननीय अरुण टंडन और माननीय विक्रम नाथ की कोर्ट ने पुन: जांचने और अपात्र पाए जाने पर उनके चयन को निरस्त कर पात्र अभ्यर्थियों के चयन करने का आदेश कैसे हो सकता है??अत: टीईटी के परिणाम में व्याप्त फर्जीवाड़ा के खिलाफ जंग जारी है जिसमे आप सभी की सक्रिय भूमिका और जागरूकता की आवश्यकता है।
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टीईटी 2011की परीक्षा साफ़ सुथरे तरीके से हुई थी लेकिन टीईटी परीक्षा के रिजल्ट को बनाने में माध्यमिक शिक्षा के डाइरेक्टर संजय मोहन और
तत्कालीन माध्यमिक सचिव प्रभा त्रिपाठी के द्वारा व्यापक पैमाने पर जो गडबडिया की गई हैं उसमे परीक्षा के दौरान अनुपस्तिथ छात्रों को भी पास करा दिया गया है और जो आज चयन प्रक्रिया में शामिल है जिसका पुख्ता प्रमाण भी हमारे पास मौजूद है।मौलिक नियुक्ति के बाद सफेदा और फर्जी अभ्यर्थी अलग थलग पड़ जायेंगे क्योकि तब वे पात्र लोगों को यह कह कर गुमराह नही कर सकते है कि पूरी भर्ती प्रक्रिया ही गलत साबित हो कर फँस जायेगी, अत: भविष्य में सफेदा प्रयुक्त अभियुक्तों और फर्जियों के जाचोंपरान्त बाहर किये जाने पर आप सभी अपनी दावेदारी को कोर्ट के द्वारा सुनिश्चित कराने के हाईकोर्ट में याची अवश्य बने रहे अन्यथा मौलिक नियुक्ति के बाद गलत लोगों के चयन प्रक्रिया से बाहर होने से कभी कभी कोर्ट का आदेश सिर्फ याचिकाकर्ताओं के लिए ही होता है जिसमे कोर्ट में याची न होने की वजह से ही आपको नुकसान उठाना पड़ सकता है क्योकि इस प्रकार के कोर्ट के कई आदेश आ चुके है जिसमें याचिकाकर्ताओं को ही लाभ दिया गया है।टीईटी परीक्षा के परिणाम को पूर्णतया संशोधित कराना ही मेरा प्रमुख उद्देश्य है।यदि मौलिक नियुक्ति ही चयन का आधार है तो माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड से 2009 में चयनित समाजिक विषय के अभ्यर्थियों के OMR शीट को आज डिविजन बेंच माननीय अरुण टंडन और माननीय विक्रम नाथ की कोर्ट ने पुन: जांचने और अपात्र पाए जाने पर उनके चयन को निरस्त कर पात्र अभ्यर्थियों के चयन करने का आदेश कैसे हो सकता है??अत: टीईटी के परिणाम में व्याप्त फर्जीवाड़ा के खिलाफ जंग जारी है जिसमे आप सभी की सक्रिय भूमिका और जागरूकता की आवश्यकता है।
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