यूपी सरकार को सबसे बड़ा झटका शिक्षामित्रों को लेकर चीफ जस्टिस डॉ. डीवाई चंद्रचूड़ के फैसले से लगा
लखनऊ. उत्तर प्रदेश पब्लिक सर्विस कमीशन (UPPSC) के चेयरमैन अनिल यादव के अपॉइंटमेंट को अवैध करार दिया है। यह अहम फैसला इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डॉ. डीवाई चंद्रचूड़ ने सुनाया।
मौजूदा समय के सबसे यंग चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ अपने फैसलों को लेकर अक्सर सुर्खियों में रहते हैं। ये अलग बात है कि उनके कई फैसले यूपी सरकार के लिए झटके साबित हुए। ज्यूडिशयरी में खामी दिखने पर भी उन्होंने तुरंत एक्शन लिया। चीफ जस्टिस बनने के पहले इन्होंने पर्यावरण और एचआईवी पीड़ितों के लिए कई अहम न्यायिक लड़ाइयां लड़ी हैं।
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लखनऊ. उत्तर प्रदेश पब्लिक सर्विस कमीशन (UPPSC) के चेयरमैन अनिल यादव के अपॉइंटमेंट को अवैध करार दिया है। यह अहम फैसला इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डॉ. डीवाई चंद्रचूड़ ने सुनाया।
मौजूदा समय के सबसे यंग चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ अपने फैसलों को लेकर अक्सर सुर्खियों में रहते हैं। ये अलग बात है कि उनके कई फैसले यूपी सरकार के लिए झटके साबित हुए। ज्यूडिशयरी में खामी दिखने पर भी उन्होंने तुरंत एक्शन लिया। चीफ जस्टिस बनने के पहले इन्होंने पर्यावरण और एचआईवी पीड़ितों के लिए कई अहम न्यायिक लड़ाइयां लड़ी हैं।
11 नवंबर 1959 को जन्मे डॉ. डीवाई चंद्रचूड़ 2013 में 52 की उम्र में इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस बने थे। यंग होने की वजह से देशभर के लोगों का ध्यान उनकी ओर गया। 2000 में वह बॉम्बे हाईकोर्ट के सबसे यंग जज बने थे। हावर्ड यूनिवर्सिटी से डॉक्टरेट करने वाले डीवाई चंद्रचूड़ इस समय सबसे यंग चीफ जस्टिस हैं। उनके पिता यशवंत विष्णु चंद्रचूड़ सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रहे हैं।
इनकी गई कुर्सी
इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डॉ. चंद्रचूड़ ने अपने कार्यकाल में कई अहम फैसले लिए हैं। इनमें से कई यूपी सरकार के लिए झटके साबित हुए। उत्तर प्रदेश पब्लिक सर्विस कमीशन के चेयरमैन अनिल यादव, सेक्रेटरी रिजवालुर्रहमान के अपॉइंटमेंट को अवैध बताया। हायर एजुकेशन सर्विस सलेक्शन कमीशन के चेयरमैन लाल बिहारी पांडे, हायर एजुकेशन सर्विस सलेक्शन कमीशन के मेंबर रामवीर सिंह यादव, डॉ. रूदल यादव, अनिल कुमार सिंह और इंटमीडिएट एजुकेशन सर्विस सलेक्शन कमीशन के चेयरमैन सुनील कुमार, मेंबर अनीता यादव, आशा लता सिंह, ललित कुमार की कुर्सी भी चीफ जस्टिस के फैसलों की वजह से ही गई।
शिक्षामित्रों के सहायक अध्यापक बनाने पर रोक
यूपी सरकार को सबसे बड़ा झटका शिक्षामित्रों को लेकर चीफ जस्टिस डॉ. डीवाई चंद्रचूड़ के फैसले से लगा। डॉ. डीवाई चंद्रचूड़ की डिवीजन बेंच ने कहा था कि शिक्षामित्र टीईटी पास नहीं हैं, इसलिए असिस्टेंट टीचर के पदों पर इन्हें अप्वॉइंट नहीं किया जा सकता। माना जाता है कि शिक्षामित्रों का मुद्दा यूपी सरकार के लिए राजनीतिक रूप से बहुत अहम है।
अर्बन डेवलपमेंट मिनिस्टर के सेक्रेटरी एसपी सिंह के काम करने पर रोक का फैसला भी चीफ जस्टिटस डॉ. डीवाई चंद्रचूड़ ने सुनाया था। इसके अलावा अखिलेश सरकार में हुईं अधिकतर भर्तियों में गड़बड़ी की वजह से हाईकोर्ट रोक लगा चुका है। अमिताभ ठाकुर मामले में भी चीफ जस्टिस ने चर्चित फैसले लिए गए।
11 ट्रेनी जजों को बर्खास्त किया
पिछले साल लड़की के मामले में आपस में भिड़े 11 ट्रेनी जजों को चीफ जस्टिस के फैसले पर सर्विस रूल के मुताबिक एक महीने का वेतन और अन्य भत्ते देकर बर्खास्त कर दिया गया था। इन बर्खास्त ट्रेनी जजों को इतनी रियायत जरूर दी थी कि इन पर कोई आपराधिक चार्ज नहीं लगाया गया। इस संबंध में प्रमुख सचिव नियुक्ति और कार्मिक राजीव कुमार ने ऑर्डर जारी किया था।
करप्शन की वजह से दो जजों को किया सस्पेंड
हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डॉ. डीवाई चंद्रचूड़ करप्शन के खिलाफ काफी सख्त हैं। हाल ही में उन्होंने करप्शन को लेकर फर्रुखाबाद के जिला जज राजन चौधरी और बदायूं के एडीजे एके सिंह को सस्पेंड कर दिया था। दरअसल, डॉ. डीवाई चंद्रचूड़ को इन दोनों जजों के खिलाफ काफी शिकायतें मिली थीं।
पहले भी चर्चा में रहे
वकील से जज बनने के अपने सफर में जस्टिस डॉ. चंद्रचूड़ ने काफी लोकप्रियता हासिल की। पीआईएल और वकालत से दबे कुचलों को न्याय दिलाने में अहम भूमिका निभाई।
डॉ. जस्टिस चंद्रचूड़ जब मुंबई हाईकोर्ट में वकालत कर रहे थे तब उन्हें सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया की एक कमेटी का मेंबर बनाया गया था, जो उस समय मंबई की बीच्स को पोल्यूशन फ्री करने के लिए काम कर रही थी। इस कमेटी में मेंबर के तौर पर सक्रिय भूमिका निभाते हुए इन्होंने काफी काम किया। इनके काम से प्रभावित होकर इन्हें 1998 में एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया बनाया गया।
एचआईवी पीड़ितों के लिए लड़ी लंबी लड़ाई
डॉ. जस्टिस चंद्रचूड़ ने एक पीआईएल के जरिए एचआईवी पीड़ित लोगों के साथ होने वाले भेदभाव के मामले को प्रमुखता से उठाया। उनके लिए एक लंबी लड़ाई भी लड़ी।